वोडाफोन जैसे मामलों में कार्रवाई नहीं होगी

Friday, Jan 30, 2015 - 11:25 AM (IST)

नई दिल्लीः अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व देशी विदेशी निवेशकों के सामने देश में एक स्थायी व भरोसेमंद कर व्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे को पूरा करने में वित्त मंत्रालय जुट गया है।

एक दिन पहले ही दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के साथ पिछले कई वर्षों से चल रहे कर विवाद का पटाक्षेप करने के लिए अहम फैसला किया गया कि इसे कानूनी तौर पर अब चुनौती नहीं दी जाएगी।

अब आयकर विभाग ने अपने सभी फील्ड अधिकारियो को यह निर्देश दिया है कि वह वोडाफोन जैसे कर विवाद के मामलों को आगे फॉलो-अप न करें। इससे नोकिया, शेल, केयर्न एनर्जी, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काफी राहत मिलेगी।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने गुरुवार को इस संबंध में आयकर अधिकारियों को निर्देश भेजा। सरकार ने विदेशी निवेशकों के बीच भारतीय कर व्यवस्था को लेकर भरोसा बहाल करने के लिए यह फैसला किया है कि वह टैक्स विवाद में नहीं उलझेगी।

कई कंपनियों के साथ सरकार का कर विवाद काफी लंबे समय से चल रहा है। कई कंपनियां वोडाफोन की तरह ट्रांसफर प्राइसिंग के मामलों में हजारों करोड़ रुपये के कर मांग का सामना कर रहीं थीं। ये कंपनियां भारत में आगे अपने निवेश पर ट्रांसफर प्राइसिंग को लेकर चल रहे विवाद की वजह से फैसला नहीं कर पा रही थीं।

भारत सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा राहत केयर्न एनर्जी को मिलेगी। वर्ष 2006 में जब केयर्न एनर्जी की असली प्रमोटर ब्रिटिश कंपनी ने इसे केयर्न इंडिया को ट्रांसफर करने का फैसला किया तो भारत सरकार ने उस पर 24,500 करोड़ रुपए की कर देनदारी का दावा ठोका।

इस वजह से कंपनी को भारत स्थित अपनी संपत्तियों को बेचने में काफी समय लगा। इसी तरह से आइबीएम पर कर देनदारी का मामला भी कंपनी के भावी निवेश में अड़ंगा डाले हुए है।
 

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