51% भारतीयों के पास रिटायरमेंट की कोई योजना नहीं, सर्वे में सामने आए हैरान करने वाले आंकड़े

Friday, Oct 23, 2020 - 04:46 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को लेकर क्या योजना है? इस सवाल का जवाब अभी आधे से अधिक भारतीयों के पास नहीं है। एक सर्वे के नतीजे यह बताते हैं कि देश में करीब 51 फीसदी लोगों के पास रिटायरमेंट को लेकर कोई प्लान नहीं है। लोगों की प्राथमिकता रिटायरमेंट प्लानिंग की बजाय बच्चों और पति या पत्नी की फाइनेंशियल सिक्युरिटी है। यह धारणा अब पुरानी पड़ चुकी है कि भारत बचत करने वालों का देश है। होम लोन, अनसेक्योर्ड लोन और क्रेडिट कार्ड की बढ़ती संख्या से यह पता चलता है कि भारतीय अब लाइफ स्टाइल से जुड़े खर्चों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। यह खुलासा PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के सर्वे में हुआ है।

PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड प्रुडेंशियल फाइनेंशियल इंक के वैश्विक निवेश प्रबंधन कारोबार PGIM की पूर्ण स्वामित्व वाली कारोबारी इकाई है। उसने यह सर्वे नीलसन के जरिए कराया है। इस सर्वे में इस बात का अध्ययन करने का अध्ययन किया गया था कि लोगों का रिटायरमेंट के प्रति किस तरह का नजरिया रहता है।

यह भी पढ़ें- SBI ने बदला ATM से कैश निकालने का नियम, आइए जानें इससे जुड़ी सभी बातें

15 शहरों में किए गए सर्वे में पूछे गए सवाल
यह सर्वे देश भर के 15 शहरों में किया गया। इसमें कुछ खास सवालों पर जोर दिया गया, जैसे भारतीय लोग कब रिटायरमेंट की प्लानिंग करते हैं और इसकी संभावित वजहें क्या होती हैं। वे किस तरह के वित्तीय साधनों का इस्तेमाल करते हैं। क्या जागरूकता का अभाव रिटायरमेंट प्लानिंग को कमजोर कर देता है, क्या भारतीय लोग रिटायरमेंट प्लानिंग पर ज्यादा जानकारी के लिए उत्सुक हैं और उनमें इस तरह की जागरूकता बढ़ाने के लिए नियोक्ता किस तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

यह भी पढ़ें-  सैमसंग ने शुरू किया ‘होम फेस्टिव होम', 20 हजार रुपए तक कैशबैक के साथ मिल रहे कई ऑफर

सर्वे के निष्कर्ष

  • आज शहरी भारतीय बचत और निवेश कम कर रहे हैं। वे अपनी आमदनी का करीब 59% मौजूदा खर्चों पर लगा रहे हैं।
  • सर्वे में शामिल 51% लोगों ने अपनी रिटायरमेंट के लिए कोई वित्तीय योजना नहीं बनाई है।
  • 89% ऐसे भारतीय जिन्होंने रिटायरमेंट की कोई तैयारी नहीं की है, उनके पास आय का कोई वैकल्पिक स्रोत भी नहीं है।
  • हर 5 भारतीय में से महज 1 ही रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय महंगाई पर विचार करता है।
  • सर्वे में शामिल 41% लोगों ने कहा कि रिटायरमेंट के लिए निवेश में उन्होंने जीवन बीमा पर जोर दिया है, जबकि 37% ने सावधि जमा योजनाओं यानी एफडी को प्राथमिकता दी है।
  • 48% प्रतिभागियों को यह अंदाजा नहीं था कि रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए उन्हें कितनी रकम चाहिए होगी।
  • सर्वे में शामिल 48% वे लोग जिन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि कितनी रकम चाहिए, उनमें से 69% ने आखिरकार कोई रिटायरमेंट प्लान नहीं किया। इसके विपरीत जिन 52% लोगों में इसे लेकर जागरूकता थी कि उन्हें रिटायरमेंट के बाद जीवन के लिए कितनी रकम चाहिए होगी, उनमें से 66% लोगों के पास रिटायरमेंट की प्लानिंग थी।
  • भारतीय लोग जब रिटायरमेंट की प्लानिंग करते हैं तो अपने जीवन की व्यक्तिगत घटनाओं का तो ध्यान रखते हैं, लेकिन बाहरी घटनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं।
  • शहरी भारतीयों का औसतन करीब 50 लाख रुपए की निधि तैयार करने का लक्ष्य होता है। सर्वे में शामिल लोगों की औसत सालाना आय करीब 5.72 लाख रुपए और औसत आयु 44 वर्ष थी। इन प्रतिभागियों का यह मानना है कि उन्हें रिटायरमेंट के लिए करीब 50 लाख रुपए के निधि की जरूरत होगी जो उनके मौजूदा सालाना आमदनी का करीब 8.8 गुना है।
  • प्राइवेट सेक्टर के केवल 46% कर्मचारियों ने यह माना कि उनके नियोक्ताओं ने उन्हें रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए प्रेरित किया है।

फिटनेस और लाइफस्टाइल पर फोकस
सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि रिटायरमेंट प्लानिंग लोगों की प्राथमिकता में नीचे है, जबकि बच्चों और पति या पत्नी की वित्तीय सुरक्षा और यहां तक कि फिटनेस एवं लाइफस्टाइल इसमें ऊपरी पायदान पर हैं। संयुक्त परिवार में रहने वाले भारतीय वित्तीय रूप से ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं और इसे अब भी रिटायरमेंट के लिए एक महत्वपूर्ण आधार व्यवस्था मानी जाती है।

यह भी पढ़ें- प्याज ने बिगाड़ा रसोई का बजट, पिछले एक महीने में 4 गुना बढ़े दाम

PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ अजीत मेनन के मुताबिक सिर्फ एक वित्तीय लक्ष्य के लिए लोन नहीं मिल सकता, वह है रिटायरमेंट। बाकी हर चीज के लिए लोन मिल सकता है, उच्च शिक्षा के लिए, मकान, कार, कारोबार शुरू करने आदि। इसीलिए हम सबके ऊपर खुद ही यह जिम्मेदारी आ जाती है कि इसके लिए हर तरह से तैयार रहें।   

jyoti choudhary

Advertising