कमजोर रहेगी तीसरी तिमाही!

Friday, Jan 09, 2015 - 11:46 AM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय कंपनियों की रफ्तार चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सुस्त रह सकती है। शुक्रवार को इंफोसिस के नतीजे आने वाले हैं और इसके साथ ही परिणामों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। विश्लेषकों का मानना है कि दिसंबर में समाप्त हुई तिमाही में निफ्टी-50 कंपनियों की बिक्री में वृद्घि की रफ्तार पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के मुकाबले थोड़ी कमजोर रह सकती है। इन्हें अंदेशा है कि धातु और रियल एस्टेट कंपनियों का प्रदर्शन खासा कमजोर रहेगा। आलोच्य अवधि में कंपनियों का मुनाफा भी सीमित रह सकता है।

5 अग्रणी ब्रोकरेज कंपनियों और रेटिंग एजैंसियों के अनुसार निफ्टी-60 कंपनियों की बिक्री 1.75 प्रतिशत कम रह सकती है, जबकि मुनाफे में सालाना आधार पर 1.44 प्रतिशत मामूली तेजी रह सकती है। रेटिंग एजैंसी क्रिसिल का कहना है कि निवेश की धीमी रफ्तार की वजह से पिछले साल के मुकाबले राजस्व वृद्धि दर कम होकर 7 प्रतिशत रह सकती है।

एजैंसी का कहना है कि निर्यातोन्मुखी क्षेत्रों की विकास दर कमजोर रह सकती है। क्रिसिल रिसर्च के वरिष्ठ निदेशक प्रसाद कोपरकर कहते हैं, ''''निर्यात पर आधारित उद्योग पूरे परिदृश्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। मिसाल के तौर पर सीमेंट उद्योग की 15 शीर्ष कंपनियों की कारोबार वृद्धि दर तीसरी तिमाही में कम होकर 5 प्रतिशत रह सकती है जो वित्त वर्ष की पहली छमाही में 9 प्रतिशत रही थी।'''' दूसरी तरफ, कच्चे तेल की गिरती कीमतों के बावजूद कंपनियों के लिए मुनाफा कमजोर रह सकता है।

क्रिसिल के अनुसार केंद्रीय बिजली इकाइयों, कोयला, आईटी, मिश्रित उर्वरक और कागज कंपिनयों का मार्जिन कमजोर रहेगा। हालांकि कुछ विश्लेषक बिक्री और मुनाफे को लेकर आशान्वित नजर आ रहे हैं। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के फंड प्रबंधक (पीएमएस) पी फणी शेखर कहते हैं, ''''मुझे सितंबर और दिसंबर तिमाही में कुछ खास अंतर रहने की उम्मीद मुझे नजर नहीं आ रही है। दिसंबर तिमाही के परिणाम आय के लिहजा से पिछली तिमाही से अधिक भिन्न नहीं होंगे। हालांकि आईटी कंपनियों के लिए आय उम्मीद के अनुसार नहीं रह सकती है।''''

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च के मुताबिक दिसंबर तिमाही में सालाना 5 प्रतिशत राजस्व वृद्धि और 2 प्रतिशत मुनाफा वृद्धि दर के साथ वाहन कंपनियों का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि दवा क्षेत्र के कंपनियों के प्रदर्शन में अमेरिकी बाजार की प्रमुख योगदान होगा। हालांकि डॉ. रेड्डीज का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है। विश्लेषकों के अनुसार बैंकिंग कंपनियां और उपभोक्ता उत्पाद विनिर्माता जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर आदि बेहतर प्रदर्शन करने में सफल होंगी। तेल विपणन कंपनियों में बी.पी.सी.एल. और एच.पी.सी.एल. मुनाफे में मामूली बढ़ौतरी दर्ज कर सकती हैं।

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