नोट बंद होने पर बोले जेतली, काले धन वाले हैं परेशान

Wednesday, Nov 09, 2016 - 06:43 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार ने स्पष्ट किया है कि बैंकों में पुराने 500 और 1,000 के नोट जमा कराने पर किसी तरह की ‘कर माफी’ नहीं मिलेगी और इस तरह के धन के स्रोत पर कर कानून लागू होगा। सरकार ने कल 500 और 1,000 के नोट बंद करने की घोषणा की थी। कालेधन, भ्रष्टाचार तथा जाली नोटों पर लगाम के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। 

वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि ऊंचे मूल्य के नोटों को बैंक खातों में जमा करा कर ही नए और छोटे मूल्य के नोट हासिल किए जा सकते हैं। जेतली ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से साफ है कि यह कोई माफी योजना नहीं है। इस राशि को जमा कराने पर कराधान से किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी। एेसे धन के स्रोत पर जरूरी कानून लागू होगा।’’   

वित्त मंत्री ने कहा कि यदि यह धन कानूनी तौर पर वैध है और इससे पूर्व में बैंक से निकाला गया है या कानूनी तरीके से कमाया गया और बचाया गया है, तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। जेतली ने कहा, ‘‘लेकिन यदि यह गैरकानूनी पैसा है, तो इसके स्रोत का खुलासा करना होगा। यदि यह अपराध या रिश्वत की कमाई है, तो यह परेशानी की बात है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि गृहणियों तथा किसानों जिनकी बचत की जरूरत उचित है, उन्हें बैंक खातों में पैसा जमा कराने को लेकर किसी तरह की चिंता नहीं करनी चाहिए। 

जेतली ने कहा कि यदि लोग छोटी राशि मसलन 25,000 रुपए, 30,000 या 50,000 रुपए जो घर में खर्च के लिए पड़ा है उसे जमा कराना चाहते हैं तो उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। वे बैंकों के पास बेधड़क जा सकते हैं। जेतली ने कहा कि पहले एक या 2 सप्ताह के दौरान इनके स्थान पर बदलने के लिए नए नोटों की कमी हो सकती है लेकिन दो-तीन सप्ताह में अधिक नोटों की आपूर्ति के बाद इन्हें सामान्य तरीके से बदला जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस कदम से लेनदेन अधिक सेे अधिक डिजिटल होगा। लोग अपनी आय का खुलासा करेंगे और कर अदा करेंगे। ‘‘देश कर अनुपालन वाला समाज बन सकेगा।’’   

वित्त मंत्री ने कहा कि जिन लोगों के पास कालाधन, अपराध या रिश्वत की कमाई है उन्हें इससे झटका लगेगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला ईमानदारी के लिए फायदे का, बेईमानी के लिए नुकसान का है।’’ जेतली ने कहा कि शुरूआत में कुछ दिन या कुछ सप्ताह लोगों को असुविधा हो सकती है लेकिन भारत कालेधन और समानान्तर अर्थव्यवस्था पर हमेशा नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि इस फैसले से अधिक से अधिक लेन-देन कर दायरे में आएगा और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रहण दोनों में इजाफा होगा। समानान्तर अर्थव्यवस्था में कमी से औपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इस फैसले का कुछ असर राजनीति में भी दिखेगा। कुछ राजनीतिक चंदा अब चेकों के जरिए आना शुरू हुआ है। यदि इस कदम से कुछ सफाई हो पाती है, तो यह काफी शानदार उपाय साबित होगा।  

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