हमेशा सबको मूर्ख नहीं बनाया जा सकता
punjabkesari.in Friday, Oct 13, 2023 - 05:10 AM (IST)

सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी शामिल हैं, जेल में बंद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ने अब समाप्त हो चुके दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में मनी लांङ्क्षड्रग रोकथाम अधिनियम (पी.एम.एल.ए.) के तहत सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। ई.डी. का मामला यह था कि पॉलिसी के लाभाॢथयों से अवैध रूप से एकत्र किया गया पैसा आम आदमी पार्टी (आप) के खजाने में चला गया था।
न्यायाधीशों ने पूछा कि इसमें मुख्य लाभार्थी ‘आप’ को दोषी क्यों नहीं ठहराया गया और केवल सिसोदिया और ‘आप’ के संचार प्रमुख विजय नायर पर ही क्यों ध्यान केंद्रित किया गया? संयोगवश ई.डी. ने इसके बाद ‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया। ठीक उसी दिन सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी। ई.डी. द्वारा उन्हें उसी पी.एम.एल.ए. में उलझाने की कोशिश की गई। इस प्रकार 2024 में अगले लोकसभा चुनाव से पहले ‘आप’ के शीर्ष नेतृत्व को प्रभावी ढंग से कमजोर किया जा रहा है।
हालांकि यदि सर्वोच्च न्यायालय यह व्यवस्था देता है कि ‘घोटाले’ के लाभान्वित होने वाले राजनीतिक दल को मुख्य आरोपी के रूप में दोषी ठहराया जाना चाहिए तो एक पूरी नई खिड़की खुल जाएगी जो हमारे सभी राजनीतिक दलों को प्रभावित कर सकती है। सच तो यह है कि भारत में कोई भी राजनीतिक दल बिना किसी पैसे के चुनाव नहीं लड़ सकता है। यह बिल्कुल संभव नहीं है। यहां तक कि भाजपा, जो चुनावी बांड के माध्यम से कार्पोरेट्स से अपने धन का बड़ा हिस्सा प्राप्त करती है और दान दाताओं को गुमनाम रहने का आश्वासन दिया जाता है, सरकारी कार्यों के ठेकेदारों से रिश्वत लेने से भी गुरेज नहीं करती। कर्नाटक के लोगों ने इस विधानसभा चुनाव में मतदान करने से पहले ही इसे जान लिया था। यदि ई.डी. को राजनीतिक दलों को आरोपी के तौर पर पेश करने के लिए मजबूर किया जाता है तो एन.डी.ए. में भाजपा के सहयोगी दलों का भी ऐसा ही हश्र हो सकता है। उदाहरण के लिए एकीकृत शिवसेना कई दशकों तक बॉम्बे नगर निगम पर नियंत्रण रखती थी।
यह सर्वविदित था कि निगम द्वारा दिए गए किसी भी अनुबंध का 10 प्रतिशत उन नगर सेवकों को जाता था जिनके अधिकार क्षेत्र में कार्य शुरू किए गए थे और बदले में नगर सेवकों ने इस कमाई का बड़ा हिस्सा पार्टी को दे दिया। यह संग्रह का बड़ा हिस्सा इकट्ठा करने की अनिवार्यता के कारण है कि शिवसेना का शिंदे गुट सेवारत नगर सेवकों को अपने पक्ष में करने में व्यस्त है। हर हफ्ते स्थानीय अखबार ऐसे ‘आया राम’ के नाम की सूची छापते हैं जो विदेश चले गए हैं। यदि सुप्रीमकोर्ट इस बात पर जोर देता है कि अवैध धन इकट्ठा करने वाले राजनीतिक दलों के साथ-साथ उन नेताओं पर भी मुकद्दमा चलाया जाना चाहिए जिन्होंने धन इकट्ठा किया है तो कम से कम राज्यों में सत्ता में मौजूद सभी दल मुश्किल में पड़ जाएंगे।
2024 में लोकसभा चुनाव से पहले ही चुनावी सरगर्मी शुरू हो गई है। दिल्ली की राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्ति ‘आप’ के संजय सिंह की गिरफ्तारी इसके आगमन का एक संकेत मात्र थी। व्यक्तिगत रूप से, मैंने ऑनलाइन डिजिटल समाचार पत्र ‘न्यूजक्लिक’ में छपे किसी भी लेख पर नजर नहीं डाली है। दिल्ली पुलिस द्वारा इसके कार्यालयों और ऑनलाइन पेपर के प्रोमोटर और एक निदेशक के घरों पर छापा मारने के बाद ही मुझे इसके संचालन के बारे में अधिक पता चला। दिल्ली पुलिस का दावा है कि इस अखबार को श्रीलंकाई मूल के अमरीकी नागरिक नेविल रॉय सिंघम ने वित्तपोषित किया है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे चीन द्वारा वित्तपोषित किया गया है। यह दिखाने के सबूत कि अमरीकी करोड़पति सिंघम को चीन से पैसा मिला, सार्वजनिक डोमेन में नहीं हैं। यह पैसा भाजपा की प्रतिष्ठा कम करने के लिए दिया गया था और लोकप्रिय प्रधानमंत्री और पार्टी को बदनाम करने के लिए कहानियां छापी गईं। मैंने स्वयं कोई ऐसा लेख नहीं देखा है इसलिए मैं प्रभावित नहीं होऊंगा।
न्यूजक्लिक के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई मतदाता के मतदान केंद्रों पर जाने से ठीक पहले मोदी-शाह सरकार द्वारा की गई एक और कार्रवाई है। क्या ऐसे लेख पढ़कर मतदाता आसानी से प्रभावित हो जाते हैं? अधिकांश शिक्षित मतदाताओं ने पहले ही मन बना लिया होगा कि किसे वोट देना है? मतदान करने वाली अधिकांश जनता अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्र नहीं पढ़ती है। ऐसा करने वालों में से बहुत ही कम लोग न्यूजक्लिक पढ़ते होंगे। भाजपा एक अच्छी प्रचार मशीन है। यह घड़ी जैसी परिशुद्धता के साथ कार्य करती है लेकिन मतदाताओं ने भी लोकप्रियता के सभी बड़े-बड़े वायदों और दावों को देखा है और अपने परिवार के लिए वे क्या उम्मीद करते हैं उसके आधार पर उनका विशलेषण किया है। आप हर समय सभी लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते। यह एक ऐसा सत्य है जिसे सभी राजनेताओं और राजनीतिक दलों को हर समय ध्यान में रखना चाहिए।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)