सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 1.20 लाख करोड का होगा निवेश

Tuesday, Jun 23, 2015 - 01:44 PM (IST)

नई दिल्लीः मोदी सरकार के देश में स्वच्छ ऊर्जा को बढावा देते हुए वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार बनते हुए जापान, भारत और ताईवान की तीन प्रमुख कंपनियों ने इस क्षेत्र में अब तक का सबसे बडा 20 अरब डॉलर अर्थात 1.20 लाख करोड रुपए निवेश करने का ऐलान किया है।  

 
टैलीकॉम सहित विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली जापान की दिग्गज कंपनी सॉफ्टबैंक कॉर्पोरशन, भारती इंटरप्राइजेज तथा सौर ऊर्जा के लिए उपकरण बनाने वाली ताईवान की कंपनी फॉक्सकॉन टैक्नोलॉजी ग्रुप ने आज ‘एसबीजी क्लिनटेक’ नाम से संयुक्त उपक्रम बनाने और इसके तहत देश में 20 गीगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन पर 20 अरब डॉलर अर्थात 1.20 लाख करोड़ रुपए का निवेश करने का ऐलान किया। 
 
संयुक्त उपक्रम में सॉफ्टबैंक की नियंत्रक हिस्सेदारी होगी और भारती अल्प हिस्सेदार होगी। फॉक्सकॉन की मामूली हिस्सेदारी होगी। भारती इंटरप्राइजेज के पूर्व अधिकारी मनोज कोहली को संयुक्त उपक्रम का प्रभारी बनाया गया है जबकि सॉफ्टबैंक की ओर से रमननंदा इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाये गए हैं।  
 
सॉफ्टबैंक के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मासोयोशी सोन और भारती इंटरप्राइजेज के सुनील मित्तल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के साथ मुलाकात के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी ने वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है और तीनों कंपनियों ने मेक इन इंडिया के तहत इस लक्ष्य को हासिल करने में मददगार बनने के उद्देश्य से संयुक्त उपक्रम बनाया है।  
 
सोन ने कहा कि 20 गीगावाट सौर उत्पादन के लक्ष्य में मददगार ऊर्जा क्षेत्र में अगले 10 साल में 20 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। जापान के सरकारी और निजी बैंक निवेश के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जापान में अब तक उनकी कंपनी सौर ऊर्जा की 20 परियोजनायें लगा चुकी है और इस क्षेत्र में उनका अनुभव बेहतर रहा है। 
 
उन्होंने सौर ऊर्जा के लिए भारत को अनुकूल देश बताते हुए कहा कि उनके देश की तुलना में भारत में दोगुनी धूप रहती है। यहां लागत भी करीब एक तिहाई कम है। उन्होंने कहा कि केन्द्र, राज्य और दूसरी सरकारी एजेंसियों का सहयोग मिलने एवं सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए भूमि आवंटन के बाद दो वर्ष के भीतर पहला संयंत्र कार्यशील हो सकता है। 
 
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