अम्बानी के विशाल कॉर्पोरेट साम्राज्य के ‘छुपे रुस्तम’ कौन

punjabkesari.in Sunday, Jun 14, 2020 - 03:35 AM (IST)

उनके पास कोई आकर्षक किताब नहीं है और भारत के बाहर कुछ ही लोग उनके नाम को जानते हैं। मगर रिलायंस एन.एस.ई. 3.32 प्रतिशत इंडस्ट्रीज लि. में मनोज मोदी चुपचाप एशिया के सबसे अमीर आदमी के कार्पोरेट साम्राज्य के पीछे सबसे शक्तिशाली बलों में से एक बन गए। अलग-थलग और ज्यादातर जनता के लिए अदृश्य मनोज मोदी को भारत के व्यापार जगत के कई अंदरूनी लोगों ने अरबपति मुकेश अम्बानी के दाहिने हाथ के रूप में देखा है। 

उन्होंने अम्बानी और उनके बच्चों का समर्थन करते हुए अप्रैल में फेसबुक इंक.के साथ 5.7 बिलियन के सौदे के लिए हुई बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 63 वर्षीय मुकेश अम्बानी ने पैट्रो कैमिकल्स से लेकर इंटरनैट तकनीकों तक अपने व्यापक योगदान पर ध्यान केंद्रित किया है। मोदी को विशेष रूप से प्रभावशाली आवाज के रूप में देखा जाता है। समूह के जियो प्लेटफार्म में फेसबुक के निवेश के बाद निजी इक्विटी फंडों के एक समान सौदे के बाद 13 बिलियन डालर का कारोबार किया और इसे सिलीकॉन वैली के राडार पर मजबूती से रखा। 

मोदी का संबंध भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बिल्कुल भी नहीं है। वह शायद ही कभी साक्षात्कार देते हैं। उनके निजी जीवन के बारे में सार्वजनिक क्षेत्र के लोग बहुत कम जानते हैं फिर भी यह बात दर्शाती है कि भारत में कार्पोरेट जगत के साथ लम्बे समय से चल रहे संबंधों के बावजूद ऐसी हस्तियों को कम लोग जानते हैं। यह एक कम्पनी नहीं है जो अपने संगठनात्मक ढांचे को विज्ञापित करती है लेकिन उद्योग जगत जानता है कि अम्बानी और मोदी की टीम एक सशक्त टीम है। वह दोनों ही डील की बातचीत को इकट्ठा आगे बढ़ाते हैं। कलारी कैपिटल पार्टनर्स की मैनेजिंग डायरैक्टर वाणी कोला ने ही पिछले साल एक सम्मेलन में मोदी को सार्वजनिक उपस्थिति के लिए राजी किया था। 

मोदी रिलायंस रिटेल लिमिटेड के ड़ायरैक्टर हैं। कांफ्रैंस में उन्होंने अपने कौशल को दिखा दिया। मोदी ने कहा,‘‘मैं वास्तव में बातचीत नहीं करता हूं। मैं रणनीति नहीं समझता। लोग वास्तव में आंतरिक रूप से जानते हैं कि मेरे पास एक भी विजन नहीं है।’’ अपनी भूमिका का वर्णन करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘मैं अपने अधीनस्थ लोगों के साथ मित्रवत व्यवहार करता हूं। उन्हें कोचिंग करता हूं और उन्हें मार्गदर्शन देता हूं कि कैसे कोई कार्य किया जा सकता है।’’ लेकिन फिर उनकी सोच का एक संकेत उभर कर सामने आया। वह बोले, ‘‘रिलायंस में हमारा सिद्धांत बेहद सरल है। जब तक हर कोई हमारे साथ काम करते हुए पैसा नहीं कमाता आपके पास एक स्थायी व्यवसाय नहीं हो सकता।’’ 

साक्षात्कार में उद्योग के आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों जिन्होंने रिलायंस के साथ सौदा किया है, ने कहा कि मोदी के पास तोलमोल करने की एक प्रतिष्ठा है। स्टार्टअप्स के साथ काम करते समय वह अक्सर अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि वह कितनी दूर तक धक्का दे सकते हैं जब वह डील फेल होने के करीब है। रिलायंस के हालिया मैगा निवेशों ने जहां सु्र्खियां बटोरी हैं वहीं समूह ने कृत्रिम बुद्धिमता से लेकर नई तकनीकों में विशेषता हासिल करने के लिए कुछ वर्ष पूर्व छोटी कम्पनियों को खरीदने के लिए अधिग्रहण की होड़ शुरू की थी। यह विचार एक डिजीटल व्यवसाय बनाने का है जिसमें आनलाइन रिटेल से लेकर एंटरटेनमैंट पेमैंट्स तक हर चीज में जबरदस्त ऊर्जा मिलती है। 

मोदी ने प्रत्येक सौदे में एक बड़ी बात कही है और अक्सर उनके साथ एक बैठक का अनुमोदन किया जिसमें अंतिम मोहर का संकेत दिया। बजट कैरियर एयर डैकेन के संस्थापक जी.आर. गोपीनाथ का कहना है कि मोदी ने अपनी निष्ठा के कारण न केवल संगठन में अपनी शक्ति प्राप्त की है बल्कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए अपने बहुत ही सूक्ष्म, स्मार्ट और सक्षम वार्ताकार कौशल दिखाया। गोपीनाथ ने 2010 में रिलायंस के लिए अपनी कार्गो एयरलाइंस में अपनी हिस्सेदारी बेची थी। गोपीनाथ का कहना है कि मोदी के पास आई.वी. लीग विश्वविद्यालयों से औपचारिक शिक्षा के बिना उनके पास बहुत तेज दिमाग और भारतीय संदर्भ में आधुनिक प्रौद्योगिकी को समझने के लिए एक दुर्लभ अंर्तदृष्टि और देसी प्रतिभा है। 

गोपीनाथ ने कहा कि मोदी बेहद कुशल हैं और विलय और अधिग्रहण में रिलायंस के लिए सबसे अच्छा सौदा हासिल करने का प्रबंधन करते हैं। मोदी उन कुछ लोगों में से एक हैं जो 1980 के दशक से कम्पनी के साथ हैं जब अम्बानी के दिवंगत पिता तेल और पैट्रो कैमिकल क्षेत्र का निर्माण कर रहे थे। कुछ वर्ष पूर्व मनोज हरजीवन दास मोदी और अम्बानी ने मुम्बई में रासायनिक प्रौद्योगिकी के यूनिवर्सिटी विभाग में अध्ययन किया था और उसके बाद दोनों तेजी से दोस्त बन गए।-सरिता राय, पी.आर. संजय और बैजू कैलाश 


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