अयोध्यावासियों का बहिष्कार क्यों

punjabkesari.in Monday, Jul 08, 2024 - 08:31 AM (IST)

जब से लोकसभा चुनावों के परिणाम आए हैं तब से सोशल मीडिया पर व अन्य माध्यमों से ऐसी बातें सुनने को मिल रही हैं कि भगवान श्रीराम जी का दर्शन करने अयोध्या जाने वाले भक्त अयोध्यावासियों का बहिष्कार करें। वे वहां की दुकानों से कुछ भी सामान, भोग, माला, तस्वीर, ग्रंथ आदि न खरीदें। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां के नागरिकों ने भाजपा को वोट नहीं दिया। यहां यह जानना बहुत जरूरी है कि अयोध्या जिसे अवध पुरी कहते हैं वह भगवान श्रीराम का नित्य धाम है और उन्हें अत्यंत प्रिय है। रामचरित मानस के अनुसार भगवान श्री राम ने अयोध्या के विषय में कहा है कि 
‘अति प्रिय मोहि इहां के बासी। मम धामदा पुरी सुख रासी॥
हरषे सब कपि सुनि प्रभु बानी। धन्य अवध जो राम बखानी॥4॥’ 

इस चौपाई को हर राम भक्त ने अपने जीवन में कभी न कभी अवश्य पढ़ा होगा और पढ़ कर इसका अर्थ भी समझा होगा, जो इस प्रकार है कि, ‘‘यहां के (अयोध्या के) निवासी मुझे बहुत ही प्रिय हैं। यह पुरी सुख की राशि और मेरे परमधाम को देने वाली है।’’ प्रभु की वाणी सुनकर सब वानर हर्षित हुए (और कहने लगे कि) जिस अवध की स्वयं श्रीरामजी ने बड़ाई की, वह (अवश्य ही) धन्य है। इस चौपाई में भगवान श्रीराम अयोध्या पुरी का इतना बड़ा महात्म्य बता रहे हैं कि इसमें हमें भगवान श्रीराम के परमधाम तक पहुंचाने की सामथ्र्य है। अब प्रश्न उठता है कि जो भी अपने को राम भक्त कहता है या राम भक्त होने का दावा करता है, क्या वह भगवान श्रीराम की प्रिय वस्तु का तिरस्कार करेगा? जब भगवान स्वयं कह रहे हैं कि मुझे ये अयोध्या पुरी प्रिय है और यहां रहने वाले अयोध्यावासी अतिप्रिय हैं, तो भगवान श्रीराम की अतिप्रिय वस्तु का अपमान करना, उसकी उपेक्षा करना, उसका बहिष्कार करना, उसके प्रति द्वेष भावना रखना, क्या ये भक्ति का लक्षण है या ये भक्ति के मार्ग में किया जा रहा धाम अपराध है? यह एक बहुत गंभीर प्रश्न है। 

हर संप्रदाय के आचार्यों ने भक्तों को बार-बार चेतावनी दी है कि वे धाम अपराध से बचें। उदाहरण के तौर पर ब्रह्म गौड़ीय माधव संप्रदाय के प्रमुख आचार्य इस विषय में क्या कहते हैं, यह जानकर हमारा भ्रम दूर हो जाएगा। वे कहते हैं कि, ‘जो भी भक्त तीर्थ यात्रा पर जाते हैं वे उन अपराधों से सावधानी से बचें जो पवित्र स्थान की आपकी यात्रा को बिगाड़ सकते हैं। महान आध्यात्मिक गुरु श्रील भक्ति विनोद ठाकुर धाम के साथ-साथ इसके निवासियों के प्रति भी अत्यंत सावधानीपूर्वक व्यवहार करने का निर्देश दे रहे हैं। वे कहते हैं कि तीर्थ यात्रा के समय जब आप अयोध्या पुरी या मथुरा पुरी जैसे किसी धाम में जाते हैं तो अपने आध्यात्मिक गुरु का अनादर न करें, क्योंकि यह धाम अपराध माना जाएगा। यह सोचना कि अयोध्या पुरी जैसा पवित्र धाम अस्थायी है, भी धाम के प्रति अपराध है। क्योंकि धाम भौतिक सिद्धांतों के परे होते हैं। 

वे शाश्वत होते हैं। यानी सदैव थे और सदैव रहेंगे। ऐसे पवित्र धाम के निवासियों में से किसी के प्रति हिंसा करना या उन्हें साधारण व्यक्ति समझकर उनका अनादर करना या उस धाम में कूड़ा-कचरा फैलाना भी धामवासियों के प्रति हिंसा ही है। वे आगे कहते हैं कि, पवित्र धाम में अन्य देवताओं की पूजा करना और धर्म का व्यवसायीकरण करके धाम का उपयोग व्यक्तिगत आर्थिक विकास के लिए करना भी धाम अपराध है। बाहरी लोगों का धाम में जाकर कालोनियां काटना, होटल बनाना या व्यापार करना भी धाम अपराध की श्रेणी में ही आता है। उन शास्त्रों की निन्दा करना जो पवित्र धाम की इस गौरवशाली स्थिति का ज्ञान देते हैं, भी धाम अपराध है। धाम की शक्ति के प्रति अविश्वासी होना और यह सोचना कि धाम की महिमा काल्पनिक है, भी धाम अपराध है। इसी प्रकार अन्य संप्रदायों के आचार्यों ने और अनेक शास्त्रों ने धाम और धाम के वासियों के प्रति अपराध न करने का निर्देश दिया है।  

अब जरा सोचिए कि जिन लोगों ने भी अयोध्यावासियों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है, वे किस श्रेणी के लोग हैं? या तो वे मूर्ख और अज्ञानी हैं, जिन्होंने शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया? या वे भक्त हैं ही नहीं और राम भक्त होने का झूठा दावा कर रहे हैं और अगर यह सब उन्होंने जानते-बूझते हुए किया है तो वे न सिर्फ खुद घोर पाप कर रहे हैं, बल्कि अन्य भक्तों को भी पाप कर्म करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। चुनावी राजनीति से भगवद भक्ति को जोडऩा आध्यात्मिक सिद्धांतों के सर्वथा विपरीत है। आज किसी दल का सांसद बना है, पहले किसी और दल का था और भविष्य में न जाने किस दल का बनेगा। सांसद और विधायक तो आते-जाते रहेंगे, पर अयोध्या और अयोध्यावासियों का महत्व हजारों वर्षों से रहा है और रहेगा। 

उल्लेखनीय है कि मोदी जी कोई अवसर नहीं छोड़ते जब वे तीर्थ स्थलों में जाकर श्रद्धा और आस्था के साथ पूजन न करते हों। फिर चाहे वो केदारनाथ हो, काशी विश्वनाथ हो, पशुपतिनाथ हो, मथुरा-वृंदावन हो, तिरुपति बालाजी हो, जगन्नाथ पुरी हो, उड्डुपी हो, रामेश्वरम हो, द्वारिका पुरी हो, कामाख्या देवी हो या अयोध्या हो। मोदी जी सनातन धर्म और अन्य तीर्थों के प्रति अपनी आस्था का सार्वजनिक प्रदर्शन और व्यापक प्रचार इस उद्देश्य से करते हैं कि उनके प्रशंसक उनसे प्रेरणा लेकर धाम के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रदर्शन करें। ऐसे में नरेंद्र मोदी जी ये कभी स्वीकार नहीं करेंगे कि उनके आराध्य भगवान श्रीराम के अतिप्रिय अयोध्यावासियों और अयोध्या का तिरस्कार वे लोग करें जो स्वयं को मोदी जी का या भाजपा का समर्थक मानते हैं। चूंकि कुछ लोग इस तरह का आह्वान करके ये अपराध कर चुके हैं, इसलिए अपेक्षा की जानी चाहिए कि मोदी जी सार्वजनिक वक्तव्य जारी करके इसकी आलोचना करें और सभी देशवासियों से हर धर्म के तीर्थ स्थल के प्रति श्रद्धा और आस्था का भाव रखने की अपील करें ताकि भारतवासी धाम अपराध के पाप से बचे रहें।-विनीत नारायण


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