2G घोटाले ने टैलीकॉम इंडस्ट्री की तोड़ी कमर

Friday, Dec 22, 2017 - 09:40 AM (IST)

नई दिल्लीः 2जी घोटाले की वजह से न केवल सरकारी खजाने को करोड़ों-अरबों का चूना लगा, बल्कि इस घोटाले ने टैलीकॉम इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी, जिसके चलते इन 6 वर्षों के दौरान टैलीकॉम सैक्टर भी काफी बदल चुका है। 2जी स्पैक्ट्रम ने टैलीकॉम सैक्टर को लेकर जहां सरकार को अपनी नीतियां बदलने पर मजबूर किया है वहीं कार्पोरेट्स ने भी अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया।

बदला स्पैक्ट्रम बेचने का तरीका
सरकार ने स्पैक्ट्रम बेचने का तरीका बदल दिया। अब स्पैक्ट्रम नीलामी के जरिए बेचे जाते हैं। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कई टैलीकॉम लाइसैंस रद्द कर दिए थे। इसकी वजह से विदेशी टैलीकॉम कंपनियों ने भी भारत में अपना कारोबार शुरू करने से अपने हाथ पीछे खींचना शुरू कर दिया था।

बैंक लोन पर भी पड़ा असर
इस घोटाले का असर बैंकों की तरफ  से टैलीकॉम कंपनियों को दिए जाने वाले लोन पर भी पड़ा। कम्पनियों की हालत खस्ता होने के चलते रिजर्व बैंक ने टैलीकॉम सैक्टर को लेकर रैड फ्लैग जारी किया था। उसने इस दौरान बैंकों से कहा था कि टैलीकॉम सैक्टर को लेकर अपने रुझान की समीक्षा करें।

मर्जर की ओर बढ़ी कंपनियां
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 18 ऑप्रेटर्स के लाइसैंस कैंसिल कर दिए थे। वर्तमान में 11 ऑप्रेटर्स देश में मोबाइल सर्विस मुहैया करते हैं। 2012 के बाद से टैलीकॉम सैक्टर पर तेजी से दबाव बढ़ा है। इसके साथ ही रिलायंस जियो की एंट्री ने यह दबाव और बढ़ा दिया है। इसकी वजह से मर्जर की नई बयार भी इस सैक्टर में चल पड़ी है।

भारत में रह जाएंगे सिर्फ  5 प्रमुख प्लेयर
अगर प्रस्तावित मर्जर होता है तो भारत में भी विकसित देशों की तरह ही 5 प्रमुख टैलीकॉम ऑप्रेटर्स रह जाएंगे। इसमें भारती एयरटैल, वोडाफोन-आइडिया, रिलायंस जियो, बी.एस.एन.एल. और एम.टी.एन.एल. जैसे प्रमुख प्लेयर हो सकते हैं।

1.5 लाख नौकरियां दाव पर
घोटाले की वजह से टैलीकॉम कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ा है। अब हालत यह है कि इस सैक्टर में बहुत ही कम कंपनियां बची हैं और जो बची भी हैं उन पर कर्ज का भारी बोझ है, जिसके चलते लगातार कर्मचारियों की छंटनी हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक कुछ महीनों में करीब 1.5 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है।

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