क्या हम लुधियाना ‘बलात्कार कांड’ से सबक सीखेंगे

Saturday, Feb 16, 2019 - 04:56 AM (IST)

लुधियाना सामूहिक बलात्कार की घटना को बेशक कितने दिन गुजर चुके हैं लेकिन सुर्खियों की स्याही अभी भी नहीं सूखी और न ही जनाक्रोश कम हुआ है। देश-विदेश में इस घटना की निंदा की जा रही है। इस समाचार के कुछ घंटों बाद ही फिल्लौर, जालंधर, मुक्तसर जैसे स्थानों से ऐसे शर्मनाक कारनामों के समाचार आ गए।

लुधियाना वाली घटना ने सारे पंजाब को बहुत शर्मिंदा किया है। शहरी महिलाओं ने भी रोष मार्च निकाले हैं। टी.वी. चैनलों पर अपने विचार प्रकट कर रही महिलाएं तथा युवतियां गुस्से से कांपती तथा रोती देखी गईं। गायक तथा अदाकार रणजीत बावा इस घटना पर टिप्पणी करते हुए रो पड़ा और उसने रुंधे गले से दरिंदों को गोली मारने की मांग की। गैंगस्टर बंबीहा ग्रुप की ओर से बलात्कारियों को मार देने की धमकी भी आई है। 

जनाक्रोश इतना अधिक है कि अदालती पेशी के समय लोगों तथा वकीलों ने आरोपियों को जूते भी मारे। अदालत में बैठे जज साहिब का पारा भी इतना चढ़ गया कि उन्होंने पुलिस द्वारा पेश की गई फाइल दूर फैंक दी और अपराधियों के मुंह देखने से भी इंकार कर दिया। उन्होंने अपराधियों को इस घिनौने अपराध के लिए लाखों लानतें डालीं। ऐसा कुकर्म कभी-कभी होता है, जब धरती का सीना फटने को होता है। यह घटना सचमुच ही धरती का सीना फाडऩे वाली है। लोकसभा तथा पंजाब विधानसभा में भी इसकी गूंज कम सुनाई नहीं दी। देश को हिला कर रख देने वाले बलात्कार की शिकार निर्भया के माता-पिता ने इस घटना पर कहा कि एक बार फिर उनके दिल पसीज गए हैं और वे दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग करते हैं। 

यहां सोचने वाली बात यह है कि क्या इस घटना से हम कोई सबक भी सीखेंगे? या फिर 4 दिन शोर मचाने के बाद सब कुछ सामान्य जैसा हो जाएगा, जैसा पहले अक्सर होता आया है? ऐसे मामलों में सख्ती करने में हमारे देश के मुकाबले अरब देश कहीं आगे हैं और वहां ‘बलात्कार’ शब्द सुनकर ही व्यक्ति की रूह कांप जाती है। वहां कोड़े मारने, पत्थर मारने,फांसी पर लटकाने, पेड़ से लटकाकर मारने जैसी कड़ी सजाएं हैं। हमारे देश में पुलिस प्रणाली की कमजोरी अदालती प्रक्रिया में बड़ा अवरोध बन जाती है। उल्लेखनीय है कि 12 बच्चों के साथ कुकर्म करके उन्हें मार डालने वाले अपराधी दरबारा को बरी करते समय जज बाजवा रो पड़े थे, पुलिस की ढिलमुल कारगुजारी पर। 

यहां एक अन्य महत्वपूर्ण प्रश्र मुंह बाय खड़ा है। वह यह कि हमारा मानवीय मन इतना शैतान क्यों है? अन्य कोई खबर चाहे कितनी भी महत्वपूर्ण छपी हो, हम उससे आंखें फेर कर बलात्कार से संबंधित खबर को चटखारे ले-ले कर पढऩे बैठ जाते हैं। ऐसा क्यों? नववर्ष 2019 के प्रारम्भिक दिनों में ही ऐसी शर्मनाक घटना ने पंजाब वासियों को शर्म में डुबो दिया है। पुलिस, कानून तथा सामान्य लोग जब तक सच्ची नीयत से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एकजुट नहीं होते, तब तक कुछ संवरने वाला नहीं।-मेरा डायरीनामा निन्दर घुगियाणवी

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