आरुषि का कातिल कौन? सवाल अभी भी अनुत्तरित

punjabkesari.in Saturday, Oct 14, 2017 - 01:47 AM (IST)

आरुषि हत्याकांड बेहद सुर्खियों में रहा और क्योंकि संवेदनशील तो था ही, उससे ज्यादा यह उस नोएडा में घटा जो टी.वी. चैनलों का हब है। बैठे-बिठाए देश-दुनिया की नजरें इस पर टिक गईं। एक से एक मोड़ आए, नित नए किस्से सुनाई देने लगे। पुस्तक तक लिख दी गई और फिल्म भी बन गई, लेकिन उस सवाल का जवाब आज भी नहीं मिला कि ‘आरुषि’ का हत्यारा कौन था? 

सी.बी.आई. कोर्ट ने नवम्बर 2013 में तलवार दम्पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके विरुद्ध अपील पर न्यायमूर्ति बी.के. नारायण एवं न्यायमूर्ति ए.के. मिश्र की खंडपीठ के समक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें पहले अदालत ने 11 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन बाद में सी.बी.आई. की कुछ दलीलों में विरोधाभास पाते हुए सुनवाई को फिर से शुरू करने का फैसला किया। उसके बाद अदालत ने अपना फैसला 12 अक्तूबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया, जिसमें निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए तलवार दम्पति को बरी कर दिया है। 

इस मामले में चूंकि कोई गवाह नहीं था, अत: सारा दारोमदार जांच और थ्योरी पर ही था। लेकिन अदालत में सबूतों को जिस तरह से पेश किया जाना चाहिए था, वह नहीं हुआ। मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर केन्द्रित रहा। घटनास्थल भी बार-बार की जांच से निश्चित रूप से प्रभावित हुआ और मुकद्दमे के दौरान कई सबूतों को नुक्सान पहुंचा होगा। हाईकोर्ट ने इन्हीं आधारों पर माना कि तलवार दम्पति को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। 25 नवम्बर 2013 को सी.बी.आई. कोर्ट ने तलवार दम्पति को उम्रकैद की सजा सुनाई, उसके बाद से दोनों गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। 

14 साल की बेटी आरुषि तलवार और नौकर हेमराज की हत्या 15-16 मई 2008 की दरमियानी रात नोएडा स्थित उनके घर पर हुई, जबकि एक दिन बाद नौकर हेमराज का शव तलवार के पड़ोसी की छत से बरामद हुआ। 23 मई 2008 को राजेश तलवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया और दूसरे दिन मुख्य अभियुक्त करार दिया। 29 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सी.बी.आई. जांच का आदेश दिया। जून 2008 को सी.बी.आई. ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की और राजेश तलवार को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन सबूतों के अभाव में विशेष अदालत ने 12 जुलाई 2008 को राजेश तलवार को रिहा कर दिया। इस बीच कम्पाऊंडर और 2 नौकरों को भी गिरफ्तार किया, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें भी छोड़ दिया। मामले में पहली बार 9 फरवरी 2009 को तलवार दम्पति पर हत्या का मामला दर्ज किया गया। 

जांच में सहयोग न करने के चलते दोनों के नार्को टैस्ट की जनवरी 2010 में इजाजत भी मिली। मामले में कई मोड़ आए, सी.बी.आई. की जांच हुई और इसमें दिसम्बर 2010 में 30 महीने बाद क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई। आरुषि के पिता राजेश तलवार पर 25 जनवरी 2011 को कोर्ट में चाकू से हमला किया गया। 6 जनवरी 2012 को तलवार दम्पति पर सुप्रीम कोर्ट ने मुकद्दमा चलाने का आदेश दिया। नुपुर तलवार को 30 अप्रैल 2012 को गिरफ्तार कर लिया गया। इस बीच नुपुर तलवार 25 सितम्बर 2012 को जमानत पर बाहर आ गईं।

12 नवम्बर 2013 को बचाव पक्ष के गवाहों के अंतिम बयान दर्ज किए गए थे। कोर्ट ने 25 नवम्बर 2013 को दोनों को आजीवन कारावास का फैसला सुनाया और तभी से दोनों गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। हालांकि 29 अगस्त 2016 को उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद नुपुर कुछ दिनों के लिए पैरोल पर रिहा की गई थी। तलवार दम्पति को न्याय मिला, जो प्रशंसनीय है, लेकिन हत्यारा कौन है इस सवाल का जवाब क्या सी.बी.आई. दे पाएगी? 
 


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