राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने में इतनी जल्दबाजी क्यों?

Wednesday, Mar 29, 2023 - 06:04 AM (IST)

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को गुजरात की एक अदालत ने मानहानि के एक मामले में दोषी मान कर दो साल की सजा सुना दी। इस फैसले पर संसदीय सचिवालय ने 24 घंटे के अंदर ही उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म कर दी। सर्वप्रथम अदालत का फैसला सर्वमान्य होता है। 

मगर यह कोई इतना गंभीर मामला नहीं था जिस पर अदालत ने इतना सख्त फैसला लिया। यह तो एक राजनीतिक मामला था। राजनीति में तो नेता लोग एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कई कुछ बोल जाते हैं। यह सब चुनावी स्टंट होता है। ऐसे तो प्रधानमंत्री जी ने भी चुनावों में सभी के खाते में 15 लाख रुपए आने की बात कही थी। आए क्या? अदालत को इस बात पर जरूर विचार करना चाहिए था कि क्या राहुल गांधी के उक्त भाषण से सचमुच में किसी की मान हानि हुई है? दूसरा राहुल गांधी जनता के चुने हुए सांसद हैं। उनकी सदस्यता रद्द करने में जितनी तेजी दिखलाई है वह ठीक नहीं। 

अदालत ने भी राहुल गांधी को अपील करने के लिए तीस दिन का समय दिया है। क्या अब तक संसदीय सचिवालय इंतजार नहीं कर सकता था। वह उनको बुला कर स्पष्टीकरण भी मांग सकता था। जैसे दल बदल कानून में स्पीकर महोदय दल बदल वाले सांसद विधायक को समय देते हैं। जिस तरह यह फैसला लिया गया, इसमें राजनीति की बू आती है। मान लो अगर उनको अदालत से राहत मिल जाती है तो उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ेगा जिस पर संसदीय सचिवालय की किरकिरी होगी। 

जनता को इस फैसले पर रोष है। राहुल गांधी उनके चुने हुए सांसद हैं और उनको हराने का अधिकार किसी को नहीं। अब मान लो राहुल गांधी को अदालत से राहत नहीं मिलती या समय लग जाता है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा को उस सीट से चुनाव लड़ा कर लोकसभा में भेजे। यही जनता की मांग है।-प्रमोद मल्होत्रा, जालन्धर

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