‘सुधार किसके लिए-वृद्धि या फिर महिमा के लिए’

punjabkesari.in Sunday, Nov 22, 2020 - 04:39 AM (IST)

मैं प्रोफैसर अरविंद पनगढिय़ा का स्वागत करता हूं कि उन्होंने किस तरह से सुधारों तथा वृद्धि पर हुई बहस पर चर्चा की। मेरे आलेख ‘सुधार तथा वृद्धि’ (पंजाब केसरी 18 अक्तूबर 2020) को लेकर दिए गए जवाब पर पनगढिय़ा ने एक आलेख ‘डिफैंडिंग मोदीज रिफॉम्र्स रिकार्ड’ लिखा। मुझे खुशी है कि उन्होंने इस बहस को सिविल स्तर तथा सरगर्म होकर जिंदा रखा। अपने आलेख में मैंने उन पांच सुधारों का आकलन किया जिसे मोदी के समर्थकों द्वारा जोर-शोर से व्याख्यान किया गया। मैंने निष्कर्ष निकाला था कि एक सुधार का अंतिम टैस्ट यह होता है कि क्या यह सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की वृद्धि दर को आगे बढ़ाता है या नहीं। मैं डा. पनगढिय़ा को सुधारों का स्वर्ण स्टैंडर्ड याद दिला रहा हूं। 

सबसे पहले मुझे डाक्टर पनगढिय़ा के तर्क की तरफ मुडऩा होगा जिन्होंने बहुत सुधारों का उल्लेख किया। आपको ‘बहुत’ शब्द को नोट करना होगा। डा. पनगढिय़ा के अनुसार सुधारों का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हाराव, अटलबिहारी वाजपेयी तथा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है जो एक ही संघ में शामिल हैं। जबकि पूर्व प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह इसमें शामिल नहीं। विश्व के ज्यादातर अर्थशास्त्री जिसमें डाक्टर पनगढिय़ा के प्रतिपालक प्रोफैसर जगदीश भगवती भी शामिल हैं, उनके निष्कर्ष से जरूर हिल गए होंगे। क्योंकि डा. पनगढिय़ा ने ‘बहुत’ शब्द  का इस्तेमाल किया है। इसलिए हमें प्रत्येक उस प्रधानमंत्री के सुधारों का लेखा-जोखा करना है और उनकी एक सूची रख कर हमें सुधारों की गिनती करनी है। मैंने पहले से ही उन पांच सुधारों को निर्देष्ट किया है जिनके लिए डाक्टर पनगढिय़ा ने पी.एम. मोदी का गुणगान किया है। 

1. इन्साल्वैंसी एंड बैंकरप्सी कोड
2. कृषि कानून
3. श्रम सुधार
4. चिकित्सा शिक्षा में सुधार
5. एफ.डी.आई. का उदारीकरण 

कुछ कारणों से डा. पनगढिय़ा ने जी.एस.टी. पर जोर दिया और तबाही वाली नोटबंदी को छिपा लिया। इसे सम्पूर्ण करने के लिए हमें इन दोनों को साथ जोडऩा होगा ताकि हम 7 सुधारों की बात कर सकें। एक बार फिर मैं उस तर्क-वितर्क में नहीं पड़ूंगा कि क्या चिकित्सा शिक्षा में सुधार जिसको नैशनल मैडीकल कमिशन द्वारा किया गया था, एक सुधार है या फिर एफ.डी.आई. का उदारीकरण पूरी तरह से मोदी के कारण संभव हुआ है या फिर उन्होंने एफ.डी.आई.को पहली बार अनुमति दी। याद रहे कि हम मात्रात्मक गिनती कर रहे हैं न कि गुणात्मक विश्लेषण कर रहे हैं। हम 7 की बात कर रहे हैं। 

अब मुझे पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के कार्यकाल (2004-2014) की बात और सुधारों की गिनती करनी होगी। इससे पहले कि आप उस सूची को पढ़ पाएं यहां पर मैं अनेकों चेतावनियां दे रहा हूं। मिसाल के तौर पर बैंकिंग कैश ट्रांजैक्शन जिसके तहत बड़ी निकासी तथा नकदी जमा करवाई गई। मैंने नैशनल मैन्युफैक्चरिंग कम्पीटीटिवनैस कौंसिल तथा इन्वैस्टमैंट कमिशन जैसे उपायों को छोड़ दिया जोकि एक ही व्यक्ति पर केन्द्रित है।  कुछ सुधारों को यू.पी.ए. सरकार द्वारा शुरू किया गया मगर अब उनका नाम बदल दिया गया है और सूची में शामिल किए गए हैं। मैंने सुधार उपायों की लम्बी उम्र तथा टिकाऊपन के टैस्ट का अनुसरण किया है। 

मैं डा. पनगढिय़ा द्वारा दिए गए वृद्धि दर के आंकड़ों को मानता हूं। नरसिम्हा राव 5.1 प्रतिशत, अटल बिहारी वाजपेयी 5.9 प्रतिशत, डा. मनमोहन सिंह 7.7 प्रतिशत और मोदी 6.8 प्रतिशत, डा. मनमोहन सिंह के दो कार्यकाल किसी भी अन्य प्रधानमंत्री के रिकार्ड से आगे हैं। नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान प्रफुल्लित हुए कई सुधारों को आगे बढ़ाने का श्रेय डा. सिंह को भी जाता है जो बतौर वित्त मंत्री होते हुए इस कहानी के असली लेखक थे। मैंने अपनी महिमा को प्रकट करने के लिए सुधार किया। मेरे  सुधारों की वजह से वृद्धि हुई जोकि लोगों के लिए तथा उनकी खुशहाली के लिए है। अब आप खुद जज हैं और अपना निष्कर्ष निकालें। 

‘2004-2014 के दौरान सुधारों की एक बहुत सीमित सूची रखी गई है’ 
1. वैट
2. मनरेगा
3. आधार
4. डायरैक्ट बैनिफिट ट्रांसफर (डी.बी.टी.)
5. जीरो बैलेंस अकाऊंट
6. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की हदबंदी
7. राइट टू एजुकेशन एक्ट
8. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (आशा)
9. राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन
10. राष्ट्रीय बागवानी मिशन
11. मौसम आधारित फसल बीमा
12. ए.पी.एम.सी. पर माडल कानून
13. राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन एवं सहकारिता
14. सभी वस्तुओं तथा सेवा पर सी.ई.एन. वी.ए.टी.
15. सिक्योरिटी समाप्ति पर लम्बी अवधि के पूंजीगत लाभ
16. एस.टी.टी. को पेश करना
17. खुदरा में एफ.डी.आई.
18. कोयला खनन में निजी भागीदारी
19. पैट्रोल एवं डीजल के लिए सबसिडियां खत्म करना 
20. जैंडर बजट 
21. स्टॉक एक्सचेंज का डीम्युचलाइजेशन
22. पी.एफ.आर.डी.ए. एक्ट 
23. कम्पनीज एक्ट
24. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट
25. राइट टू फेयर कम्पनसेशन (एल.ए.आर.आर.) एक्ट
26. वन अधिकार एक्ट -पी.चिदंबरम


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