यह जंग भी जीत जाएंगे हम

punjabkesari.in Wednesday, May 05, 2021 - 05:03 AM (IST)

आज कोरोना की इस भयानक महामारी में अंतर्राष्ट्रीय संस्थान जिन का उत्तरदायित्व ही मानवता को बचाना है स्वयं में मरणासन्न दिख रहे हैं। दुनिया की 14 करोड़ आबादी कोरोना की चपेट में है, 30 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, अकेले भारत में 1.75 लाख मौतें कोरोना से हो चुकी हैं। भारत में 80,000 से ज्यादा बच्चे कोरोना वायरस की चपेट में जिंदगी और मौत की जंग में जूझ रहे हैं तो मैं पूछता हूं आज संयुक्त राष्ट्र संघ कहां है? 

वल्र्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन कहां है? जी-20 के बीस देश कहां हैं? वल्र्ड पीस फाऊंडेशन कहां है? वह सारे संस्थान जिनके जिन्में मानवता की रक्षा करना इस कोरोना महामारी में था कहां छिप गए? अपना उत्तरदायित्व तो यह अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं निभातीं। उ

त्तरदायित्व तो क्या निभाना था, इस महामारी में कहीं इनका अस्तित्व तक दिखाई नहीं दिया। कम से कम दुनिया को संकट की घड़ी में गाईड ही करतीं कोई दिशा-निर्देश तो देतीं। अरबों की संपत्ति की मालिक, न्यूयार्क में सैंकड़ों मंजिलों में फैले अपने साम्राज्य का संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व तो संकट में दिखाती। दुनिया ऑक्सीजन की कमी से क्रन्दन कर रही है, अस्पतालों में मरीजों को बैड नहीं मिल रहे, वैक्सीन बाजारों से गायब है तो ऐसी संकट की घड़ी में यू.एन.ओ. कहां चली गई? 

अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष कहां छिप गया? रैडक्रास जैसी संस्थाएं कहां गुम हैं? इन अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का तो निर्माण ही इसलिए हुआ था कि सब संकट की घड़ी में मानवता की सेवा करेंगी परंतु अफसोस से कहना पड़ रहा है कि आज कोरोना महामारी में जब इनकी जरूरत पड़ी तो ये संस्थाएं दुनिया के नक्शे से ही गायब मिलीं। विशेषकर गरीब देश जो खड़े ही इन संस्थाओं की सहायता पर थे, आज असहाय नजर आए जबकि इन गरीब देशों का अरबों रुपया इन्हीं संस्थाओं के खाते में जमा है। 

इन गरीब देशों का पैसा ही यह अंतर्राष्ट्रीय संस्थान संकट में लौटा देते। चलो कोई बात नहीं यह महामारी आज नहीं तो कल चली जाएगी परंतु जब हालात सामान्य होंगे तो इन संस्थाओं से विश्व जनमत जरूर प्रश्र करेगा। ‘जब मानवता महामारी से कराह रही थी तब तुम कहां थे? कोरोना लाखों लोगों की जानें ले रहा था तब तुमने मानवता से मुंह क्यों फेर लिया? तब तुम चीन के षड्यंत्र में मिल गए। कोरोना वायरस फैलाने वाले चीन की पीठ ठोकने लग पड़े।’’ संयुक्त राष्ट्र संघ कम से कम दुनिया के अमीर देशों से आॢथक सहायता लेकर गरीब मुल्कों की सहायता कर सकता था पर यू.एन.ओ. जैसी संस्थाएं चीन से डर गईं। यू.एन.ओ. कोरोना वायरस फैलाने वाले मानव द्रोही चीन  को तो दुनिया में नंगा कर सकती थी। इसने नहीं किया। चीन से सब डर गए। 

तो क्या मानवता इस कोरोना महामारी में जीने की इच्छा छोड़ दे? कदापि नहीं। कोरोना हारेगा। मानव पिछले चार सौ सालों में चार महामारियां झेल चुका है। 1720 की प्लेग महामारी, 1820 की हैजा महामारी, 1920 की स्पेनिश लू और 2020 की कोरोना महामारी मानव को डरा नहीं सकती। प्लेग महामारी में तो मानव ने स्वयं गांव के गांव जला डाले थे। स्पेनिश लू ने 2 करोड़ मनुष्यों को खा लिया था। वर्तमान मनुष्य ने आगामी पीढ़ी से ‘जिंदा रहने’ का वायदा किया है। आदमी भले ही मरता रहे, पर ‘जीवन’ तो सतत चलता रहता है। कोरोना भले ही अपना जोर लगा ले ‘जिंदगी हारेगी नहीं’। अंकुर को फूट कर वृक्ष बनना है। रात जितनी भी संगीन होगी, सुबह उतनी ही रंगीन होगी। अंधकार चाहे जितना घना हो, सूरज को तो उगना ही होगा। 

अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं भले सोई रहें, उन्हें चाहे चीन से डर लगे परंतु मानव ने तो डरना, झुकना, रुकना, सीखा ही नहीं। ‘द वुडस आर लवली, डार्क एंड डीप बट आई हैव प्रॉमिसिज टू कीप’। मानव को तो मृत्यु पर विजय प्राप्त करनी है। भला कोरोना महामारी उसे अपने पथ से कैसे हटा सकेगी? कोरोना लाख दो लाख जीवन ले सकता है। सारी मानवता को कभी नहीं मार सकता। मानवता सतत रहेगी। जीवन हमेशा आगे बढ़ता रहेगा। अत: यह महामारी जिसका नाम कोरोना है मानव के आगे हार मान लेगी। 

आंख, कान और बुद्धि से युक्त मानव क्या मौत से डर पाएगा? भगवान को तो स्वयं मनुष्य के शरीर की रचना कर ईष्र्या हो गई होगी। मनुष्य बनाकर भगवान स्वयं अचंभित हो गया होगा। वाह मैंने क्या अद्भुत वस्तु निर्माण कर दी? इसी मनुष्य के साथ ‘स्त्री’ रच संसार बना दिया। अब इस स्वयं रचित ‘संसार’ को भगवान स्वयं भी चाहे तो भी विनष्ट नहीं कर सकता।अत: यह मानव अजर है, अमर है, सनातन है और स्वयं अपना ‘भविष्य’ है। फिर कोरोना ही बताए कि ईश्वर द्वारा रचित इस मानव जीवन का अंत वह कर पाएगा?  1720 से 2020 तक की चार महामारियों को मैंने स्वयं सुना और देखा है। फानूस बन के जिसकी हिफाजत हवा करे वो शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे? 

अभी कल तो मैंने इसे हराया है, मानव, तू डाक्टरों, नर्सों, सफाई कर्मचारियों और पुलिस वालों को सलाम कर। यही तो कोरोना को हराएंगे। तू बस हौसला रख। वह देख सूरज निकल आया। कोरोना गया। मानव जीत गया।-मा. मोहन लाल


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