लैंड बिल में UPA के सहमति क्लॉज को जो़ड़ने को तैयार मोदी सरकार?

Saturday, May 16, 2015 - 11:44 AM (IST)

तिरुवनंतपुरमः नरेंद्र मोदी सरकार विवादास्पद भूमि विधेयक के किसी भी पहलू की समीक्षा के खिलाफ नहीं है, यहां तक कि सरकार यूपीए से प्रेरित सहमति क्लॉज को भी वापस लाने को तैयार है। इस बात की जानकारी ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने दी।

सिंह ने कहा, ''''किसी भी संभावना को खत्म नहीं किया गया है। चीजें तभी सुलझ सकती हैं जब खुले दिमाग से उन पर चर्चा हो, किसी भी अच्छी सलाह, किसी भी क्लॉज से संबंधित, चाहे सहमित क्लॉज से ही, अगर वे किसानों के हित में हैं तो हम उसके लिए तैयार हैं। मेरे कहने का मतलब है कि सहमति जमीन मालिकों की संख्या और रकबा (स्वामित्व वाली भूमि की मात्रा) पर आधारित होना चाहिए।''''

बीरेंद्र एक बुजुर्ग कांग्रेस नेता हैं और उन्होंने 2014 के आम चुनावों से कुछ महीने पहले ही बीजेपी का हाथ थामा था। उन्होंने माना कि वह यूपीए सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण ऐक्ट का समर्थन किया था, जिसमें अब एनडीए सरकार द्वारा संशोधन किया जा रहा है।

यूपीए सरकार को सत्ता से बेदखल होने के कुछ महीनों पहले 1 जनवरी 2014 को प्रभाव में आए भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार का हवाला देते हुए सिंह ने कहा, ''जब हरियाणा में कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे तो मैंने सोनिया गांधी को ''भूमि प्रयोग में परिवर्तन'' के व्यवहार के बारे में बताया था और वह राजी भी हो गईं थीं लेकिन इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कीं।''

उन्होंने बताया, ''''जिस तरह इसे अंजाम दिया गया वह डकैती की तरह की घटना लगती है।'''' हरियाणा में ''भूमि प्रयोग में परिवर्तन'' प्रैक्टिस को राजनीतिक समर्थन प्राप्त हो गया था क्योंकि इसका इस्तेमाल कथित रूप से जमीन के उन सौदों में किया गया जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की दामाद रॉबर्ट वाड्रा के हित वाली कंपनियां शामिल थीं।

सिंह का कहना है कि यूपीए के भूमि कानून से उनकी वास्तविक समस्या मूल कानून में जो ''गलतियां'' थीं, उससे ज्यादा थी। उन्होंने कहा, ''''यह सही बात है कि मैंने यूपीए के कानून का समर्थन किया था लेकिन जब मैं मंत्री बना तो, क्या आप विश्वास करेंगे जब मैं अपने मंत्रालय के लोगों के साथ बैठा तो इस कानून में 54 क्लेरिकल, ग्रैमेटिक और स्पेलिंग की गलतियां पाईं।''''

मोदी सरकार ने यूपीए बिल के क्लॉज में संशोधन करने को प्राथमिकता दी। खासकर उनकी 70-80 फीसदी सहमति वाले क्लॉज को जिनकी भूमि अधिग्रहित की जा रही है। 

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