नागालैंड से सारी दुनिया सीखे

Saturday, Mar 11, 2023 - 05:55 AM (IST)

नागालैंड, त्रिपुरा और मेघालय में भाजपा का डंका बज गया, यह देश ने जमकर देखा। लेकिन वहां जो असली विलक्षण घटना हुई है, उसकी तरफ लोगों का ध्यान बहुत कम गया है। वह विलक्षण घटना यह है कि जिन पार्टियों ने चुनाव में एक-दूसरे का डटकर विरोध किया, उन्होंने ही मिलजुल कर अब नई सरकार बनाई है। इतना ही नहीं, वे छोटी-मोटी पार्टियां, जो राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा आदि का विरोध करती रही हैं, उन्होंने पूर्व में भी नागालैंड में ऐसी सरकार बनाई है, जैसी दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में भी नहीं है।

नागालैंड की ताजा सरकार ‘नैशनलिस्टिक डैमोक्रेटिक प्रोग्रैसिव पार्टी’ के नेतृत्व में बनी है। उसके नेता नैफ्यू रियो मुख्यमंत्री हैं। उनकी 60 सदस्यों वाली विधानसभा में एक भी सदस्य ऐसा नहीं है, जो कहे कि मैं विपक्ष में हूं या मैं विरोधी दल में हूं। तो क्या हम यह मान लें कि रियो ने साठों की साठ सीटें जीत लीं? नहीं, ऐसा नहीं हुआ है। उनकी पार्टी और भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं लेकिन उनकी संख्या कुल 37 है।

60 में से 37 यानी आधी से सिर्फ 7 ज्यादा फिर भी क्या बात है कि नागालैंड में कोई विरोधी दल नहीं है? जिन 8 दलों ने विरोधी बनकर चुनाव लड़ा था, उनमें 4 पार्टियां नागालैंड के बाहर की थीं। सभी आठों पार्टियों के जीते हुए विधायकों ने कहा है कि हम सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ हैं। अभी तक यह निश्चित नहीं है कि इन विरोधी पाॢटयों के विधायकों में से कुछ को मंत्री बनाया जाएगा या नहीं। शरद पवार की नैशनल कांग्रेस पार्टी को 7 सीटें मिली हैं। वह तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है।

उसे दुविधा है भाजपा से हाथ मिलाने में इसीलिए वह सरकार को बाहर से ही समर्थन देगी। जो भी हो, नागालैंड में जो सरकार बनेगी और चलेगी, मेरी राय में वह दुनिया के सभी लोकतंत्रों के लिए आदर्श है। दुनिया की संसदों में पक्ष और विपक्ष की पार्टियां जो फिजूल का दंगल करती हैं और अपना तथा देश का समय नष्ट करती हैं, उससे भारत, एशिया, अफ्रीका, अमरीका और यूरोप के लोकतांत्रिक देशों को छुटकारा मिलेगा। जो भी सरकार सर्वसम्मति से बने, उसमें दलीय संख्या के अनुपात में मंत्री बना दिए जा सकते हैं।

मंत्रिमंडल के सभी फैसले बहुमत के आधार पर होंगे। नागालैंड से भारत और दुनिया के सभी राजनीतिक दल प्रेरणा लेकर अपने-अपने देश में वैसी ही सरकारें बना सकते हैं, जैसी आजादी के बाद 1947 में भारत में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में बनी थी। उस नेहरू सरकार में घनघोर गांधीविरोधी भीमराव अंबेडकर और जनसंघ के जनक श्यामाप्रसाद मुखर्जी भी मंत्री थे। उसके 14 मंत्रियों में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, पारसी, दक्षिण भारतीय, दलित, महिला आदि सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व था। वह सचमुच की राष्ट्रीय सरकार थी। -डा. वेदप्रताप वैदिक

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