जेट एयरवेज की वजह से एक महीने में घट गईं 13 लाख सीटें
Saturday, Mar 23, 2019 - 01:28 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः पिछले एक महीने में एयरलाइन इंडस्ट्री में काफी उथल-पुथल मची हुई है। जबसे इथोपियन एयरलाइन का बोइंग विमान क्रैश हुआ है, तब से दिक्कते और भी बढ़ गई हैं। आंकड़ों की मानें तो जेट एयरवेज द्वारा विमान सेवा हटा लेने से करीब एक महीने में 13 लाख सीटें कम हो गईं हैं। इससे घरेलू उड़ानों के मामले में सबसे तेजी से बढ़ते बाजार की भारत की छवि को धक्का पहुंचा है, क्योंकि घरेलू उड़ानों के मामले में भारत का बाजार काफी तेजी से बढ़ रहा था। प्रति महीने सीटों की संख्या के अनुमानित आंकड़े से पता चला है कि फरवरी महीने में घरेलू उड़ानों की कुल सीटें में 1 करोड़ 47 लाख से घटकर 1 करोड़ 34 लाख रह गईं हैं। इसकी मुख्य वजह जेट एयरवेज के कई विमानों का उड़ान नहीं भरना है।
इन एयरलाइन ने भी दिया झटका
जेट एयरवेज के अलावा देश की बाकी एयरलाइंस की ओर से सीटें कम हुई हैं। देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो इन दिनों पायलटों की कमी से जूझ रही है। इससे भी सीट कपैसिटी पर असर पड़ा है। इंडिगो ने पायलटों की कमी के कारण रोज के 1,300 में से 30 उड़ानें घटाने का ऐलान कर रखा है। इस बीच डीजीसीए के आदेश पर स्पाइसजेट ने अपने बोइंग 737 मैक्स विमानों को सेवा से हटा लिया। इससे भी फ्लाइट्स की सीटें कम हुईं लेकिन इसका आंकड़ा अभी सामने नहीं आया है। इससे पहले किंगफिशर के 69 विमानों के सेवा में हटने से सीटें घटने की बात सामने आई थी।
सिर्फ जेट के 84 विमान हटे
जेट एयरवेज मुख्य रूप से लीज की रकम नहीं चुका पाने के कारण अब तक 84 विमान सेवा से हटा चुकी है। वहीं, स्पाइसजेट को 12 बोइंग 737 मैक्स विमानों को हटाना पड़ा है। उड़ानों की कमी के कारण हवाई किराया बढ़ गया है। साथ ही, डोमेस्टिक एविएशन मार्केट में दोहरे अंकों में यात्रियों की तादाद बढ़ने की रफ्तार भी थमने का डर सता रहा है।
बढ़ गया किराया
ट्रैवल ऐनालिस्ट्स की मानें तो सीटों में हुई अभूतपूर्व कमी का उतना बवाल नहीं मचा जितना मचना चाहिए था क्योंकि अभी भीड़भाड़ का सीजन नहीं है। ट्रैवल एजेंट्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेजिडेंट संजय नरूला ने कहा, 'अगर ऐसा होता रहा तो हमें लगता है कि यात्रियों के हॉलिडे प्लान्स बुरी तरह प्रभावित होंगे और टुरिजम सेक्टर को झटका लगेगा। अभी इंडियन एविएशन के लिए यह सब ठीक नहीं है।' नरूला ने आगे बताया कि घरेलू उड़ानों का औसत किराया करीब 35 प्रतिशत बढ़ गया है जबकि दिल्ली-मुंबई जैसे व्यस्त रूटों पर तात्कालिक किराया 50 से 100 प्रतिशत तक बढ़ गया।