आजादी के 70 साल बाद भी भारतीय जहाज ढो रहे हैं गुलामी की यह निशानी

Saturday, Dec 02, 2017 - 01:41 PM (IST)

नई दिल्लीः देश को आजाद हुए आधी सदी से ज्यादा वक्त बीत चुका है। बावजूद इसके हम आज भी गुलामी के प्रतीकों को ढो रहे हैं। जी हां, भले ही भारत आज एक आजाद देश है, लेकिन विमानन जगत में आज भी भारत की पहचान ‘वायसराय टेरेटरी’ के तौर पर होती है जो अंग्रेजी शासन में दिया गया एक कोड है। दरअसल, विमान की पहचान सुनिश्चित करने के लिए इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (आई.सी.ए.ओ.) सभी देशों को एक कोड देता है। भारत के हर हवाई जहाज का नाम VT से ही शुरु होता है, लेकिन देश के ज्यादातर लोगों को पता नहीं है कि यह वीटी आखिर है क्या?

अंग्रेजी शासन में मिला VT कोड
भारत को आई.सी.ए.ओ. से वीटी कोड 1929 में मिला था। उस समय भारत में अंग्रेजों का राज था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि भारत अपनी गुलामी की इस पहचान को बदलने में नाकाम रहा है। ब्रिटिश शासन के अधीन देशों को वीए से लेकर वीजेड तक के कोड दिए गए थे। एयर इंडिया की वरिष्ठ महिला अधिकारी ने इसे बदलवाने के लिए विमानन मंत्रालय से गुहार लगाई है। उन्होंने मंत्री को भेजे पत्र में लिखा है, ‘आई.सी.ए.ओ. के अनुसार सभी देशों को अल्फाबेटिक कोड चुनने का अधिकार है, जिससे विमानों की राष्ट्रीयता आसानी से पहचानी जा सके।अंग्रेजों के समय भारत को ‘वीटीए’ कोड आवंटित किया गया, जिसे 1928 में बदल कर ‘वीटी’ किया गया। हमारे विमानों की पहचान अब भी वायसराय टेरेटरी के तौर पर होती है। यह बेहद दुखद है। मेरा अनुरोध है कि प्राथमिकता के साथ उपयुक्त मंच पर इस बात को उठा कर रजिस्ट्रेशन कोड को बदलवाया जाए।’  हैरान करने वाली बात है कि चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और फिजी जैसे देशों ने भी इस कोड को बदलकर नया कोड ले लिया, लेकिन भारत ऐसा करने में नाकाम रहा है।

यूपीए सरकार में हुई थी कोशिश
वीटी कोड से आजादी पाने की कोशिश 2004 में यूपीए सरकार में हुई थी। भारत ने बीए (भारत) या आईएन (इंडिया) कोड हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन पता चला कि B कोड चीन और I कोड इटली पहले ही ले चुका है। इसके बाद तत्कालीन सिविल एविएशन मिनिस्टर प्रफुल्ल पटेल ने ऐलान किया था कि मनमुताबिक कोड उपलब्ध नहीं होने के कारण भारत VT कोड ही जारी रखेगा।

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