क्या विपक्ष को एकजुट कर पाएंगे नीतीश

punjabkesari.in Tuesday, Feb 21, 2023 - 05:24 AM (IST)

भाजपा के थिंक टैैंक का कहना है कि 2024 के संसदीय चुनावों में विपक्षी एकता की संभावना बेहद कम है। अब किसी गणना की पृष्ठ भूमि में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भगवा पार्टी पर तीखा हमला किया है। राजनीतिक भाग्य बहुत अधिक राष्ट्रीय महत्व रखता है। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कई मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है। विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेस ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं।  विपक्षी एकता कांग्रेस के बिना संभव नहीं है। 24 से 26 फरवरी तक चलने वाले अधिवेशन में कांग्रेस की मुख्य भूमिका के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। कांग्रेस का कहना है कि वह अपनी बनती भूमिका के बारे में जानती है और इसे अच्छी तरह से निभाती है।

दोहरे चेहरे वाले लोगों को कांग्रेस पहचानती नहीं। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्षी नेताओं से बातचीत की शुरूआत की है और विपक्षी एकता के बारे में नीतीश कुमार की टिप्पणियों का स्वागत किया है। विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस के पास 2 विकल्प हैं। सबसे पहला यह कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए प्रोजैक्ट किया जा सकता है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान उनकी छवि का मेकओवर हुआ है। दूसरा यह है कि नीतीश कुमार की लोगों के बीच ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, के.सी.आर. जैसे क्षेत्रीय नेताओं की तुलना में ज्यादा स्वीकार्यता है।

ऐसे नेता संयुक्त विपक्ष का नेतृत्व करने की अपनी संभावनाओं को भी देखते हैं और वे निश्चित तौर पर राहुल गांधी के नेतृत्व का विरोध करेंगे। जानकारों का कहना है कि विपक्षी एकता तभी संभव है जब कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के नेता सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर सहमत हों। सीटों का बंटवारा राज्यों में ताकत के आधार पर होना चाहिए। विपक्षी नेताओं को कांग्रेस शासित प्रदेशों जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश  के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब आदि में कांग्रेस को बड़ा हिस्सा देना है। इसी तरह कांग्रेस तथा अन्य दलों को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, दिल्ली में केजरीवाल, तमिलनाडु में स्टालिन, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे, उत्तर प्रदेश में सपा प्रमुख अखिलेश यादव  को स्थान देना होगा।

नीतीश कुमार संयुक्त विपक्ष का चेहरा बन सकते हैं क्योंकि क्षेत्रीय पाॢटयां नीतीश कुमार को स्वीकार कर सकती हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के बीच कई कारणों से लगभग 15 विभिन्न राजनीतिक दलों ने एन.डी.ए. को छोड़ दिया जिनमें बिहार में जद (यू), महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव), पंजाब में अकाली दल जैसी पाॢटयां शामिल थीं। 2024 के लिए भाजपा नए प्रभारी सांझेदार जोडऩे के लिए संघर्ष करेगी। हालांकि पार्टी छोटे दलों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

नीतीश की नई रणनीति तथा विपक्षी नेताओं को उनकी सलाह : अखिल भारतीय अस्तित्व को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने चतुराई से पूछा है कि कांग्रेस नेतृत्व एकजुट होने के अपने रुख के बारे में जल्द निर्णय ले। उनका कहना है कि सभी दल भाजपा को सत्ता से बाहर करेंगे जो 100 सीटों से भी नीचे आ जाएगी लेकिन विपक्षी नेताओं के विरोधाभासी दृष्टिकोण से राजनीतिक तबाही मच सकती है। इससे हर कीमत पर बचना चाहिए। नीतीश ने साफ कर दिया है कि भाजपा को सबसे निचले स्तर पर धकेला जा सकता है अगर सभी दल हाथ मिलाते हैं।

कांग्रेस को चाहिए कि इस मुद्दे का तत्काल ही निवारण करे। नीतीश कुमार ने कहा है कि उनकी एकमात्र महत्वाकांक्षा यह है कि भाजपा के चंगुल से देश को आजाद करवाया जाए। सभी पाॢटयों को चाहिए कि लोगों को बचाने के लिए एकजुटता दिखाई जाए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश आश्वस्त हैं कि संयुक्त विपक्ष भाजपा को पछाड़ सकता है खास कर तब जब लोग संघर्ष कर रहे हों। युवा लोग रोजगार की कमी के कारण केंद्र के खिलाफ हैं। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। चारों ओर नफरत का माहौल है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने प्रतिक्रिया दी है कि उनकी पार्टी कांग्रेस भाजपा को बाहर करने के लिए दृढ़ संकल्पित है इसलिए वह नीतीश के नेतृत्व पर विचार करने के लिए पार्टी नेतृत्व को प्रभावित करेगी। बिहार में नीतीश कुमार ने राजद के साथ नई सरकार बनाई और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की भूमिका को परिभाषित किया। लालू प्रसाद यादव तेजस्वी का मार्गदर्शन कर सकते हैं जो पहले ही मुख्यमंत्रियों और गैर-भाजपा दलों से मिल चुके हैं। तेजस्वी ने हाल ही में ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। उन्होंने देश में आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर चर्चा की। सोनिया गांधी और राहुल गांधी भाजपा को चुनौती देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा कर सकते हैं। -के.एस. तोमर


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