नई विदेश व्यापार नीति 1 अप्रैल को

Monday, Mar 30, 2015 - 03:56 PM (IST)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार 2015-20 के लिए बहुप्रतीक्षित विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की घोषणा करने वाली है। पहले की इस तरह की नीतियों से ''अलग'' कही जा रही इस नीति में विनिर्माण व सेवा के निर्यातों को प्रोत्साहित करने और मुक्त व्यापार समझौतों के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर होगा।

1 अप्रैल को एफटीपी पेश किए जाने की संभावना है। इसमें निर्यात करने वाले समुदाय के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने की घोषणा हो सकती है। इसे साल के लिए पेश किया जाएगा, जिसमें वैश्विक और घरेलू जरूरतों के मुताबिक निर्यातकों को दी जा रही छूट को हर साल पुनरीक्षित किया जाएगा।

उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने बताया, ''''नई विदेश व्यापार नीति 2015-20 के लिए होगी। इस बार यह नीति अलग होगी। अपने निर्यात को मजबूत करने के लिए हमने ओपन एंडेड और जांच करने की नीति अपनाई है।''''

नई एफटीपी में एक साल की देरी हुई है। वाणिज्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और कारोबार को आसान करने के  लिए की जा रही पहल के मुताबिक बनाया गया है। उन्होंने कहा कि देरी की प्राथमिक वजह यह है कि पिछली बार पूर्ण बजट पेश नहीं हुआ, वह सिर्फ 8 माह के लिए था। ऐसे में सरकार के पास निर्यात संबंधी वित्तीय प्रोत्साहन योजनाओं के लिए बहुत कम संभावना थी।

अधिकारी ने कहा, ''''इस नीति में अलग वित्तीय लक्ष्य दिए गए हैं, जो पहले के वर्षों में नहीं था। मई में इस सरकार के सत्ता में आने और जुलाई में बजट पारित होने के बाद यह साफ नहीं था कि निर्यात क्षेत्र को कितना मिलेगा।'''' इस बार इस बात की संभावना कम है कि सरकार कोई विशेष निर्यात लक्ष्य तय करे। हालांकि पिछले कुछ साल के दौरान हुए एफटीपी आयात की तुलना में निर्यात के पक्ष में ज्यादा रहे हैं। इस धारणा को देखते हुए सरकार मूल्यवर्धित आयातों को प्रोत्साहन देने की घोषणा कर सकती है।

इस साल मुख्य रूप से विनिर्माण निर्यात और सेवाओं के निर्यात पर जोर रहेगा। विनिर्माण निर्यात में सरकार इंजीनियरिंग उत्पादों, इलेक्ट्र्रॉनिक  सामान और कपड़ा निर्यात को प्रमुख क्षेत्र के रूप में चिह्नित कर रणनीति तैयार करेगी। वहीं सेवा क्षेत्र में पर्यटन, आतिथ्य सत्कार, शिक्षा आदि क्षेत्रों को प्रोत्साहन दिए जाने की संभावना है। उद्योग संगठन सीआईआई में निर्यातकों व निर्यात प्रतिपर्धा पर बनी राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा, ''''सरकार को विकास के इंजन के रूप में निर्यात क्षेत्र पर विचार करना चाहिए और उसे महत्त्व देना चाहिए। हम प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण के आधार पर अपने मौजूदा बाजारों को हासिल करना चाहते हैं, साथ ही नए बाजारों में प्रवेश करना चाहते हैं। इसके अलावा इस साल सरकार को प्रमुख निर्यातक क्षेत्रों को केंद्रित बाजार योजना के तहत लाना चाहिए और इन क्षेत्रों को ब्याज में छूट मुहैया कराई जानी चाहिए।''''

इस साल एफटीपी पर भी खास जोर दिए जाने की संभावना है। सरकार खासकर एफटीए और अन्य द्विपक्षीय कारोबारी समझौतोंं का अधिकतम इस्तेमाल करने पर बल देगी। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय के आंतरिक अध्ययन के मुताबिक यह पाया गया है कि एफटीए का इस्तेमाल अन्य हिस्सेदार देशोंं की तुलना में भारत ने बहुत कम किया है। इसके परिणाम स्वरूप निर्यातकों को अपने बाजार गंवाने पड़े हैं, जहां भारत ने द्विपक्षीय समझौते किए हैं।
 

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