RBI के डिप्टी गवर्नर पद की रेस में 10 नाम, PMO जल्द लेगा फैसला

Monday, Nov 11, 2019 - 01:54 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक में विरल आचार्य के द्वारा इस्तीफे देने के बाद से खाली पड़े डिप्टी गवर्नर पद की रेस में 10 नाम रह गए हैं। विरल आचार्य केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीति समीक्षा विभाग को देखते थे। इस बारे में 10 लोगों का इंटरव्यू फाइनेंशियल सेक्टर रेग्यूलेटरी अप्वाइंटमेंट सर्च कमेटी (FSRASC) ने किया था। अब प्रधानमंत्री कार्यालय इस बारे में फैसला लेगा। 

अगस्त से खाली पड़ा है पद
विरल आचार्य ने अगस्त 2019 में अपने पद से इस्तीफा दिया था। तब से लेकर के अभी तक यह पद खाली पड़ा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक जिन आठ लोगों को इस पद के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैः

  • चेतन घाटे, प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान
  • अरुणिश चावला, संयुक्त सचिव, व्यय विभाग
  • मनोज गोविल,प्रमुख वित्त सचिव
  • छत्रपति शिवाजी, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर एडीबी
  • संजीव सांयल, मुख्य आर्थिक सलाहाकार
  • टीवी सोमनाथन, अतिरिक्त मुख्य सचिव, तमिलनाडु
  • माइकल पात्रा, आरबीआई एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर
  • प्राची मिश्रा, अर्थशास्त्री, गोल्डमैन सॉक्स

घाटे और पात्रा आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में हमेशा सदस्य के नाते भाग लेते हैं और सूत्रों के मुताबिक ये दोनों इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।  

यह लोग हैं कमेटी में शामिल
इस कमेटी में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और वित्तीय मामलों के सचिव भी शामिल हैं। FSRASC किसी भी व्यक्ति को इस पद के लिए बिना आवेदन के भी इस पद के लिए संस्तुति कर सकती है। आरबीआई में फिलहाल एन एस विश्वानाथन, बीपी कानूनगो और एमके जैन डिप्टी गवर्नर के पद पर हैं। 

विनिवेश की जरूरत
रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भारत सरकार को बॉन्ड बाजार में हिस्सेदारी घटाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में भारत को बड़ी विनिवेश योजना की जरूरत है। साथ ही भूमि, श्रम और कृषि क्षेत्र में तत्काल बड़े सुधार का प्रयास होना चाहिए। 

‘कोलंबिया विश्वविद्यालय में भारतीय अर्थव्यवस्था: अगले पांच वर्ष’ विषय पर चर्चा के दौरान आचार्य ने आर्थिक विकास तेज करने के लिए कुछ सुधारों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सबसे पहली सलाह यह है कि सरकार को कुछ घोषित योजनाओं को फिलहाल टाल देना चाहिए। यह आसान नहीं होगा, लेकिन ऐसे भारी-भरकम प्रोजेक्ट को तर्कसंगत बनाना होगा जिनसे अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसी योजनाएं जिनका राजनीतिक और सामाजिक रूप से कम प्रभाव पड़ेगा, उन्हें हटाकर नई योजनाओं को शामिल करने पर जोर देना होगा। जनवरी 2017 से जुलाई 2019 तक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर रहे विरल आचार्य ने कहा कि सरकार को बड़े पैमाने पर अपनी हिस्सेदारी बेचने और विनिवेश पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही बांड बाजार से पूंजी जुटाने के बजाए इक्विटी बाजार से धन जुटाने पर जोर देना चाहिए।
 

jyoti choudhary

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