15 साल में 10 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी हो सकता है भारत: पनगढ़ि‍या

Friday, Oct 07, 2016 - 05:19 PM (IST)

नई दिल्लीः नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा ने आज कहा कि भारत अगले 15 साल में 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। चीन ने भी डेढ़ दशक में यह मुकाम हासिल किया। उद्योग मंडल फिक्की के भारत-चीन निवेश सम्मेलन में पनगढिय़ा ने कहा, ‘‘भारत ने चीन के थोड़े बाद तीव्र वृद्धि हासिल करना शुरू किया लेकिन उसके पास अगले 15 साल में वह हासिल करने की क्षमता है जो चीन ने पिछले डेढ़ दशक में किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन ने जो 15 साल में हासिल किया, वह काफी उत्साहजनक है। चीन की अर्थव्यवस्था 15 साल पहले 2,000 अरब डॉलर की थी और आज वह 10,000 अरब डॉलर की है।’’

नीति आयोग 15 साल का दृष्टिकोण पत्र का खाका तैयार कर रहा है जो विकासशील भारत को समावेशी वृद्धि के साथ बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में तब्दील करने के लिए रूपरेखा उपलब्ध कराएगा।   

विश्लेषकों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को 10,000 अरब डॉलर का बनने के लिए अगले 15 साल में 10 प्रतिशत से अधिक दर से वृद्धि करना होगा। द्विपक्षीय सहयोग के बारे में पनगढिय़ा ने कहा, ‘‘चीन बाहर किए जाने वाले निवेश को बढ़ावा दे रहा है और भारत विदेशी पूंजी एवं प्रौद्योगिकी चाहता है, इससे हम आपस में मिलकर लाभ उठाना चाहिए और हमें द्विपक्षीय निवेश संबंधों को मजबूत बनाने के लिए एक बेहतर मसौदा रखना चाहिए।’’ उनका कहना था कि भारत के पास विनिर्माण क्षेत्र में चीनी अनुभव से लाभान्वित होने और देश को आधुनिक शहरी अर्थव्यवस्था में तब्दील करने की काफी गुंजाइश है। 

अरविंद पनगढिया ने धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत और चीन को ‘दो दुर्लभ आकर्षक स्थल’ बताया। वृद्धि दर में गिरावट के बावजूद चीन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि में उल्लेखनीय रूप से 500 अरब डॉलर या उससे अधिक का योगदान किया है।  चीन के नैशनल डेवलपमेंट एंड रिफार्म कमीशन (एन.डी.आर.सी.) के चेयरमैन शु साआेशी ने कहा, ‘‘चीन और भारत दो महत्वपूर्ण ताकत हैं। वे एशिया और दुनिया के लिए एक शक्ति हैं। दोनों देशों के लिए द्विपक्षीय संबंधों से आगे बढऩे की जरूरत है।’’  उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दोनों देशों के पास दुनिया को अधिक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी जगह बनाने की क्षमता है। साआेशी व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों के एक दल के साथ दो दिवसीय 6-7 अक्तूबर को भारत-चीन रणनीतिक आर्थिक वार्ता में भाग लेने के लिए यहां आए हुए हैं। 

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