क्या हासिल होगा वक्फ संशोधन से
punjabkesari.in Friday, Apr 18, 2025 - 05:29 AM (IST)

मैं श्रेया हांडू को नहीं जानता। मुझे बताया गया है कि वह कश्मीरी पंडित समुदाय से एक वकील हैं जैसा कि उनके उपनाम ‘हांडू’ से पता चलता है। मैंने हाल ही में एक ब्लॉग पढ़ा जिसके बारे में कहा गया कि वह उनके द्वारा लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि ‘वक्फ संशोधन पारदर्शिता के बारे में नहीं हैं। वे अत्याचार के बारे में हैं’। मैं इस विश्लेषण से पूरी तरह सहमत हूं। हाल ही में भारतीय संसद द्वारा पारित कानून के इर्द-गिर्द रची गई पूरी धांधली पूरी तरह से अनावश्यक थी। सम्पूर्ण विपक्ष ने एकजुट होकर बहस में भाग लेने और सत्तारूढ़ दल की वास्तविक मंशा को उजागर करने का निर्णय लिया। अब समय आ गया है कि ये पार्टियां एकता और परिपक्वता का परिचय दें।
सत्तारूढ़ पार्टी की असली मंशा का खुलासा स्वयं हमारे प्रधानमंत्री ने किया जब उन्होंने मंगलवार 8 अप्रैल को नई दिल्ली में न्यूज-18 समूह द्वारा आयोजित ‘राइजिंग भारत शिखर सम्मेलन’ को संबोधित किया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने का आरोप लगाया जिसके कारण मुस्लिम कट्टरपंथियों और भूमि हड़पने वालों के हितों की पूर्ति हुई, जिसके कारण भारत का विभाजन हुआ। यह आरोप 9 अप्रैल को प्रकाशित अधिकांश समाचार पत्रों में छपा था। आर.एस.एस. ने हमेशा महात्मा गांधी और पंडित नेहरू को भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया था। मुझे यह नहीं पता था कि वक्फ अधिनियम ही विभाजन के लिए इस्तेमाल किया गया साधन था!
हमारे प्रधानमंत्री ने वह पर्दा हटा दिया है या हटाने की कोशिश की है जो हमारी आंखों को सच्चाई देखने से रोकता था! मेरे अधिकांश मित्र मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा प्रतिपादित ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ के कार्यान्वयन में इस अधिनियम की भूमिका से अनभिज्ञ थे। मुझे यहां यह स्वीकार करना होगा कि मुझे पता था कि इस अधिनियम का दुरुपयोग वक्फ बोर्ड से जुड़े बेईमान संचालकों और जल्दी से जल्दी पैसा कमाने के अवसरों की तलाश में रहने वाले लोगों द्वारा किया जा रहा है। मेरी बड़ी बेटी की सहेलियों, दो बहुत ही सम्मानित मुस्लिम बहनों ने एक बार मुझसे शिकायत की थी कि मुम्बई के माहिम में रहने वाले कुछ मुस्लिम निवासी उनकी संपत्ति पर नजर गड़ाए हुए हैं जो माहिम समुद्र तट के पास स्थित है, जहां जमीन हड़पने वाले लोग भी रहते हैं। मैंने इन 2 बुजुर्ग बहनों की आशंकाओं को उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों तक पहुंचाया और उनसे अनुरोध किया कि वे इन 2 असहाय महिलाओं के कानूनी अधिकारों की रक्षा करें।
दोनों बहनें अपने दिवंगत पिता द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट के स्वामित्व वाली प्रमुख संपत्ति पर निराश्रित मुस्लिम लड़कियों के लिए एक अनाथालय चला रही थीं। ट्रस्ट द्वारा नियुक्त कर्मचारियों द्वारा अनाथ लड़कियों को आवास, भोजन, वस्त्र तथा देखभाल की व्यवस्था की गई। गोरखा चौकीदार को छोड़कर अनाथालय का पूरा स्टाफ महिलाएं थीं। उन्हें जरूरत पडऩे पर पुलिस सहायता का आश्वासन चाहिए था और यही कारण था कि दोनों बहनें मुझसे संपर्क कर रही थीं। हर समुदाय में दुष्ट तत्व मौजूद होते हैं जो कमजोर और असहाय लोगों पर हमला करने की ताक में रहते हैं। लालच केवल मुसलमानों तक ही सीमित नहीं है। जहां भी पैसा आता है, उस समुदाय के लालची लोग या संबंधित सरकारी एजैंसी से जुड़े लोग अपने गंदे हाथ उसमें फंसाने की साजिश रचते हैं। निश्चित रूप से, हमारे प्रधानमंत्री यह जानते हैं। वक्फ प्रशासन में जिस प्रकार की साजिशों को वह रोकने का प्रयास कर रहे हैं, वैसी ही साजिशें अन्य धर्म-संबंधी तथा अन्य ट्रस्टों में भी प्रचलित हैं।
कोई भी स्वतंत्र लेकिन निष्पक्ष पर्यवेक्षक यह निष्कर्ष निकालेगा कि भाजपा सरकार ने वक्फ बोर्डों को निशाना बनाया है क्योंकि वे मुस्लिम अल्पसंख्यकों से जुड़े हैं। ‘सबका साथ- सबका विकास’ का सिद्धांत, जिसे मोदी बिना सोचे-समझे दोहराते हैं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के मामले में जल्द ही भुला दिया जाता है। मोदी ने जोर देकर कहा कि वक्फ अधिनियम में संशोधन गरीब मुसलमानों सहित समाज के हित में आवश्यक था। दुर्भाग्यवश, ये उच्च भावनाएं न तो उन लोगों द्वारा सांझा की जाती हैं जिन्हें कानूनों के कार्यान्वयन का जिम्मा सौंपा गया है और न ही मुस्लिम जनता द्वारा, जिन्हें प्रधानमंत्री पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी चिंता से लाभ होगा। इसके तुरंत बाद मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार बनी है तब से यह महसूस किया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय को विशेष रूप से निशाना बनाकर अनुचित तरीके से दंडित किया जा रहा है।
मवेशी व्यापारियों, जिनमें से अधिकतर मुस्लिम हैं, की लिंचिंग और हिंदू लड़कियों से प्यार करने वाले मुस्लिम लड़कों पर ‘लव जिहाद’ के आरोप 2014 से रोजाना की बात हो गई है। उन्हें लक्षित करने वाले पहले कानूनों में से एक सी.ए.ए. (नागरिकता संशोधन अधिनियम) था। इस अधिनियम का उद्देश्य पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों और पारसियों को उनकी मांग पर भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का आश्वासन देना था जोकि भाजपा के आने से पहले भी उन्हें प्राप्त थी। पाकिस्तान और बंगलादेश से आए हजारों बल्कि लाखों हिंदू शरणार्थियों को पहले ही भारतीय नागरिकता प्रदान की जा चुकी है और उनका पुनर्वास किया जा चुका है। मेरे विचार में सी.ए.ए. जैसे कानून और वक्फ अधिनियम में संशोधन का उद्देश्य अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को परेशान करना और हिंदुत्व के कट्टर समर्थकों को यह संदेश देना है कि मोदी-शाह सरकार मुसलमानों को अपने वश में करने और उन्हें धूल चटाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
दूसरी ओर, इसने देश में नफरत और विभाजन को जन्म दिया है। मैंने कई अवसरों पर नरेंद्र मोदी को ‘विविधता में एकता’ की अपील करते और उसका प्रचार करते सुना है जो एक उभरती हुई विश्व शक्ति के लिए ‘अनिवार्य आवश्यकता’ है।
यदि कोई नागरिक अधिनियम के क्रियान्वयन के दौरान किसी अन्य की भूमि हड़पता है या कोई संज्ञेय अपराध करता है तो उस अपराधी की पहचान की जानी चाहिए, उसके विरुद्ध मुकद्दमा चलाया जाना चाहिए तथा उसे दंडित किया जाना चाहिए। भारत की जनता सरकार से यही अपेक्षा करती है।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)