ESIC योजना से इस साल जनवरी में 11.55 लाख नए सदस्य जुड़े

Friday, Mar 26, 2021 - 10:48 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की सामाजिक सुरक्षा योजना से इस साल जनवरी में 11.55 लाख नए सदस्य जुड़े। इससे पूर्व माह में इस योजना से 12.22 लाख सदस्य जुड़े थे। ताजा आंकड़ा राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की रिपोर्ट का हिस्सा है। आंकड़ों के अनुसार सकल रूप से ईएसआईसी की योजना से जून 2020 में 8.87 लाख, मई में 4.89 लाख और अप्रैल में 2.63 लाख सदस्य जुड़े थे। यह बताता है कि कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद से योजनाओं से जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या बढ़ी है यानी नए लोगों को नियमित वेतन पर रोजगार प्राप्त हुए। 

जुलाई 2020 में ईएसआईसी की योजना से जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या सकल रूप से 7.63 लाख थी जो अगस्त में सुधरकर 9.5 लाख, सितंबर में 11.58 लाख और अक्टूबर 2020 में 12.09 लाख रही। वहीं दिसंबर में यह बढ़कर 12.22 लाख पहुंच गई। एनएसओ की रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में ईएसआईसी की योजनाओं से जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या 1.51 करोड़ रही जो 2018-19 में 1.49 करोड़ थी। सितंबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान करीब 83.35 लाख नए अंशधारक ईएसआईसी योजना से जुड़े थे।

रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2017 से जनवरी 2021 के दौरान ईएसआईसी से जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या 4.75 करोड़ रही। एनएसओ की रिपोर्ट ईएसआईसी, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) की योजनाओं से जुड़ने वाले नए अंशधारकों के आंकड़ों पर आधारित है। एनएसओ इन संगठनों के आंकड़े अप्रैल 2018 से जारी कर रहा है। इसमें सितंबर 2017 से आंकड़े लिये गये हैं। रिपोर्ट के अनुसार शुद्ध रूप से ईपीएफओ से जनवरी में 13.36 लाख नए अंशधारक जुड़े। यह दिसंबर 2020 के 10.81 लाख से अधिक है। 

इसमें कहा गया है कि सितंबर 2017 से जनवरी 2021 के दौरान करीब 4.03 करोड़ (सकल) नए अंशधारक ईपीएफओ योजना से जुड़े। ‘भारत में पेरोल (नियमित वेतन पर रखे गए लोग) रिपोटिंग: रोजगार परिदृश्य-जनवरी 2021' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि सदस्यों की संख्या विभिन्न स्रोतों से ली गई है, ऐसे में आंकड़ों में दोहराव हो सकता है और अनुमान को जोड़ा नहीं जा सकता। एनएसओ ने यह भी कहा कि रिपोर्ट संगठित क्षेत्र में रोजगार के परिदृश्य को बताती है और यह समग्र रूप से नौकरी का आकलन नहीं करती। 
 

jyoti choudhary

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