नीतीश बाबू के बिहार में क्या हो रहा है
punjabkesari.in Monday, Feb 20, 2023 - 04:45 AM (IST)

बिहार का प्रशासन पतन की ओर जा रहा है जिससे मुख्यमंत्री को चिंतित होना चाहिए। वरिष्ठ आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारी इन दिनों सेवा की बजाय अपने सार्वजनिक झगड़े के लिए चर्चा में हैं। अभी हाल ही में बिहार के दो आई.पी.एस. अधिकारी एक गतिरोध में थे जिसने न केवल सार्वजनिक डोमेन की भूमिका निभाई बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रशासन की आलोचना करने के विरोध को भी हवा दी। होमगार्ड और फायर सर्विसेज के इंस्पैक्टर जनरल विकास वैभव ने महानिदेशक शोभा ओहटकर पर उन्हें अनावश्यक रूप से गाली देने का आरोप लगाते हुए ट्विट्स की एक शृंखला पोस्ट की थी।
इसके चलते डी.जी. ने 2 महीने की छुट्टी के उनके आवेदन को खारिज कर दिया और कारण बताओ नोटिस जारी किया। ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी वरिष्ठ अधिकारी पर अभद्र भाषा का प्रयोग करने और अधीनस्थों और सहकर्मियों के साथ बुरा व्यवहार करने का आरोप लगाया गया है। यह घटना उस कड़ी के बाद की है जिसमें वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी के.के. पाठक एक वायरल वीडियो के बाद सुर्खियां बटोर रहे थे। जैसे-जैसे ये घटनाएं सामने आती हैं, कई प्रवेक्षकों का कहना है कि नीतीश कुमार के बिहार में क्या हो रहा है?
नए राज्यपालों की नियुक्ति में बाबुओं की हुई हार
केंद्र ने विभिन्न राज्यों में एक दर्जन से ज्यादा राज्यपाल नियुक्त किए हैं। लेकिन अजीब बात है कि सूची में कोई नौकरशाह नहीं है। 13 लोगों में सुप्रीमकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 2 सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी और 4 भाजपा नेता शामिल हैं। जबकि 6 लोग नवागंतुक हैं। 7 अन्यों को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया है। एक भी बाबू को राज्यपाल के तौर पर नहीं देखा जाना नि:संदेह उन महत्वाकांक्षी नौकरशाहों के लिए एक गंभीर झटका है जो लम्बे समय से सेवानिवृत्ति के बाद केंद्र की ओर देख रहे थे। बाबुओं के इर्द-गिर्द वरिष्ठ रैंकों में निराशा की लहर साफ देखी जा सकती है। शायद कानून मंत्रालय को छोड़ कर जहां बाबू इस बात से प्रसन्न हैं कि उनके कुछ पसंदीदा उम्मीदवारों को सफलतापूर्वक प्लेसमैंट दिया गया है।
क्या ऐसा हो सकता है कि कानून सचिव के पास अन्य बाबुओं की तुलना में सत्ताधारी के साथ बेहतर समीकरण हो? फिर भी, समग्र प्रवृत्ति निराशाजनक है। लम्बे समय से सरकार की सेवा करने वाले काफी बाबू असंतुष्ट और असंतोष लग रहे हैं। लेकिन जो स्थिर चुप्पी बनाए रखते हैं वे अभी भी आशा में रहते हैं। वे घरों में बैठ कर अभी भी हार मानने को तैयार नहीं हैं। उन्नत दर्जे में सेवानिवृत्त आई.ए.एस. अधिकारियों ने धीरे-धीरे गिरावट देखी है। मोदी सरकार ने गैर-आई.ए.एस. अधिकारियों को उन पदों पर नियुक्त किया है जो परम्परागत रूप से उनके पास थे। अब आई.आर.एस. और आई.एफ.एस. के अधिकारियों को आई.ए.एस. के गढ़ में सेंध लगाते देखना आश्चर्यजनक नहीं रह गया है।
कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय के खिलाफ कानूनी लड़ाई हारने के बाद बाबुओं ने प्रतिष्ठित जिमखाना क्लब पर केंद्र सरकार का नियंत्रण भी खो दिया है। जमीनी स्तर पर नुक्सान वास्तविक है और इससे सेवानिवृत्ति के करीब आने वाले बाबुओं को वर्तमान में बहुत चिंता होनी चाहिए जो बाबू गलियारों से निकलने के बाद अपनी सेवाओं के लिए एक छोटे से पद का लालच करते हैं।
आई.पी.एस. इम्पैनलमैंट के लिए सरकार ने पैनल पर कब्जा किया
केंद्र में महानिदेशक (डी.जी.) या समकक्ष पदों के लिए हाल ही में 29 से अधिक आई.पी.एस. अधिकारियों के पैनल के बारे में तत्कालिकता की भावना है। यह अधिकारी 1985, 1986, 1987 और 1988 बैच के हैं। महानिदेशक स्तर और समकक्ष पदों के लिए इन अधिकारियों के पैनल पर एक चयन समिति द्वारा विचार व्यक्त किया गया था जिसमें प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, सचिव (कार्मिक) दीपक खांडेकर और इंटैलीजैंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका शामिल हैं। जिन लोगों के पैनल को मंजूरी दी गई है उनमें 1988 बैच की आई.पी.एस. अधिकारी रश्मि शुक्ला हैं जो महाराष्ट्र में कई विवादों के बीच रही हैं। यह शुक्ला के लिए एक केंद्रीय बल का नेतृत्व करने या एक महत्वपूर्ण पद पर महाराष्ट्र लौटने का रास्ता साफ करता है।
सूत्रों के अनुसार चूंकि वह डी.जी.पी. रजनीश सेठ से वरिष्ठ हैं, अगर सरकार उन्हें वापस महाराष्ट्र भेजने का फैसला करती है तो किसी एक वरिष्ठ अधिकारी को हटाना होगा। दो और आई.पी.एस. अधिकारियों को भी डी.जी. के रूप में सूचीबद्ध किया गया जिनमें अतुल चंद कुलकर्णी और सदानंद दाते शामिल हैं। महाराष्ट्र में दाते की पदोन्नति को पुलिस स्थापना बोर्ड ने भी मंजूरी दे दी है लेकिन डी.जी. स्तर के पद उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें अभी तक डी.जी. पोस्टिंग नहीं दी गई है। वर्तमान में दाते आतंकवाद निरोधी दस्ते के प्रमुख हैं और कुलकर्णी राष्ट्रीय जांच एजैंसी में अतिरिक्त महानिदेशक हैं। इसी बीच मुम्बई के विशेष पुलिस आयुक्त देवेन भारती को अतिरिक्त डी.जी. के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यू.पी. कैडर के 8 आई.पी.एस. अधिकारियों और पंजाब के 5 अधिकारियों को केंद्र में महानिदेशक और अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर सूचीबद्ध किया गया था। -दिलीप चेरियन, दिल्ली का बाबू