‘राजा को कौन बताएगा कि उसका शासन सक्षम नहीं’

punjabkesari.in Monday, Jan 25, 2021 - 03:59 AM (IST)

भारत में हम आर्थिक मंदी की लगातार 13वीं तिमाही में प्रवेश कर चुके हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) जिसका अर्थ है कि पिछले 12 महीनों में इस देश में उत्पादित सेवाओं और वस्तुओं का कुल मूल्य 2020-21 में 2019-20 के मुकाबले सिकुड़ गया है। हमने पिछले वर्ष की तुलना में कम किया है। जनवरी 2020 में जहां हमें फिर वहां लौटने के लिए शायद एक वर्ष और लगेगा। शायद हम यह नहीं जानते। 

समस्या कोविड के साथ शुरू नहीं हुई थी। यह इससे पहले ही अस्तित्व में थी। जनवरी 2018 से विकास में गिरावट शुरू हुई और तब से निरंतर ही गिरावट की ओर है। इसका मतलब यह है कि तब से लेकर प्रत्येक तिमाही में गिरावट दर्ज की गई। सरकार ने कुछ संख्या को जोडऩे की कोशिश की है। जैसे अमरीकी ‘सूअर पर लिपस्टिक’ लगाने के रूप में संदर्भित करते हैं मगर इसका कोई फायदा नहीं है। यह तीन वर्षों में निरंतर गिरावट है। भारत में विकास की कहानी खत्म हो गई है। आप सभी भाषण दे सकते हैं मगर आप 39 महीने के धीमे होने के खिलाफ बहस नहीं कर सकते। 

हम चीन और अमरीका के साथ प्रतिस्पर्धा की बात जोर-शोर से करते हैं लेकिन फिर भी बंगलादेश की प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. के पीछे रह जाते हैं। वास्तविकता यह है कि लॉकडाऊन के बिना भी हम संकट में थे। यह ऐसा एक शब्द है जो शिथिल रूप में उपयोग किया जाता है लेकिन यहां पर सही दर्शाने के लिए सटीक कहा जाता है। सरकार को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि आखिर अर्थव्यवस्था जनवरी 2018 से क्यों ठप्प होने लगी। बाहर से कुछ सिद्धांत हैं मगर सरकार में उनकी चर्चा या बहस नहीं होती है। राजा को कौन बताएगा कि उसका शासन अक्षम है? कोई नहीं, जब तक कि वे अपना सिर नहीं खोना चाहते (या कम से कम अपना पद) और इसलिए हम उसी रास्ते पर चलते रहना चाहते हैं जो हमें इस आपदा में ले आया था। 

हमारी तबाही के संकेत हमारे चारों ओर हैं। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ट्रेडवार के कारण चीन ने काम छोड़ दिया है और कोविड केवल भारत में ही नहीं बल्कि वियतनाम और बंगलादेश में भी आया। प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. में हमारे पड़ोसी हमसे आगे हैं क्योंकि इनका निर्यात (उच्च श्रम वस्त्र निर्माण द्वारा संचालित) बढ़ रहा है जबकि 2014 के बाद से हमारा विकास नहीं हुआ है। हमारे पास निर्यात में शून्य वृद्धि के 6 साल हैं। हमारे पड़ोसी इस बात से भी आगे हैं क्योंकि उनके पास श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है। 

भारत महिलाओं के लिए विश्व में सबसे खतरनाक स्थान है। थॉमसन राइटर्ज फाऊंडेशन के अनुसार विश्व में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों के मामले में 2011 में हम चौथे स्थान पर थे और 2018 में हम अंतिम स्थान पर आ गए। संभवत: हम यहीं बने हुए हैं। कार्य बल में महिलाओं की कम भागीदारी के कई जटिल कारण हैं मगर सरकार की विफलता और आगे की गिरावट को रोकने के लिए इस वर्तमान सरकार की अक्षमता भी जिम्मेदार है। 

2021 में हमें आगे की ओर देखने के लिए हमारे पास वही कुछ है। हम अर्थव्यवस्था को उठते नहीं देखेंगे लेकिन हम सरकार की ओर से और अधिक बमबारी देखेंगे कि हम कितना अच्छा काम कर रहे हैं। पिछले साल की पहली तिमाही (अप्रैल-जून)के दौरान अर्थव्यवस्था में भारी छेद बनाया गया था क्योंकि लॉकडाऊन पिछले कुछ महीनों से चल रहा था। जब उसी तिमाही के नतीजे 2021 के मध्य में दिखाई दिए तो मोदी ने कहा कि हमारे पास विश्व की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था है और यह दिखावा करते हैं कि 25 प्रतिशत की वृद्धि केवल एक छेद के दाखिल होने से नहीं होती है बल्कि वह कुछ चमत्कार के कारण है जिन्हें मोदी ने दिए हैं। 

अर्थशास्त्रियों ने बताया कि मुकेश अंबानी की सम्पत्ति 2020 में 350 प्रतिशत और गौतम अडानी की सम्पत्ति 700 प्रतिशत से अधिक है लेकिन हम रिकार्ड बेरोजगारी पर हैं जो 9 प्रतिशत तक के आसपास मंडरा रही है। नौकरियों के बाजार से कई करोड़ भारतीयों को हटाया गया। जो लोग कार्यरत नहीं हैं और सक्रिय रूप से काम की तलाश में नहीं हैं और उन्हें बेरोजगार नहीं माना जाता। वास्तविक आंकड़ा 15 प्रतिशत की ओर बढ़ रहा है और शायद उससे भी अधिक हो सकता है। 

बैंक क्रैडिट ग्रोथ से लेकर आटोमोबाइल सेल तक यहां पर देश में वृद्धि की कोई भी कहानी नहीं है बल्कि यहां पर एक गिरावट है जिसे हमने पिछले वर्षों में स्थापित किया है। शायद एक दशक से। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतीं। यह एक बहुत आश्चर्यजनक बात होगी यदि वे इस साल में वहां चुनाव नहीं जीतते हैं। उनके पास संसाधनों की बड़ी गिनती है क्योंकि मोदी कार्पोरेट इंडिया से बहुत ज्यादा समर्थन हासिल करते हैं जिसे कोई अन्य पार्टी पा नहीं सकती और सभी पार्टियों के एकजुट होने के बावजूद भी ऐसा समर्थन नहीं पाया जा सकता। एक और राज्य भाजपा के लिए गिर जाएगा और अगर इस बार नहीं होता है तो निश्चित तौर पर अगली बार हो जाएगा। 

समाज को इस तरह से तोड़ दिया गया है जिसकी कभी भी मुरम्मत नहीं की जा सकती। मैं इसे निराशा से नहीं कह रहा हूं लेकिन यथार्थवादी होना चाहिए। जहर की मात्रा को शीर्ष से दिया जा रहा है जिसका प्रतिरोध नहीं देखा जा रहा। हर स्तर पर आर्थिक गिरावट से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा की विफलता, बेरोजगारी से लेकर सामाजिक तनाव तक भारत उसी राह पर चलता रहेगा जिसे उसने 2014 से खुद के लिए चुना था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निरंतर ही लोकप्रिय होते रहेंगे। अपने दैनिक प्रवचनों को मोदी बेहतर बनाते रहेंगे कि उनके नेतृत्व में चीजें कितनी बेहतर हुईं जो पूर्व में बहुत बुरी थीं।-आकार पटेल


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