नोटबंदी और GST के बाद मनरेगा में 18 से 30 साल के युवाओं की बढ़ी तादाद

Tuesday, Oct 22, 2019 - 02:19 PM (IST)

नई दिल्लीः महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा/MNREGA) के तहत मजदूरी करने वाले युवाओं की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। आंकड़ों की मानें, तो ग्रामीण इलाकों में यह ट्रेंड नोटबंदी और जीएसटी की बाद बढ़ा है।

रोजगार के कम हुए अवसर
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक एक्सपर्ट ग्रामीण इलाकों में कृषि संकट और नौकरी के कम होते अवसरों को इसकी वजह मान रहे हैं। एक गैर-सरकारी संगठन ‘मजदूर किसान शक्ति संगठन’ के संस्थापक सदस्य निखिल डे ने बताया कि अर्थव्यवस्था मंद पड़ गई है। ऐसे में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम हो गए हैं। इसलिए युवाओं ने मनरेगा की तरफ रुख किया है।

युवा मजदूरों की बढ़ी संख्या
वित्त वर्ष 2013-14 में मनरेगा के तहत काम कर रहे 18 से 30 वर्ष के युवाओं की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा थी। हालांकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा घटकर 58.69 लाख हो गया। लेकिन नवंबर 2016 में नोटबंदी और 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद वित्त वर्ष 2018-19 में मनरेगा में काम करने वाले युवाओं की संख्या बढ़कर 70.71 लाख हो गई। युवाओं के इस अनुपात में बढ़ोतरी चालू वित्त वर्ष में भी जारी है। आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर माह तक मनरेगा के युवा कामगारों की संख्या 57.57 लाख हो गई है।

वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़े 9.1% युवा मजदूर
अगर अनुपातिक हिसाब से गणना करें, तो वित्त वर्ष 2013-14 में मनरेगा के तहत काम कर रहे युवाओं का अनुपात 13.64 प्रतिशत था और जो 2017-18 में घटकर 7.73 प्रतिशत हो गया, वो 2018-19 में बढ़कर 9.1 और 2019-20 में 10.06 प्रतिशत हो गया।

jyoti choudhary

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