रूई बाजार में 5 माह बाद 4770 रुपए ऊंचे स्तर से भारी हलचल

Monday, Jun 11, 2018 - 12:03 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत से विभिन्न देशों को चालू कपास सत्र के दौरान इस बार रूई गांठों का निर्यात 78 से 80 लाख गांठ होने की बात बाजार में आई है जिसमें से अब तक करीब 67 लाख गांठों की शिपमैंट हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार 1 अक्तूबर, 2017 से शुरू हुए कपास सत्र वर्ष 2017-18 के दौरान भारतीय कपास संघ ने इस सत्र के भीतर करीब 63 लाख गांठ निर्यात होने की सम्भावना जताई थी लेकिन बाद में संघ ने निर्यात होने का आंकड़ा 63 से 75 लाख गांठ होने की उम्मीद जताई क्योंकि विदेशों में भारतीय रूई की काफी अच्छी मांग बनी हुई है। एक सूत्र का मानना है कि रूई निर्यात 90 लाख गांठ का आंकड़ा पार हो सकता है। कपास सत्र 2016-17 के दौरान 58.50 लाख गांठ निर्यात होने की खबर है।

सूत्रों की मानें तो भारतीय टैक्सटाइल्ज उद्योग को रूई की कोई कमी नहीं है, चाहे रूई निर्यात बीते वर्ष की तुलना में अधिक हुआ है। देश में अब तक करीब 3.55 करोड़ गांठ कपास मंडियों में आने की खबर है। यह आमद इस बार 3.80 से 3.85 करोड़ गांठ होने के कयास लगाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार भारतीय रूई बाजार में 5 माह बाद अब रूई बाजार पटरी पर सुपरफास्ट की तेजी से ऐसी दौड़ी है कि रूई कारोबारियों में तूफान जैसी हालत पैदा कर दी है। करीब 4 हफ्ते पहले रूई के भाव पंजाब 4345-4360 रुपए मन, हरियाणा 4340-4350 रुपए मन, हनुमानगढ़ सर्कल 4355-4360 रुपए मन थे, जो अब ऊंची छलांग लगा कर पंजाब 4745-4765 रुपए मन, हरियाणा  4745-4765 रुपए मन, हनुमानगढ़ सर्कल 4765-4770 रुपए मन हो गए हैं। हरियाणा में 4770 रुपए मन व पंजाब में 4751 रुपए मन कारोबार दर्ज हो चुका है। करीब 4 हफ्तों के भीतर रूई कीमतों में करीब 400 रुपए मन तेजी को भारतीय रूई बाजार में भयंकर तेजी माना जाता है। सूत्रों के अनुसार रूई की भयंकर तेजी में अधिकतर कताई मिलर बाजार से दूर ही रहे हैं जबकि बाजार लगातार सुपरफास्ट पटरी पर दौड़ रहा है। रूई लिवाल व बिकवाल दोनों ही 11 जून की मार्कीट पर तीखी निगाहें लगाए हुए हैं।

रूई स्टाकिस्टों की खुली लाटरी
आखिरकार कई महीनों बाद ग्रहों के राज कुमार बुध व लक्ष्मी जी के कोषाध्यक्ष कुबेर जी को भारतीय कपास जिनरों, मल्टीनैशनल रूई कम्पनियों, कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया (सी.सी.आई.), रूई ट्रेडर्स की लाटरी खोल दी है तथा उन पर 400 रुपए मन धन की बरसात कर दी है लेकिन अब देखने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि कौन-कौन सा रूई स्टाकिस्ट धन की बरसात का फायदा उठा पाएगा। माना जाता है कि रूई स्टाकिस्टों के पल्ले 40 से 50 लाख गांठों का अनसोल्ड स्टाक है जो रूई बाजार में कई हजार करोड़ रुपए का माना जाता है। स्टाकिस्टों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि रूई जल्दी ही 5000 रुपए मन आंकड़ा पार करके नया भाव दर्ज करके सभी को हैरत करेगी।

कताई मिलों के यार्न तेजी को ब्रेक
भारतीय स्पिङ्क्षनग मिलों के बीते 6-7 महीनों से धन की देवी लक्ष्मी जी ने खजाने ऊपर तक भरने के बाद यार्न की तेजी को ब्रेक लगा दिए हैं। सूत्रों की मानें तो स्पिङ्क्षनग मिलों पर ऐसी धन की बारिश वर्ष 2010-11 में हुई थी जिससे चौतरफा मिलों को बड़ी खुशहाली हो उठी और अनेक मिलों ने अपने कताई कतलों में वृद्धि की। सूत्रों के अनुसार यार्न भाव पुन: तेजी की तरफ चल सकते हैं।

कपास की बुआई में कमी
सूत्रों के अनुसार देश में कपास की अभी तक केवल 12.48 लाख हैक्टेयर रकबा में ही बुआई हो पाई है, जबकि पिछले वर्ष इस अवधि के दौरान तक 14.06 लाख हैक्टेयर में कपास की बुआई हो चुकी थी। उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की बुआई लगभग पूरी होने जा रही है। इन राज्यों में बुआई कम हुई है लेकिन अभी तक बुआई कितनी घटी है इसका अनुमान लगाया जा रहा है। दूसरी ओर देश के बड़े-बड़े कपास उत्पादक राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट, आंध्र प्रदेश आदि में कपास की बुआई अभी शुरू ही हुई है। चालू कपास सत्र 2017-18 के लिए किसानों ने कपास सत्र 2016-17 के मुकाबले करीब 19 फीसदी अधिक बुआई की थी। इस बार बुआई घट सकती है। 

व्हाइट गोल्ड हुआ तेज
रूई 7वें आसमान पर बैठने से व्हाइट गोल्ड के भाव 600-700 रुपए क्विंटल तेज हुए हैं, जिससे किसानों के चेहरों पर मुस्कान नजर आई है। सूत्रों के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में कपास आमद मात्र 1300-1500 गांठ रोजाना रह गई है। कपास ऊपर में 5700-5800 रुपए क्विंटल बिकने की सूचना है।

jyoti choudhary

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