स्वरा भास्कर की शादी पर इतना शोर क्यों

Monday, Feb 20, 2023 - 04:30 AM (IST)

अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए हमेशा चर्चा में रहने वाली सिने तारिका स्वरा भास्कर ने फहाद से शादी करके भक्तों और अभक्तों को बयानबाजी के लिए नया मसाला दे दिया है। जहां भक्त अपनी भड़ास निकालने के लिए सोशल मीडिया पर निहायत नीचे दर्जे की फब्तियां कस रहे हैं वहीं अभक्त स्वरा को इस साहसी कदम के लिए बधाई दे रहे हैं। पहले भक्तों की बात कर लें। हिन्दू, मुसलमान के बीच शादी कोई नई या अनहोनी बात नहीं है। लव-जेहाद का तूफान मचाने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व भाजपा के नेताओं के परिवारों में भी ऐसी बहुत शादियां हुई हैं भाजपा के महासचिव रामलाल की भतीजी श्रिया गुप्ता की शादी हाल ही में लखनऊ में कांग्रेस नेता के बेटे फेजान करीम से हुई तो देश और प्रदेश के भाजपा व संघ के बड़े-बड़े नेता बधाई देने पहुंचे।

प्रखर हिन्दूवादी नेता व भाजपा के सांसद डा.सुब्रमण्यम स्वामी की बेटी सुहासिनी ने विदेश सचिव के बेटे नदीम हैदर से निकाह किया और वे सुखी जीवन जी रहे हैं। भाजपा के केन्द्रीय मंत्री व उपाध्यक्ष रहे मुख्तार अब्बास नकवी ने हिन्दू महिला सीमा से शादी की और आजतक सुखी जीवन जी रहे हैं। इसी तरह भाजपा के ही नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने हिन्दू महिला रेनू से शादी की और आजतक सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे हैं। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री स्मृति मल्होत्रा अपनी सखी के पारसी पति से शादी करके स्मृति ईरानी बन गईं। बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की पत्नी जेसिस जॉर्ज ईसाई हैं। अटल जी की कैबिनेट में मंत्री रहे सिकंदर बख्त की पत्नी राज शर्मा थीं। ये कुछ उदाहरण काफी हैं यह बताने के लिए कि शादी दो इंसानों के बीच का मामला होता है।

जो एक धर्म के भी हो सकते हैं और अलग-अलग धर्म के भी। इसलिए जो भक्त समुदाय स्वरा भास्कर को दहेज में फ्रिज ले जाने की सलाह देकर व्यंग कर रहा है उसे अपनी बुद्धि शुद्ध कर लेनी चाहिए। अपनी पार्टनर श्रद्धा की हत्या करके उसके टुकड़े फ्रिज में रखने वाले अपराधी आफताब पूनावाला के इस जघन्य कृत्य पर देश में पिछले बरस मीडिया में खूब बवाल मचा। इसे मुसलमानों की लव जेहाद बताकर हिन्दू लड़कियों को मुसलमान लड़कों से दूर रहने की खूब सलाह दी गई। भक्तों का मानना है कि हर मुसलमान शौहर अपनी हिन्दू बीवी से ऐसा ही सलूक करता है। जबकि श्रद्धा की हत्या के बाद से भी दर्जनों मामले ऐसे सामने आ चुके हैं जब हिन्दू लड़के ने हिन्दू पत्नी की जघन्य हत्या की है। आश्चर्य है कि इसे न तो लव जेहाद कहा गया और न ही इस पर मीडिया उछला।

पिछले हफ्ते ही साहिल गहलोत ने अपनी प्रेमिका निक्की यादव की हत्या कर उसके शव को फ्रिज में छुपा दिया। इसे भी कोई लव जेहाद नहीं कह रहा। साफ जाहिर है कि भक्तों के दिमाग में ही कचरा भरा है जो किसी अपराध को अपराध की तरह नहीं बल्कि लव जेहाद की तरह ही देखते है। यह सही है कि भारतीय समाज अपनी परम्पराओं और धार्मिक आस्थाओं से बहुत गहरा जुड़ा है। इसलिए दो धर्मों के बीच के विवाह को समाज द्वारा जल्दी आम स्वीकृति नहीं मिलती। दूसरी तरफ ऐसा विवाह करने वाले युगल उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। स्वतंत्र और प्रगतिशील विचारों वाले ही ऐसा जोखिम उठाते हैं। रोचक बात यह है कि भाजपा व संघ के सबसे बड़े नेता सरसंघचालक डा. मोहन भागवत कहते हैं कि हिन्दुओं और मुसलमानों का डी.एन.ए. एक ही है तो फिर स्वरा और फहाद की शादी पर संघ परिवार में इतनी बेचैनी क्यों?

डा. भागवत तो यहां तक कहते हैं कि ‘‘मुसलमानों के बिना नहीं बचेगा हिन्दुत्व।’’ जब सरसंघचालक के यह विचार हैं तो स्वरा भास्कर ने क्या गलत कर दिया जो कि संघ परिवार इतना उत्तेजित हो रहा है। अभक्त स्वरा और फहाद की शादी से इसलिए खुश हैं कि इस समाचार ने भक्तों का दिल जला दिया है। बात यह भी नहीं है। स्वरा ने भक्तों का दिल जलाने के लिए फहाद से शादी नहीं की बल्कि उसे फहाद का व्यक्तित्व आकर्षक लगा, पर उसने यह कदम उठा लिया। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस शादी के लिए स्वरा ने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया। दोनों ने मैजिस्ट्रेट के सामने शादी का पंजीकरण अपने परिवारों की उपस्थिति में करवाया। इसलिए मुल्ला ने इस शादी को शरियत के कानून से वैध नहीं माना है। उनका कहना है कि जब तक शादी करने वाले अल्लाह को समॢपत नहीं होते तब तक यह शादी उन्हें कबूल नहीं।

पर स्वरा और फहाद इस नियम को नहीं मानते। इसलिए उन्होंने भारत के कानून के अंर्तगत वैध विवाह किया है। आशा की जानी चाहिए कि समविचारों वाले ये दोनों युवा सुखी वैवाहिक जीवन जीएंगे और अपने विचारों के अनुसार समाज की भलाई के लिए काम करेंगे। भारतीय समाज और संविधान की यही विशेषता है कि वह हर बालिग नागरिक को उसकी इच्छा के अनुसार जीवन जीने की छूट देता है। स्वरा और फहाद ने इसी छूट का लाभ उठाकर अपने वैवाहिक जीवन का फैसला लिया है तो इस पर इतना विवाद क्यों?

अगर यह शादी इतनी ही गलत है तो संघ और भाजपा के बड़े नेताआें की अन्तरधर्मीय शादियों पर संघ ने ऐसा बवाल क्यों नहीं मचाया था? जाहिर है कि पिछले 8 वर्षों से संघ और भाजपा हर मुद्दे पर इसी तरह दो मुखौटे लगाए नजर आते हैं इसीलिए आज देश में गंभीर मुद्दों को छोड़कर सारी ऊर्जा एेसे ही निरर्थक विषयों को उछालने पर बर्बाद हो रही है जिससे समाज में वैमनस्य पैदा हो रहा है। जिसे स्वरा और फहाद ने कम करने की दिशा में यह कदम उठाया है जिसके लिए हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं। -विनीत नारायण

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