विपक्षी गठबंधन व मोदी की कर्मठता में से किसको चुनें लोग
punjabkesari.in Monday, Sep 18, 2023 - 04:18 AM (IST)

जरा सोचिए, 2019 में चंद्रयान की असफल कोशिश के बाद मोदी व हमारे इसरो वैज्ञानिकों ने सब कुछ भाग्य सहारे छोड़ फिर से नए जोश व कर्मठता से नई कोशिश न की होती तो क्या आज भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा फहरा कर विश्व विजेता कहलाता? शायद नहीं क्योंकि भाग्य भी पवित्र जुनून व कर्मठता का कायल हो कायनात के तमाम रहस्य उजागर कर उसके रास्ते को हमवार बना देता है। वह जुनून व शिद्दत को सफलता की उस चरम सीमा तक ले जाता है जहां से यू टर्न की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती। आज भारत भी इस स्थिति में पहुंच चुका है जहां से यू-टर्न लेना संभव ही नहीं।
मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि कांग्रेस इल्जाम लगाती है कि हम उनके शासनकाल में उनकी नामित योजनाओं को ही आज लागू कर मुफ्त की वाहवाही लूट रहे हैं जबकि कड़वी सच्चाई यह है कि कांग्रेस योजनाओं का नामकरण कर यह सोचती रही कि भाग्य में हुआ तो योजनाएं एक न एक दिन पूरी जरूर होंगी, कांग्रेस शासनकाल ने लोगों को केवल सपने दिखाए लेकिन साकार वह मोदी सरकार में हुए। क्या इतने चुनौतीपूर्ण समय में हम देश को मात्र भाग्य सहारे छोड़ सकते हैं? संपूर्ण विपक्ष आमजन भावना को बारीकी से अध्ययन किए बिना अपने अपने पापों से ऊपजी तपश को अवसरवादी गठबंधन की सुरक्षा ढाल बनाकर सत्तारूपी भाग्यवादी वैतरणी ऐसी हिचकोले खाती किश्ती जिसमें ‘बिन दूल्हे की बारात’ बैठ 2024 चुनावी दुल्हन को बिहाने, बीच मंझधार बिन मांझी व पतवार पार करने की चेष्टा में यह दिखाने की भ्रामक कोशिश में है कि भारत का भविष्य व भाग्य मात्र उनके हाथ में ही सुरक्षित है?
जिस गठबंधन की दिशा व दशा ही वैचारिक विरोधाभास से ग्रस्त हो उस जैसे गठबंधन के अवसरवादी अनेक साक्ष्य इतिहास में दर्ज हों पर हम भारतवासी क्यों कर अपना भाग्य न्यौछावर करेंगे? देश भला उन पर विश्वास क्यों करेगा जिनके बाजू पहले से ही उनके आजमाए हुए हैं? भाग्य ने भी हमारा तब ही साथ दिया जब हमारे पैराकारों ने कर्मठता से भावी पीढ़ी के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कर्मनिष्ठ विरसे की रचना की? क्या देश का भावी मुस्तकबिल तय करते समय भारतवासी इतिहास को भूल सकते हैं?
जरा सोचो इतिहास में कर्मठता न होती अगर कर्मठता पर अडिग रहकर विवेकानंद ने शिकागो धर्मसभा में अलख न जगाई होती अगर भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, करतार सिंह सराभा ने सर्वस्व लुटाया न होता अगर गुरु साहिबान ने धर्म की खातिर समस्त परिवार न्यौछावर न किया होता, अगर बंदा बहादुर व हरि सिंह नलवा ने मुगलों की ईंट से ईंट न खड़काई होती, अगर शिवा जी महाराज ने मुगलों को नाकों चने न चबाए होते अगर महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य को चुनौती न दी होती, अगर समाज को नई जागृति देने व पथभ्रष्ट परम्परावादी सोच को राजा राम मोहन राय व स्वामी दयानंद सरस्वती ने नई रोशनी न दिखाई होती तो सोचो आज का भविष्य कैसा होता? जरा सोचो अगर कर्मठता न होती मुगलों व अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भी आंदोलन न होते। देश ने विभिन्न विपक्षी सरकारों में बहुत कुछ पाया लेकिन पिछले 9 वर्षों में मोदी सरकार की रफ्तार तथ्यों सहित दर्शाती है कि अब पीछे मुड़कर देखना या यू-टर्न लेना सबसे तेजी से बढ़ती विश्व स्तरीय अर्थ व्यवस्था के लिए संभव नहीं।
पिछले 9 वर्षों में जी.डी.पी. का आकार 1-8 ट्रिलियन डालर से बढ़कर 3-7 ट्रिलियन डालर, एम्स अस्पताल 7 से बढ़कर 22, एयरपोर्ट 74 से बढ़कर 152, निर्यात 200 बिलियन डालर से बढ़कर 750+ बिलियन डालर, मैडीकल कालेज 387 से बढ़कर 660, पर कैपिटा जी.डी.पी. 78 के. से बढ़कर 115 के., इंटरनैट विस्तार 25 प्रतिशत से बढ़कर 93 ई वे लैंथ 680 कि.मी. से बढ़कर 4067 कि.मी., मैट्रो शहर 5 से बढ़कर 20, गांवों में बिजली 40 प्रतिशत से बढ़कर 95 प्रतिशत, रेलवे लैंथ 22,048 कि.मी. से बढ़कर 55,198 कि.मी., नैशनल हाईवेज 25,700 कि.मी. से बढ़कर 53,700 कि.मी. अंतर्राष्ट्रीय सड़क निर्माण क्वालिटी रैंक 88 से कम होकर 42 पर आना, यूनीकोर्न 1 से बढ़कर 114, कास्ट 1 जी.बी. डाटा 200 रुपए से घटकर 15 रुपए होना, डिजिटल ट्रांजैक्शन 4-4 प्रतिशत से बढ़कर 76-1 प्रतिशत होना, रिन्यूएबल एनर्जी 25-जी.डब्ल्यू. से बढ़कर 95-7 जी.डब्ल्यू, एम.बी.बी.एस. सीटें 5,348 से बढ़कर 10,1148 पी.जी. मैडीकल सीट 31,152 से बढ़कर 65,335 और देश को विश्व की पांचवीं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में लाकर आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना। प्रश्र है कि क्या भारत नई बुलंदियों के अग्रसर पथ को छोड़कर पीछे मुड़ कर देखने का जोखिम उठा सकता है, शायद नहीं? भारत विश्व का सबसे युवा देश है जिसकी औसत उम्र 29 वर्ष,65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम, 50 प्रतिशत संख्या 25 वर्ष से कम। यही कारण है कि विश्व भारत को कर्मठता की विशेष श्रेणी में रखता है। तभी कहा जाता है, ‘‘भारत का जन भी युवा और भारत का मन भी युवा, भारत अपने सामथ्र्य से भी युवा है, भारत अपने सपनों से भी युवा है, भारत अपने चिंतन से भी युवा है, भारत अपनी चेतना से भी युवा है।
मोदी सरकार ने 2014 तक 387 मैडीकल कालेजों में 71 प्रतिशत इजाफा कर 660, यूनिवर्सिटीज को 2014 तक 760 में 46 प्रतिशत बढ़ाकर 1,113 कर क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। डिजिटल शिक्षा में पी.एम.ई. विद्या, दिशा प्लेटफार्म के जरिए 33 भाषाओं में ई. सामग्री उपलब्ध कराई है, 337 एन.सी.ई.आर.टी. पुस्तकों का डिजिटलाइजेशन, ई-पाठशाला मोबाइल ऐप पर उपलब्ध है।- डी.पी. चंदन(भाजपा नेता)