सरकार के एक फैसले से फंसे 9000 करोड़ रुपए

Thursday, Aug 10, 2017 - 10:17 AM (IST)

नई दिल्ली: सरकार ने तो 331 कंपनियों को मुखौटा कंपनियां करार देकर उनके शेयर कारोबार पर रोक लगा दी लेकिन असली मार निवेशकों पर पड़ी, जिनमें म्युचूअल फंड और छोटे निवेशक भी शामिल हैं। इन कंपनियों में निवेशकों के करीब 9000 करोड़ रुपए फंस गए हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने स्टॉक एक्सचेंजों को मुखौटा कंपनियों में शेयरों की खरीद-बिक्री फौरन बंद करने का निर्देश दिया था। उसकी फेहरिस्त में 331 कंपनियां दी गई थीं, जिन्हें कंपनी मामलों के मंत्रालय ने मुखौटा करार दिया था। मंत्रालय ने गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एस.एफ.आई.ओ.) और आयकर विभाग की सलाह पर मुखौटा कंपनियों की पहचान की है।

क्या है मुखौटा कंपनियां
उन कंपनियों को मुखौटा कंपनी कहा जाता है, जिनका कोई कारोबार नहीं होता या संपत्ति नहीं होती लेकिन इन 331 कंपनियों में से कई ऐसी हैं, जो कारोबार में सक्रिय हैं। कम से कम 5 ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें से हरेक का बाजार पूंजीकरण 500 करोड़ रुपए से भी अधिक है और जिनके शेयरधारकों में संस्थागत निवेशकों के साथ खुदरा निवेशक भी शामिल हैं। इन कंपनियों को छठे चरण की निगरानी श्रेणी में रखा गया है। इस श्रेणी में महीने में केवल एक बार शेयर कारोबार की अनुमति दी जाती है और जितनी कीमत के शेयरों का कारोबार होता है उसकी तीन गुना राशि बतौर जमानत जमा करानी पड़ती है।

कंपनियों ने सेबी को दिया स्पष्टीकरण
कई कंपनियों ने सेबी और कंपनी मामलों के मंत्रालय को विवरण देकर समझाया है कि वे मुखौटा कंपनियां नहीं हैं। स्टैकहोल्डर्स इंपावरमैंट सॢवसेज (एस.ई.एस.) के प्रबंध निदेशक जे.एन. गुप्ता ने कहा इसकी संभावना हो सकती है कि मुखौटा कंपनियों के तौर पर वर्गीकृत कंपनियां वास्तविक हों। ऐसे मामले में वह पाबंदी हटाने के लिए सेबी तथा स्टॉक एक्सचेंज से संपर्क कर सकती हैं। यह निरोधात्मक कदम होगा और जो दोषी नहीं हैं, उन्हें ठीक किया जा सकता है। वहीं जे. कुमार इंफ्रा ने कहा कि स्पष्ट किया जाता है कि वह कंपनी नहीं है और नियामक का संदेह अनुचित है। हमारी कंपनी एक्सचेंज और कंपनी पंजीयक दोनों के नियमों का अनुपालन करती है। यह कंपनी अभी कई परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें से कुछ सरकारी ठेके भी शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि सूची में 3 दर्जन से अधिक कंपनियां तकनीकी रूप से मुखौटा कंपनी की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती हैं और सर्कुलर को संशोधित किया जा सकता है। सूत्र ने कहा कि जिन कंपनियों ने शिकायत दर्ज कराई है, नियामक उनका सत्यापन कर रहा है। हालांकि इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है। ऑडिटर और नियामकीय प्राधिकारणों से हरी झंडी मिली तो सेबी पाबंदी हटा सकता है।

10-12 कम्पनियों पर से हट सकती है रोक
मार्कीट रैगुलेटर सेबी जल्द ही कुछ शेल कम्पनियों में फिर से ट्रेडिंग की मंजूरी दे सकता है। सेबी शेल कम्पनियों को अपना पक्ष में रखने का मौका देगा। माना जा रहा है कि 10-12 कम्पनियों में ट्रेडिंग शुरू हो सकती है। सेबी को इन कम्पनियों में नोटबंदी के दौरान हुए ट्रांजैक्शन पर संदेह था। ट्रेडिंग रोकने से पहले कम्पनियों से पूछताछ की गई थी।

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