जब चिल्ली में पोप के भाषण विरुद्ध लोग भड़क उठे

punjabkesari.in Tuesday, Jan 23, 2018 - 03:18 PM (IST)

हाल में ही कैथोलिक ईसाई समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस चिल्ली की यात्रा पर गए थे। वहां उनके उद्बोधन का उद्देश्य तो था सैक्स स्कैंडल की समस्या से निपटना लेकिन उलटा उन्हीं के भाषण के विरुद्ध आक्रोश भड़क उठा। 

चिल्ली के सबसे बदनाम बाल यौनाचारी के शिकारों को ही पोप ने दोषी करार दे दिया। इस देश में भारी संख्या में बच्चों को यौनाचारों के शिकार बनाए जाने के कारण कैथोलिक चर्च की विश्वसनीयता की धज्जियां उड़ गई थीं और पोप इस उद्देश्य से ही वहां गए थे कि वह पीड़ितों के घावों पर मरहम लगाएंगे और अपने सम्प्रदाय के धर्मगुरुओं की गिरती साख को संभालेंगे। वीरवार को पोप ने कहा कि जब तक वह बिशप (लाट पादरी) जुआन बैरो के विरुद्ध अपनी आंखों से यह प्रमाण नहीं देख लेते कि रैवरैंड (पूज्य) फरनांदो कारादिमा के यौन अपराधों पर पर्दापोशी करने में उनकी संलिप्तता थी, तब तक बैरो के विरुद्ध लगाए गए दोषों को केवल ‘निंदा प्रचार’ ही मानेंगे। 

पोप की इस टिप्पणी से पीड़ितों तथा उनके प्रतिनिधियों को बहुत आघात पहुंचा और वे भड़क उठे, हालांकि वे मांग कर रहे थे कि वैटिकन द्वारा कारादिमा को ‘आजीवन पश्चाताप और प्रार्थना’ की सजा दी जानी चाहिए। ये अपराध कारादिमा ने 2011 में किए थे। लाट पादरी बैरो के सबसे मुखर आलोचक जुआन कार्लोस क्रूज ने तो व्यंग्य भरी टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया था: ‘‘जब कारादिमा मेरे और अन्य बच्चों के साथ यौनाचार कर रहा था तो क्या हम उसकी सैल्फी लेकर पोप साहब और अदालत को प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करते? ये सब लोग अपना विवेक खो चुके हैं और पोप साहब उल्टा पीड़ितों को पश्चाताप का उपदेश झाड़ रहे हैं। कैथोलिक चर्च की इतनी फजीहत के बाद भी कुछ नहीं बदला है।  लोगों को पश्चाताप करने की तथा दोषियों को क्षमादान देने की पोप की सलाह एकदम बेहूदा तथा आधारहीन है।’’ 

पोप की चिल्ली यात्रा पर कारादिमा का सैक्स स्कैंडल ही छाया रहा और वीरवार देर शाम से शुरू होने वाली उनकी 3 दिवसीय पेरू यात्रा में भी यही मुद्दा छाया रहा। कारादिमा की करतूतों के शिकार बच्चों ने तो 2002 में ही चर्च के अधिकारियों से शिकायत कर दी थी कि कारादिमा अपने अधिकार क्षेत्र वाले सांतिआगो पैरिश में उनके साथ अभद्र हरकतें करते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि लाट पादरी जुआन बैरो इस यौनाचार के चश्मदीद थे लेकिन फिर भी उन्होंने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की। उलटा चर्च अधिकारियों ने उनके आरोपों पर भरोसा करने से ही इंकार कर दिया और बैरो के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोपों को नकार दिया। 

जब पीड़ितों ने 2010 में अपने आरोपों को सार्वजनिक कर दिया तो वैटिकन ने कारादिमा के विरुद्ध जांच शुरू कर दी जिसके फलस्वरूप उसे लाट पादरी की पदवी से हटा दिया गया। उसे हटाए जाने के बाद सांतिआगो के ज्येष्ठ लाट पादरी ने शुरूआती दौर में पीड़ितों की शिकायतों पर भरोसा करने से इंकार के लिए क्षमायाचना भी की। लेकिन कारादिमा की काली करतूतों के शिकारों के घाव 2015 में एक बार फिर तब खुल गए जब  पोप ने उसे दक्षिणी चिल्ली की ओसोरनो डायोसीज का लाट पादरी नियुक्त कर दिया। उसकी नियुक्ति पर चिल्ली के लोग भड़क उठे और  इस डायोसीज के कैथोलिक श्रद्धालुओं में बुरी तरह फूट पड़ गई जिससे देश भर में पहले से ही लडख़ड़ा चुकी कैथोलिक चर्च की विश्वसनीयता और भी डगमगाने लगी। 

पोप ने अपनी यात्रा दौरान कारादिमा के यौनाचार के पीड़ितों को व्यक्तिगत रूप में मिल कर उनके घाव सहलाने का वायदा किया था और साथ ही कहा था कि चर्च के पादरियों के गुनाहों के लिए वह स्वयं क्षमायाचना करेंगे। लेकिन चिल्ली में पहुंच कर उनके स्वर ही बदल गए और उन्होंने कह दिया: ‘‘जिस दिन मेरे सामने लाट पादरी बैरो के विरुद्ध प्रमाण प्रस्तुत किए जाएंगे मैं उसी दिन टिप्पणी करूंगा। उनके विरुद्ध कोई लेशमात्र साक्ष्य भी नहीं है। बस केवल तोहमतबाजी है।’’


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