अब आयात से ठंडा पड़ेगा दाल में उबाल

punjabkesari.in Wednesday, Jun 24, 2015 - 11:14 AM (IST)

नई दिल्लीः दाल की बढ़ती कीमतों का संकट देश में बना हुआ है। दलहन की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए एक ओर जहां राजस्थान सरकार ने दालों की भंडारण सीमा तय की है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने 5000 टन अरहर दाल आयात करने की निविदा जारी की है। दूसरे राज्यों पर भी कीमतों को कम करने का का दबाव बढ़ा है। सरकार के इस फैसले का असर कीमतों पर पडऩा तय है। ऐसे में दलहन कारोबारी सरकार के इस फैसले से नाखुश नजर आ रहे हैं।   

देश भर में चने को छोड़कर सभी दालों की कीमतें 100 रुपए प्रति किलोग्राम के ऊपर पहुंच चुकी हैं और जुलाई में इसके और बढऩे के आसार हैं। ऐसे में सरकार ने कीमतों में नरमी लाने के लिए 5,000 टन अरहर दाल का आयात करने का फैसला किया है। सरकार ने एमएमटीसी और राज्यों की कारोबारी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे दालों की उपलब्धता बढ़ाए। आयातित दालों के लिए निविदा 10 जुलाई से 24 तक जमा की जा सकेंगी। 2500 टन दालों की खेप 15 सितंबर तक मुंबई और चेन्नई पहुंच जाएगी। 

दाल की कीमतों पर लगाम लगाने की सरकारी कोशिशों से कारोबारियों में घबराहट है। दिल्ली में पहले से ही दालों के भंडारण की सीमा तय है। दिल्ली और राजस्थान में भी यह सीमा लागू न करने का आग्रह किया जा रहा था लेकिन सरकार ने कारोबारियों की मांग को अनदेखी कर इसे तय किया है और कुछ और कदम भी उठाने के संकेत दिए हैं। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सरकारें भी चेतावनी दे चुकी हैं कि जमाखोरी पर सख्ती की जाएगी। 

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता कहते हैं, ''हमने सरकार को सुझाव दिया था कि राज्य में स्टॉक सीमा निर्धारित न करें। इससे दालों का भंडार दूसरे राज्यों में जाएंगा और राज्य की दाल मिलों को परेशानी बढ़ेगी। हम सरकार के इस फैसले का विरोध करेंगे।'' 

मुंबई में दलहन कारोबारी विवेक अग्रवाल कहते हैं, ''सरकार एक तरफ दलहन कारोबार बढ़ाने की बात करती है दूसरी तरफ सीमा तय कर रही है।'' आयात में छूट देने और दलहन की अच्छी बुआई से कीमतों में कमी आ रही है लेकिन भंडार सीमा तय कर सरकार डर का माहौल बना रही है। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक अगले 10 दिनों में दलहन की कीमतों में करीब 10 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है।


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