1,000 लोगों को बेरोजगार बना रहा है बाल्को

Monday, Sep 14, 2015 - 05:23 PM (IST)

नई दिल्ली: अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता लिमिटड की इकाई बाल्को ने आज कहा कि उसने छत्तीसगढ़ में अपनी एल्युमीनियम रोलिंग इकाई का काम बंद करने प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी के इस कदम से 1,000 लोग बेरोजगार हो जाएंगे।  

बाल्को ने चीन से एल्युमीनियम की डंपिंग व लाभ में कमी के बीच इस धातु की कीमतों में ''तेज गिरावट'' के चलते यह कदम उठाया है। इसकी घोषणा महीने घोषणा की थी। कंपनी ने एक बयान में कहा, "बाल्को ने कोरबा में अपने शीट रोलिंग डिवीजन व फाउंड्री को बंद करने की आधिकारिक तौर पर प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी ने सचिव, श्रम मंत्रालय, छत्तीसगढ़ सरकार और बीएसई व एनएसई को इसकी सूचना दे दी है।" 

खनन क्षेत्र की दिग्गज वेदांता (पूर्व में सेसा स्टरलाइट) की भारत एल्युमीनियम कंपनी (बाल्को) में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि शेष हिस्सेदारी सरकार के पास है। कंपनी सालाना करीब 30,000 टन रोल्ड उत्पादों जैसे एल्युमीनियम शीट्स व कॉयल्स का उत्पादन करती है।  

बाल्को ने 8 दिसंबर, 2015 तक इकाई को बंद करने की केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है। यह बंदी औद्योगिक विवाद कानून, 1947 में दिए गए प्रावधानों के मुताबिक की जाएगी। बाल्को ने कहा कि रोलिंग डिवीजन को बंद करना कंपनी की पुनर्गठन कवायद का भी एक हिस्सा है। इस कदम से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से करीब 1,000 नौकरियां खत्म हो जाएंगी।

इकाई को बंद करने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर बाल्को के सीईआे रमेश नायर ने कहा, "वैश्विक स्तर पर एल्युमीनियम की कीमतों में तेज गिरावट और संयंत्रों के लिए कोयले की बहुत ऊंची लागत के मद्देनजर रोलिंग मिल को बंद किया जा रहा है।"

उन्होंने कहा, "दुनियाभर में ऊर्जा की लागत में गिरावट आई है लेकिन बाल्को के लिए कोयला स्रोत उपलब्ध नहीं होने एवं हमारी कोयला खानों को शुरू करने के लिए नियामकीय मुद्दे से परिचालन करना आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं रह गया है।" 

नायर ने कहा कि यद्यपि पिछले कुछ महीनों में एल्युमीनियम की कीमतें गिरी हैं भारत में बिजली की लागत बढ़ रही है जिससे प्राथमिक एल्युमीनियम विनिर्माताओं के लिए उत्पादन लागत अव्यवहारिक हो गया है। उन्होंने कहा, "शीर्ष क्षमता पर परिचालन करने के लिए बाल्को को 30,000 टन कोयले की जरूरत पड़ती है। जहां कोयला नीलामी से आबंटन के संदर्भ में कंपनी को लाभ हुआ है, नया ब्लाक शीर्ष क्षमता की केवल 10 प्रतिशत जरूरत ही पूरी कर सकेगा।"

वैश्विक बाजार में एल्युमीनियम कीमतें 2015 की शुरूआत में 2,200 डॉलर प्रति टन से अधिक थीं जो चालू माह में घटकर 1,600 डॉलर प्रति टन पर आ गई हैं।  भारत में सस्ता एल्युमीनियम चीन व पश्चिम एशिया से आने की वजह से घरेलू उत्पादकों की बाजार हिस्सेदारी घट गई है, जबकि घरेलू उत्पादक पहले से ही उत्पादन लागत बढऩे से परेशान हैं।  

बाल्को ने कहा कि घरेलू एल्युमीनियम खपत का 55 प्रतिशत हिस्सा आयात के जरिए पूरा किया जाता है जिससे घरेलू कंपनियों को अपनी स्थापित क्षमता के केवल 50 प्रतिशत पर परिचालन करने को बाध्य होना पड़ रहा है। 

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