नोटबंदी के 2 साल बाद बेरोजगारी बढ़ी, नई नौकरी पाने वाले भी घटे

Thursday, Nov 08, 2018 - 03:13 PM (IST)

बिजनैस डेस्कः 08 नवंबर 2016 इतिहास मे यादगार दिन के तौर पर जाना जाता है  क्योकि पीएम नरेंद्र मोदी ने रात आठ बजे नोटबंदी लागू करने की घोषणा की थी। नोटबंदी से कुछ खास असर तो नहीं दिखाई किया बल्कि दूसरी और दो वर्षों में रोजगार पाने वालों के लिए संकट और गहराता चला गया है। थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) के मुताबिक इस साल अक्टूबर में देश में बेरोजगारी की दर 6.9 फीसदी पर पहुंच गई है जो पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा है। श्रमिक भागीदारी भी घटकर 42.4 फीसदी पर पहुंच गया है जो जनवरी 2016 के आंकड़ों से बी नीचे है। श्रमिक भागीदारी का आंकड़ा नोटबंदी के बाद बहुत तेजी से गिरा है। उस वक्त यह आंकड़ा 47-48 फीसदी था जो दो सालों के बाद भी हासिल नहीं कर सका।

नई नौकरी पाने वाले भी घटे
नई नौकरी पाने वालों का भी आंकड़ा गिरा है। थिंक टैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2018 में कुल 39.7 करोड़ लोगों के पास रोजगार थे जो पिछले साल यानी अक्टूबर 2017 से 2.4 फीसदी कम है। अक्टूबर 2017 में यह आंकड़ा 40.7 करोड़ था। सीएआईई के मुताबिक एक साल में आई यह कमी लेबर मार्केट में मांग में आई गिरावट की वजह से दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नौकरी पाने की टकटकी लगाए बेरोजगारों के आंकड़ों में भी एक साल में बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2017 के जुलाई में ऐसे बेरोजगारों की संख्या 1.4 करोड़ थी जो 2018 के अक्टूबर में बढ़कर 2.95 करोड़ हो गई। 2017 के ही अक्टूबर में यह आंकड़ा 2.16 करोड़ हो गया था।

नहीं सुधर रही बेरोजगारी दर
सीएमआईई द्वारा जारी बेरोजगारी के आंकड़ों पर टीओआई से बात करते हुए सीआईईएल के एचआर सर्विसेज के सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा कहते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अमूमन सभी सेक्टर्स में अक्टूबर से दिसंबर तक रोजगार सृजन का वक्त होता है लेकिन ताजा रिपोर्ट से स्थिति गंभीर लगती है। बतौर मिश्रा हर साल तकरीबन 1.3 करोड़ लोग देश के लेबर मार्केट में एंट्री करते हैं, बावजूद इसके बेरोजगारी का दर नहीं सुधर सका। उनके मुताबिक अभी भी पावर, इन्फ्रास्ट्रक्चर और आईटी इंडस्ट्री पटरी पर नहीं आ सकी है। संभवत: बेरोजगारी बढ़ने का यह भी एक कारण हो सकता है।

Isha

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