रिलायंस रिटेल जुटाएगी 4,500 करोड़ रुपए का कर्ज

Monday, May 25, 2015 - 11:11 AM (IST)

मुंबईः रिलायंस रिटेल टर्म लोन और डिबेंचर्स के जरिए 4,500 करोड़ रुपए का कर्ज जुटाने की योजना बना रही है। यह रकम ई-कॉमर्स बिजनेस को मजबूत करने और चुनिंदा फॉर्मेट्स में स्टोर खोलने की रफ्तार बढ़ाने में लगाई जाएगी।

मुकेश अंबानी के नियंत्रण वाली यह रिटेल कंपनी 2,500 करोड़ रुपए का टर्म लोन एस.बी.आई. से लेगी और 2,000 करोड़ रुपए कन्वर्टिबल डिबेंचर्स जारी कर जुटाएगी। कंपनी ने यह जानकारी पिछले सप्ताह रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास फाइल किए गए अपने बोर्ड के प्रस्तावों में दी। पूरी रकम कई चरणों में जुटाए जाने की संभावना है।

कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ''''रिलायंस रिटेल तेजी से बढ़ रही है। प्रॉफिटेबल बिजनेस की फंडिंग के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।'''' फाइनेंशियल ईयर 2015 के दौरान रिलायंस रिटेल की आमदनी 21 प्रतिशत बढ़कर 17,640 करोड़ रुपए हो गई। टैक्स चुकाने के बाद उसका प्रॉफिट 193 करोड़ रुपए रहा। फाइनेंशियल ईयर 2014 में यह देश की सबसे बड़ी रिटेलर बन गई थी। हालांकि भारती रिटेल के फ्यूचर ग्रुप के हाथों बिकने के हालिया घटनाक्रम के चलते यह अपनी टॉप पोजीशन गंवा सकती है।

फ्यूचर ग्रुप और आदित्य बिड़ला ग्रुप ऑनलाइन रिटेल के मामले में बड़े कदम उठाने की योजनाएं बना रहे हैं ताकि ई-कॉमर्स के बढ़ते चलन का फायदा लिया जा सके। उम्मीद है कि साल 2019 तक ई-कॉमर्स का आकार करीब 4 गुना होकर 70 अरब डॉलर का हो जाएगा।

रिलायंस रिटेल फूड और ग्रॉसरी प्रॉडक्ट्स के लिए एक ऑनलाइन साइट की पायलटिंग भी कर रही है। इसकी पैरेंट कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी ताजा एनुअल रिपोर्ट में कहा है, ''''ई-कॉमर्स और फिजिकल स्टोर लोकेशंस की मिलीजुली ताकत कंज्यूमर के सामने तमाम विकल्प पेश करेगी। यह मौका ऑफलाइन-ऑनलाइन मॉडल को इंटीग्रेट करने का है, जिससे कस्टमर एक्सपीरियंस को वाकई बदला जा सकता है।''''

 

यह कदम चेयरमैन मुकेश अंबानी की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने अपने कम्युनिकेशंस वेंचर रिलायंस जियो इंफोकॉम को ''टेलीकॉम, वेब और डिजिटल कॉमर्स'' के केंद्र में रखने की बात पिछले साल कंपनी की एनुअल जनरल मीटिंग में की थी। रिलायंस जियो इस साल अपनी 4जी मोबाइल और डेटा सर्विसेज लांच करने वाली है। रिलायंस रिटेल ने पिछले वित्त वर्ष में करीब 100 सुपरमार्केट्स बंद भी किया है और अब उसका फोकस इलेक्ट्रॉनिक्स और कैश एंड कैरी बिजनेस पर ज्यादा हो गया है। कंसल्टेंट मनीषा राव ने कहा, ''''इंटरनैट पर तो अब लगभग हर चीज बिक रही है। रिलायंस सहित समूची रिटेल इंडस्ट्री के सामने अब यही रास्ता बचा है कि या तो ई-कॉमर्स का हिस्सा बन जाएं या उसे सीधे चुनौती दें।''''

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