औरतों को क्यों ‘पसंद’ हैं नरेन्द्र मोदी

Tuesday, May 21, 2019 - 03:16 AM (IST)

उनके उजड़े हुए चेहरे, बहुत-सी घूंघट ओढ़े जो टी.वी. कैमरे पर आती थीं, अखबार वालों से बात करती थीं-किसे वोट दिया, देंगी तो कहती थीं-मोदी। 

क्यों पसंद हैं मोदी-बहुत-सी औरतों ने कहा कि उन्होंने हमें गैस दी है, घर दिया है और शौचालय दिया है। एक बूढ़ी महिला ने कहा कि उसके पति का इलाज अस्पताल में मुफ्त हुआ है। वह आयुष्मान योजना का नाम नहीं जानती थी, लेकिन उसका फायदा उसे मिला। गुडग़ांव में कार चलाती, बहुराष्ट्रीय निगम में काम पर जाने वाली एक लड़की से पूछा गया तो वह बोली-मोदी। क्यों? क्योंकि हाल ही में वह मां बनी है और 6 महीने तक अपने बच्चे के साथ रह सकी क्योंकि अब मातृत्व अवकाश 6 महीने का है। 

हरियाणा की ही एक गरीब औरत ने कहा कि जब से उसका जन-धन अकाऊंट खुला है, तब से अब वह घरों में काम करके जो पैसे कमाती है, उसमें से कुछ बचाकर भविष्य के लिए बैंक में जमा करती है। पहले तो आदमी ही सारे पैसे छीन लेता था। अब तो उसे पता भी नहीं चलता, क्योंकि उसने अपनी पास बुक किसी और के घर में रखी हुई है। बहुत-सी मुसलमान औरतों ने अपनी पहचान छिपाकर कहा कि उन्होंने मोदी को वोट दिया है क्योंकि उन्होंने तीन तलाक जैसी आफत से उन्हें मुक्ति दिलाई है। अब तक तो जिंदगी भर इसी डर के साए में जीना पड़ता था।

किसी और सरकार ने ऐसी हिम्मत नहीं दिखाई। ये वे बातें हैं जो इस लेखिका ने सुनीं या पढ़ीं। सालों पहले राष्ट्रीय महिला आयोग के लिए देश भर की मुसलमान औरतों से बात करके सईदा हमीद ने एक रिपोर्ट तैयार की थी-वॉयस ऑफ द वॉयसलैस। इसमें इन गरीब, बदहाल मुसलमान औरतों की स्थिति के लिए तीन तलाक को सबसे अधिक जिम्मेदार माना गया था लेकिन सरकारों ने वोट खोने के डर से इसे रद्दी की टोकरी में फैंक दिया। एन.डी.ए. सरकार ने जब तीन तलाक की बात की तो जो लोग महिला हितों के लिए दुबले हुए जाते थे, उन्होंने कहा कि इससे इन औरतों का  परिवार टूट जाएगा। परिवार पहले भी टूटता था लेकिन बाल-बच्चों को पालने की जिम्मेदारी औरतों पर छोड़ तीन तलाक देकर लोग दूसरी पत्नियों के साथ मौज करते थे। 

उज्ज्वला योजना का लाभ
उज्ज्वला योजना का लाभ किस तरह से औरतों को मिला है और वे कैसे राहत महसूस कर रही हैं, यह पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और हरियाणा के गांवों में देखा था। वहां औरतें चूल्हे पर रसोई के काम कर रही थीं और चूल्हे में पशुओं के गोबर से प्राप्त ईंधन या खेतों में बची डंडियों, पत्तों और टहनियों का इस्तेमाल कर रही थीं। जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि गैस तो तब इस्तेमाल करती हैं जब कोई अचानक आ जाए और खाना बनाना पड़े। पिछले दिनों फेसबुक पर बहुत-से लोगों ने चूल्हे पर काम करती औरतों की फोटो लगाई थी और कहा था कि उज्ज्वला की सच्चाई यह है कि दूसरा सिलैंडर भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं। 

हो सकता है कि कुछ केसों में ऐसा हो लेकिन गांवों में जिन लोगों के यहां सिलैंडर पहुंचा है, वे इससे एम्पावर्ड महसूस कर रहे हैं। बहुत-सी जगहों पर सरकार के ऐसे लाभ पहली बार मिले हैं। गैस उसी तरह है जैसे एक जमाने में किसी-किसी के घर ही टी.वी. होता था और जब रविवार को फिल्म आती थी तो उसे देखने के लिए पूरा मोहल्ला इक_ा हो जाता था। गैस का प्रयोग कभी-कभी करने में औरतों की बचत और रिसाइक्लिंग की आदतें भी छिपी हुई हैं। अगर वे सारा काम गैस पर करेंगी तो घर में जो पशु हैं, खेतों का बचा-खुचा है, उनसे प्राप्त ईंधन का क्या होगा। 

आज जो गैस सिलैंडर को संभालकर रखने की आदत है बचपन में वैसा बत्ती वाले या पम्प वाले स्टोव के साथ होते देखा था। जब कोई मेहमान ऐसे वक्त आ जाता था जब चूल्हा जला नहीं होता था या रात को बुझा दिया गया होता था तो उसके आतिथ्य के लिए स्टोव पर जल्दी से खाना पकाया जाता था। गांव में रहने वाली औरतों की कितनी मुश्किल थी कि उन्हें नित्य कर्म के लिए मुंह अंधेरे या शाम घिरे ही बाहर जाना पड़ता था। सोचिए कि अगर किसी औरत की तबीयत खराब है तो वह क्या करे। शौचालय ने उन्हें इस आफत से मुक्त किया। 

एक मजबूत नेता की छवि
सरकार की तमाम योजनाओं के अलावा मोदी की छवि एक मजबूत नेता की बनी है। स्त्रीवादी कुछ भी कहें, लेकिन औरतों को अपने आसपास कमजोर पुरुष पसंद नहीं होते, क्योंकि जो खुद कमजोर है वह उन्हें क्या सुरक्षा देगा और जो अपने घर की औरतों को सुरक्षा देने लायक नहीं वह देश को क्या बचाएगा। इस मामले में दो उदाहरण देना चाहूंगी। एक परिचित महिला ने 40 साल पहले अपने पति को छोड़ दिया। कारण, पड़ोसी ने आकर उसे गालियां दीं। पति सामने खड़ा था, लेकिन उसने उसे नहीं बचाया। जब महिला ने इस बात की शिकायत की तो पति बोला-मैं तुझे कैसे बचाता। इस बात पर उसे इतना गुस्सा आया कि वह यह कहते हुए पति को छोड़कर चली गई कि जब तू मुझे बचा ही नहीं सकता तो मैं क्यों तेरे साथ रहूं। 

एक दूसरा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला। एक बहुराष्ट्रीय निगम में काम करने वाली लड़की की एक लड़के से शादी की बात चली। लड़का बहुत अच्छे पद पर था। भारी-भरकम पैकेज था। जब लड़की उससे स्काइप पर बात करने लगी तो लड़का हर बात पर शरमाने लगा। लड़की ने कहा-यह तो हर बात पर शरमाता है। ऐसे शरमाता रहा तो जिंदगी में क्या करेगा। मुझे नहीं करनी इससे शादी । इन 2 उदाहरणों में कम से कम 4 दशक का अंतर है। औरतों को डरने वाला और बात-बात पर गिड़गिड़ाने वाला पति, ब्वॉयफ्रैंड या पिता पसंद नहीं आते तो डरने वाला नेता कैसे पसंद आ सकता है। मोदी अपनी मजबूत छवि के कारण ही औरतों में बहुत लोकप्रिय हैं और अगर मोदी दोबारा लौट रहे हैं तो इसमें उनकी इस छवि और औरतों के समर्थन का भारी योगदान है।-क्षमा शर्मा
 

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