पाकिस्तान को रसातल से बाहर कौन निकाल सकता है

punjabkesari.in Saturday, Mar 18, 2023 - 05:47 AM (IST)

सबसे अच्छे समय में भी पाकिस्तान सबसे मजबूत लोकतंत्र नहीं रहा है। इसमें इसकी हाल की चरमराती आॢथक स्थिति को भी जोड़ा जा सकता है। पिछले कुछ सप्ताह देश के लिए उथल-पुथल वाले रहे हैं लेकिन यह सब सर्वश्रेष्ठ समय के बिना ही थे। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आई.एम.एफ.) की खैरात के साथ पाकिस्तान अभी भी अधर में लटका हुआ है। पाकिस्तान अभी भी आतंक का अड्डा बना हुआ है और इस बात को किसी भी तरह से भूलना नहीं चाहिए।

पाकिस्तान का विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी एक गहरे तूफान के बीच में लडख़ड़ा रहा है जिसके थमने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे। निश्चित तौर पर भारत सहित इस क्षेत्र के लिए यह बुरी खबर है। अराजकता में एक और गिरावट के साथ पिछले साल की बाढ़ से पाकिस्तान अभी भी नहीं उभरा है। इस्लामाबाद ने एक पुरानी रणनीति पर भरोसा किया है। अप्रत्याशित रूप से इसमें नई दिल्ली पर उंगलियां उठाने के हर अवसर का उपयोग किया है। यह पाकिस्तान या क्षेत्र के लोगों के लिए उचित स्थिति नहीं है।

इसलिए शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) की बैठक में जरदारी को भारत का निमंत्रण सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए बहुत कम कर सकता है। पाकिस्तान को आई.एम.एफ. बेलआऊट पैकेज के अनुरूप अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार करना चाहिए लेकिन इससे पहले इसे अल्पकालिक स्थिरता के रूप में एक समाधान की आवश्यकता है। पाकिस्तान को अब कम से कम खराब विकल्प में से एक को चुनना होगा। हो सकता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने समय से पहले चुनाव करवाने की कोशिश में शहीद की टोपी पहन ली हो।

यह चुनाव अक्तूबर के लिए निर्धारित किए गए थे लेकिन शहबाज शरीफ-रावलपिंडी शासन और इमरान खान के बीच ‘संघर्ष विराम’ के लिए। अभी चुनाव को पहले करवाना ही एकमात्र रास्ता हो सकता है। भ्रष्टाचार के आरोपों पर उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के फैसले ने भले ही वृद्धि को रोक लिया हो लेकिन लम्बे समय तक नहीं। चुनाव पाकिस्तान के लोगों को यह स्पष्ट संदेश देने में मदद कर सकते हैं कि अब बहुत हो चुका। सत्ताधारी सरकार तथा इमरान खान के लिए यह चुनाव एक ऐसा प्लेटफार्म हो सकते हैं जहां वे अपना विचार रख सकते हैं कि पाकिस्तान को दोनों ही रसातल से बाहर निकाल सकते हैं। (साभार ई.टी.)


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