चिप्स और मिनरल वॉटर के दामों से Retail inflation पर पड़ेगा असर!

Wednesday, Mar 11, 2015 - 10:57 AM (IST)

नई दिल्लीः मिनरल वॉटर, पटैटो चिप्स के दाम में होने वाली किसी भी तरह की बढ़ोतरी और डेटा यूजेज चार्जेज में होने वाले बदलाव का असर खुदरा महंगाई दर पर देखने को मिलेगा। सरकार नए मानदंड का इस्तेमाल करते हुए हर महीने खुदरा महंगाई के आंकड़े घोषित करती है। 
 
होटल लॉजिंग चार्जेज और इनवर्टर प्राइसेज उन दूसरे आइटम्स में शामिल हैं, जिन्हें नए कन्जयूमर प्राइस इंडेक्स बास्केट में शामिल किया गया है और इसका मकसद उपभोग के बदलते तरीकों का पता लगाना है। सीपीआई कन्जयूमर लेवल पर महंगाई को ट्रैक करता है और यह महंगाई दर का अहम पैमाना है। भारतीय रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी के लिए इसका इस्तेमाल करता है।
 
2011-12 में कराए गए हाउसहोल्ड सर्वे के आधार पर इसे नए सिरे से तैयार कराया गया और पिछले महीने पेश किया गया। पिछला सीपीआई 2004-05 सर्वे पर आधारित था। एक गवर्नमेंट ऑफिसर ने बताया, ''नया इंडेक्स सामान्य तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले आइटम्स के दाम में बदलाव को ट्रैक करता है। यह कन्जयूमर एक्सपेंडिचर सर्वे पर आधारित है।'' 
 
सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस ने इंडेक्स में नए आइटम्स को शामिल किया है, कुछ आइटम्स को इससे बाहर किया है, जबकि कुछ को दूसरे के साथ जोड़ा है। कन्जयूमर प्राइस इंडेक्स में ग्रामीण इलाकों में आइटम्स की संख्या 437 से बढ़कर 448 हो गई है। वहीं, शहरी इलाकों में इनकी संख्या 450 से बढ़कर 460 पहुंच गई है। सीपीआई बास्केट की नई सीरीज में फूड की हिस्सेदारी घटकर 45.8 फीसदी रह गई है, जो मौजूदा सीरीज में 47.5 फीसदी थी।
 
पिछले 10 साल में इनकम लेवल में बढ़ोतरी के कारण फूड से नॉन-फूड कैटिगरी की ओर कंजम्पशन शिफ्ट हुआ है। यह खासतौर से क्लोदिंग और फुटवियर में देखने को मिला है, जिन्हें नए बास्केट में जगह मिली है। 
 
सीपीआई बास्केट में क्लोदिंग और फुटवियर की हिस्सेदारी 4.7 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी पर पहुंच गई है। रेडीमेड गारमेंट्स की पूरी कैटिगरी को एक साथ लेने की बजाय स्वेटर, कोट, स्कूल यूनिफॉर्म, कुर्ता-पजामा, सलवार, टी-शर्ट्स, ट्राउजर्स और शर्ट्स को अलग-अलग कवर किया गया है। वहीं, रिफाइंड ऑयल (सनफ्लावर, सोयाबीन और सफोला) को इंडेक्स में अलग आइटम्स के रूप में शामिल किया गया है।
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