आर ओ का पानी क्यों नहीं पीना चाहिए

punjabkesari.in Saturday, Apr 08, 2023 - 06:58 AM (IST)

पुरानी कहावत है, ‘हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती’। यह बात हर उस चीज के लिए लागू होती है जिसे हम सोना समझ लेते हैं। फिर वो चाहे आर -ओ से निकलने वाला चमचमाता पानी ही क्यों न हो। क्या आर ओ का पानी जितना साफ बताया जाता है उतना ही गुणकारी भी होता है? क्या आर ओ के पानी में वे सभी जरूरी तत्व होते हैं जो हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता व विकास के लिए जरूरी हैं? क्या हमें आर ओ का पानी पीना चाहिए? 

विश्व स्वास्थ्य संगठन और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के तय मानकों के अनुसार आर ओ व अन्य तकनीकों से शुद्ध किए जाने वाले पानी को उसमें मौजूद टोटल डिजाल्वड सॉलिड्स या टी.डी.एस. की मात्रा से स्वच्छ या पीने योग्य कहा जा सकता है। मानव शरीर अधिकतम 500 पाटर््स प्रति मिलियन (पी.पी.एम.) टी.डी.एस. सहन कर सकता है। यदि यह स्तर 1000 पी.पी.एम. हो जाता है, तो शरीर के लिए नुक्सानदेह है। फिलहाल आर.ओ. से साफ हुए पानी में 18 से 25 पाट्र्स पी.पी.एम. टी.डी.एस. पाए जाते हैं जो काफी कम है। इसे स्वच्छ पानी तो कह सकते हैं परंतु सेहतमंद नहीं। 100 से 150 मिलीग्राम/लीटर टी.डी.एस. लैवल के पानी को ही पीने के लिए सही बताया गया है। 

टी.डी.एस. लैवल 300 मिलीग्राम/लीटर से अधिक वाला पानी स्वाद व सेहत के लिए खराब होता है। जब हमने सोशल मीडिया पर आर ओ के पानी से संबंधित मिलने वाली विभिन्न जानकारियों को देखा तो सोचा कि क्यों न इसकी जांच स्वयं ही कर ली जाए। तब हमने मापक की मदद से अपने घर व कार्यालय में अलग-अलग स्रोतों के पानी की जांच की। आर ओ से निकलने वाले पानी की टी.डी.एस. मात्रा 20 से 25 के बीच पाई गई। जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किए जाने वाले पानी की टी.डी.एस. मात्रा 100-110 के बीच पाई गई। वहीं जल बोर्ड के पानी को मिट्टी के घड़े में 8 घंटे से अधिक रखने के बाद उस पानी की टी.डी.एस. मात्रा 125-130 के बीच आई। 

इसका मतलब यह हुआ कि दिल्ली जैसे शहर में जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता काफी अच्छी है। परंतु जब अपने ही कार्यालय के एक सहकर्मी के घर के पानी के सैंपल को जांचा तो वहां आर ओ का आंकड़ा तो नहीं बदला पर जल बोर्ड का आंकड़ा काफी अधिक पाया गया, 500 से ऊपर। ऐसे इलाक़ों में जब तक सही टी.डी.एस. का पानी उपलब्ध न हो तब तक मजबूरी में आर ओ का ही पानी पीना चाहिए। पानी में टी.डी.एस. 100 मिलीग्राम से कम हो तो उसमें चीजें तेजी से घुल सकती हैं। प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी में कम टी.डी.एस. हो तो उसमें प्लास्टिक के कण घुलने का खतरा भी होता है। ऐसा पानी स्वास्थ्य के लिए नुक्सानदायक होता है। ज्यादातर लोगों को इससे होने वाले नुक्सान समझ में नहीं आते हैं। 

आर ओ पानी में से जहां एक ओर बुरे मिनरल जैसे लेड, आर्सेनिक, मरकरी आदि को निकाल देता है वहीं अच्छे मिनरल यानी कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि को भी निकाल देता है। इस कारण आर ओ के पानी के लगातार उपयोग से आवश्यक मिनरल हमारे शरीर को नहीं मिल पाते और इनकी शरीर में कमी हो सकती है। अत: ये हमारे शरीर के लिए नुक्सानदायक हो सकता है। एक शोध के अनुसार, अगर नियमित रूप से आर ओ का पानी पीया जाता है तो इसका बुरा प्रभाव हमारे पाचन तंत्र पर भी पड़ता है। पाचन तंत्र के कमजोर होने से पेट से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही यदि लम्बे समय तक आर ओ के पानी को पीया जाए तो उससे हृदय संबंधी समस्याएं, थकावट, सिरदर्द और दिमागी समस्याएं आदि भी हो सकती हैं। 

पानी में मौजूद गंदगी व खनिज हटने से यह पानी अधिक साफ तो हो जाता है लेकिन इसके बाद यह पानी एसिडिक भी हो जाता है जो शरीर के लिए बहुत हानिकारक है। यही नहीं, पानी में मौजूद कार्बोनिक एसिड हमारे शरीर से कैल्शियम की मात्रा को भी कम करने का काम करते हैं। ऐसे में हड्डियों में कमजोरी और जोड़ों में दर्द भी शुरू हो जाता है। इसलिए आजकल काफी डॉक्टर आर ओ का पानी बिल्कुल भी न पीने की सलाह देते हैं। कुल मिलाकर यह माना जाए कि हमें बाजार के प्रभाव में आ कर और भेड़-चाल में नहीं चलना चाहिए। अपने शहर में जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता की जांच करने के बाद ही निर्णय लेना चाहिए कि वास्तव में आर ओ की जरूरत है या नहीं। वहीं पर आर ओ का इस्तेमाल करें।-रजनीश कपूर  
 


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