9 माह की मोदी सरकार, बैंकों का हुआ बुरा हाल

Sunday, Feb 01, 2015 - 01:17 AM (IST)

नई दिल्ली : मोदी सरकार के 9 माह पूरे हो चुके हैं लेकिन सरकारी बैंकों के अच्छे दिन अब भी नहीं आए हैं। बैंकों का फंसा कर्ज अब नासूर बनता जा रहा है। अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत नहीं मिल रहे हैं जिसका अंदाजा इस बात से लगता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर, लोहा व स्टील, ऊर्जा आदि क्षेत्र में फंसे कर्ज के मामले लगातार बढ़े हैं, बैंकों का बुरा हाल है। कॉर्पोरेट डेट रीस्ट्रक्चरिंग (सी.डी.आर.) में 31 दिसम्बर 2014 तक 2.72 लाख करोड़ रुपए लागत के 288 मामले हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक सरकारी बैंकों का नॉन-परफॉर्मिग एसैट्स (एन.पी.ए.) वित्त वर्ष 2013-14 में बढ़कर 2,16,739 करोड़ रुपए हो गया है। वित्त वर्ष 2011-12 में बैंकों का एन.पी.ए. 9,190 करोड़ रुपए था। एक ओर बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है, वहीं फंसे कर्ज की ज्यादा प्रोविजनिंग करनी पड़ रही है। बैंकों के ताजा तिमाही नतीजों के मुताबिक बैंक ऑफ  बड़ौदा, आंध्रा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ  इंडिया, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक आदि के एन.पी.ए. और प्रोविजनिंग दोनों में बढ़ौतरी दर्ज की गई है।
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