बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 357 परियोजनाओं की लागत 3.39 लाख करोड़ रुपए बढ़ी

Monday, Nov 12, 2018 - 12:08 PM (IST)

नई दिल्लीः देश में 150 करोड़ रुपए से ज्यादा के 357 इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की लागत में कुल 3.39 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो गई है। एक सरकारी रिपोर्ट में बताया गया कि ऐसा कामकाज में देर और दूसरी वजहों से हुआ। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर नजर रखता है। 

जून 2018 के लिए मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में कहा गया, '1362 प्रोजेक्ट्स की कुल मूल लागत 1703840.01 करोड़ रुपए थी। उनको पूरा करने की अनुमानित लागत 2043024.21 करोड़ रुपए हो सकती है। इस तरह मूल लागत के मुकाबले 339184.20 करोड़ रुपये यानी 19.91 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिख रही है।' 

इन 1362 प्रोजेक्ट्स में से 357 में लागत बढ़ने की रिपोर्ट है, जबकि 272 प्रोजेक्ट्स देरी के शिकार हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जून 2018 तक इन प्रोजेक्ट्स पर 786754.10 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे, जो अनुमानित लागत के 38.51 प्रतिशत के बराबर है। हालांकि इसमें कहा गया कि अगर काम पूरा होने के लेटेस्ट शेड्यूल के आधार पर देरी की गणना की जाए तो देरी के शिकार प्रोजेक्ट्स की संख्या घटकर 198 पर आ गई है। 

667 प्रोजेक्ट्स के मामले में न तो उनके शुरू होने के साल और न ही काम पूरा हो सकने की अनुमानित अवधि का जिक्र किया गया। देर वाले 772 प्रोजेक्ट्स में से 65 प्रोजेक्ट्स में एक से 12 महीने, 53 प्रोजेक्ट्स में 13 से 24 महीने, 74 प्रोजेक्ट्स में 25 से 60 महीने और 80 प्रोजेक्ट्स में 61 महीने या इससे ज्यादा देर होने की बात बताई गई। 

प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहीं विभिन्न एजेंसियों ने देरी की वजहें गिनाते हुए भूमि अधिग्रहण, फॉरेस्ट क्लियरेंस, इक्विपमेंट सप्लाई में विलंब का हवाला दिया। इनके अलावा फंड हासिल करने में मुश्किल, भौगोलिक दिक्कतों, उपकरण लगाने में परेशानी, जियो-माइनिंग से जुड़ी स्थितियों, सिविल वर्क्स में देर, लेबर की तंगी, माओवादियों से जुड़ी समस्या, अदालती मामलों, ठेके से जुड़ी दिक्कतों, कानून-व्यवस्था की स्थिति आदि का जिक्र भी किया गया। 

यह भी देखा गया कि प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहीं एजेंसियां रिवाइज्ड कॉस्ट एस्टिमेट्स और कमीशनिंग शेड्यूल की जानकारी नहीं दे रही हैं। इससे लग रहा है कि लागत और काम पूरा होने में लगने वाले समय में और बढ़ोतरी हो सकती है। 
 

jyoti choudhary

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