पेगासस स्पाइवेयर के साथ लोगों की स्वतंत्रता से खिलवाड़

punjabkesari.in Saturday, Jul 31, 2021 - 05:41 AM (IST)

बहुचर्चित पेगासस स्पाइवेयर तकनीकी रूप से जे स बांड टाइप कार्रवाइयों के लिए नवीनतम है जिसका इस्तेमाल चुनिंदा पत्रकारों, राजनीतिक विरोधियों, कार्यकत्र्ताओं तथा अन्य अवांछित तत्वों के खिलाफ किया जाता है जो सत्ताधारियों के विरुद्ध है। यह जानलेवा तकनीकी उपकरण इसराईल के एन.एस.ओ. ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है।

ऐसा कहा जाता है कि एन.एस.ओ. के उपकरण संभावित अपराधियों तथा आतंकवादियों को लक्षित करने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं लेकिन इन दिनों वे पूर्णतय: अलग जासूसी का खेल खेल रहे हैं जो उन लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय है जो नागरिकों की निजता तथा स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं। 

पेगासस जासूसी सॉ टवेयर लक्षित फोन में कई तरीकों से पहुंच सकता है। अब इसने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जिससे यह ‘जीरो क्लिक’ हमले शामिल कर सकता है जहां एक रिपोर्ट के अनुसार लक्ष्य को फोन के संक्रमित होने के लिए कोई क्रिया करने की जरूरत नहीं होती। 

व्हाट्सएप के अनुसार, पेगासस प्लेटफॉर्म के माध्यम से की गई कॉल्स से फोनों में प्रवेश कर सकता है चाहे उन कॉल्स को अटैंड न भी किया जाए। एमनेस्टी इंटरनैशनल सिक्योरिटी लैब के क्लाऊडियो गुआॢनएरी के अनुसार रूट सुविधाएं फोन पर नियंत्रित करने के स्तर हैं जो नियमित इस्तेमालकत्र्ता की पहुंच से बाहर है। यह पेगासस को फोन में ‘दुकान’ स्थापित करने में सक्षम बनाता है। भारत उन देशों के समूह में आता है जिनकी सरकारों ने इसराईल की खुफिया क पनी से पेगासस स्पाइवेयर खरीदा है। ऐसा बताया जाता है कि यह तकनीक केवल उन सरकारों को बेची जाती है जो इसका इस्तेमाल केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से करना चाहती हैं, न कि शांतिप्रिय नागरिकों के मानवाधिकारों के साथ खेलने के उद्देश्य से। 

इस हाई-प्रोफाइल स्पाइवेयर की लागत करोड़ों डालर में है। 2016 की मूल्य सूची के अनुसार 10 उपकरणों पर जासूसी के लिए इस पर 9 करोड़ रुपए की लागत आती है। इसकी वाॢषक सिस्टम मेंटेनेंस फीस प्रोग्राम की कुल लागत का 17 प्रतिशत अलग है। मोदी सरकार ने एक बार भी पेगासस खरीदने का खंडन नहीं किया है। हमारे जैसे एक लोकतंत्र में ऐसा नहीं होना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी संसद के दोनों सदनों में उठते तूफान के बीच चुप रहें।

राहुल गांधी तथा उनके मित्र, फ्रीलांस राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी का भतीजा एवं तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी, चुनाव आयोग के अशोक लवासा, कैबिनेट रैंक के दो मंत्री-अश्विनी वैष्णव तथा प्रह्लाद सिंह पटेल, भारत के पूर्व मु य न्यायाधीश रंजन गोगोई, गगनदीप कंग, हरि मेनन उन बहुत से लोगों में शामिल हैं जिनके नाम सूची में हैं। 

सात विपक्षी दलों ने पेगासस मामले पर चर्चा के लिए दखलअंदाजी की मांग के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखा है। पत्र में कहा गया है कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल जाने-मानी हस्तियों व विरोधियों के टैलीफोन नंबर टैप करने ने सिविल सोसाइटी में झटके की लहरें दौड़ाई हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार यह खुलासा करने से इंकार कर रही है कि क्यों इसने इस सॉ टवेयर का इस्तेमाल अपने ही नागरिकों के विरुद्ध किया।’ 

भारतीय पत्रकारों को लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर काम करने के लिए जाना जाता है। वेे न्याय के दुर्वहन के मामले सामने लाए हैं। उन्होंने कई बार सत्ताधारियों द्वारा कमजोर वर्गों पर किए गए गलत कार्यों के साथ-साथ भ्रष्टाचार तथा रिश्वतखोरी के मामलों का भी पर्दाफाश किया है। हमारे मीडिया कर्मी जानते हैं कि लोगों की स्वतंत्रता तथा उनके सूचना के अधिकार की रक्षा करने के लिए कैसे और कब अधिकारियों पर झपटना है।

पेगासस कहीं अधिक महत्वपूर्ण मामला है जो लोकतंत्र के आधार तथा नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा पैदा करता है। इस रोशनी में मुझे खुशी है कि वरिष्ठ पत्रकारों एन. राम तथा शशि कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है ताकि संभावित ‘लक्ष्यों’ की व्यापक पैमाने पर मिलिटरी ग्रेड के इसराईली स्पाइवेयर पेगासस से कथित जासूसी का पर्दाफाश किया जा सके। 

मुझे आशा है कि शीर्ष अदालत पत्रकारों की याचिका पर सकारात्मक तथा शीघ्रतापूर्वक प्रतिक्रिया देगी। यहां महत्वपूर्ण प्रश्र यह है कि यदि मोदी सरकार के पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है तो हमारे लोकतंत्र तथा लोगों की स्वतंत्रता से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उसने चुप्पी क्यों धारण की हुई है? दांव पर है प्रधानमंत्री की सरकार तथा इसकी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की विश्वसनीयता।-हरि जयसिंह
 


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