हमें डिजिटल करंसी का स्वागत करना चाहिए

Tuesday, Jan 04, 2022 - 06:30 AM (IST)

भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल करंसी जारी करने पर विचार कर रहा है। डिजिटल करंसी कागज पर छपा नोट नहीं होता, बल्कि यह एक नंबर मात्र होता है जिसे आप अपने मोबाइल अथवा कम्प्यूटर में संभाल कर रख सकते हैं। उस नंबर को किसी के साथ सांझा करते ही उस नंबर में निहित रकम सहज ही दूसरे व्यक्ति के पास पहुंच जाती है। 

डिजिटल करंसी के पीछे क्रिप्टो करंसी का जोर है। क्रिप्टो करंसी का इजाद बैंकों के नियंत्रण से बाहर एक मुद्रा बनाने की चाहत को लेकर हुआ था। कुछ कम्प्यूटर इंजीनियरों ने मिल कर एक कठिन पहेली बनाई और उस पहेली को उनमें से जिसने पहले हल कर लिया उसे ईनाम स्वरूप एक क्रिप्टो करंसी अथवा बिटकॉइन या एथेरियम दे दी। उस बिटकॉइन के निर्माण में खेलने वाले सभी ने अनुमोदन कर दिया कि यह नंबर फलां व्यक्ति को दिया जाएगा। इसी प्रकार नए बिटकॉइन या क्रिप्टो करंसी बनती गईं और इनका बाजार में प्रचलन होने लगा। 

क्रिप्टो करंसी केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से पूर्णतया बाहर है। जैसे यदि गांव के लोग आपस में मिल कर एक अपनी करंसी बना लें तो उस पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहता। वे आपस में पर्चे छाप कर एक-दूसरे से लेन-देन कर सकते हैं, जैसे बच्चे आपस में कंचों के माध्यम से लेन-देन करते हैं। क्रिप्टो करंसी का नाम ‘इंक्रिप्टेड’ से बना है। जिस कम्प्यूटर में यह करंसी रखी हुई है अथवा जो उस कम्प्यूटर का मालिक है, उसका नाम इंक्रिप्टेड या गुप्त है। 

इस करंसी को बनाने का उद्देश्य यह था कि सरकारी बैंकों द्वारा कभी-कभी अधिक मात्रा में नोट छाप कर बाजार में डाल दिए जाते हैं, जिससे महंगाई बहुत तेजी से बढ़ती है। लोगों की सालों की गाढ़ी कमाई कुछ ही समय में शून्यप्राय हो जाती है। ऐसी स्थिति वर्तमान में ईरान और वेनेजुएला जैसे देशों में मौजूद है। इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिए इन इंजीनियरों ने क्रिप्टो करंसी का आविष्कार किया ताकि बैंकों द्वारा अधिक नोट छापे जाने से उनकी करंसी (क्रिप्टो) की कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़े। 

केंद्रीय बैंकों द्वारा क्रिप्टो करंसी का विरोध 3 कारणों से किया जा रहा है। पहला यह कि अर्थव्यवस्था केंद्रीय बैंक के नियंत्रण से बाहर निकल जाती है। दूसरा विरोध यह है कि क्रिप्टो करंसी फेल हो सकती हैं। जैसे यदि कम्प्यूटर का नंबर हैक हो जाए अथवा क्रिप्टो करंसी बहुत भारी संख्या में बनाई जाने लगे तो आज जिस बिटकॉइन को आप ने एक लाख रुपए में खरीदा, वह कल 5000 रुपए की हो सकती है। तीसरा विरोध यह कि चूंकि क्रिप्टो करंसी गोपनीय है, इसका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों को सपोर्ट करने के लिए किया जा सकता है। 

दूसरी तरफ यदि बैंक गैर-जिम्मेदार है, जैसे महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है तो क्रिप्टो करंसी लाभप्रद हो जाती है। उस परिस्थिति में व्यापार करना कठिन हो जाता है। आज आपने किसी व्यापारी से एक बोरी गेहूं का सौदा 1,000 रुपए में किया, कल उस 1,000 रुपए की कीमत आधी रह गई। बेचने वाले ने सौदे से इंकार कर दिया।

आप यह सौदा क्रिप्टो करंसी में करते तो यह कठिनाई नहीं आती। अत: यदि केंद्रीय बैंक द्वारा बनाई गई मुद्रा अस्थिर हो तो क्रिप्टो करंसी के माध्यम से व्यापार सुचारू रूप से चल सकता है। मूल बात यह है कि यदि केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है तो क्रिप्टो करंसी अस्थिरता पैदा करती है लेकिन यदि केंद्रीय बैंक गैर-जिम्मेदार है तो क्रिप्टो करंसी लाभप्रद हो सकती है। इस स्थिति में कई केंद्रीय बैंकों ने डिजिटल करंसी जारी करने का मन बनाया है। 

डिजिटल करंसी और क्रिप्टो करंसी में समानता यह है कि दोनों एक नंबर होते हैं जो आपके मोबाइल में रखे जा सकते हैं, लेकिन क्रिप्टो करंसी की तरह डिजिटल करंसी गुमनाम नहीं होती। रिजर्व बैंक द्वारा इसे उसी तरह जारी किया जाएगा जैसे नोट छापे जाते हैं। रिजर्व बैंक जान सकता है कि वह रकम किस मोबाइल में रखी हुई है। इसलिए डिजिटल करंसी केंद्रीय बैंक के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार से हमारी रक्षा नहीं करती। 

नोट छापने की तरह केंद्रीय बैंक डिजिटल करंसी भी भारी मात्रा में जारी करके महंगाई पैदा कर सकता है। लेकिन फिर भी मुद्रा को सुरक्षित रखने में डिजिटल करंसी मदद करती है क्योंकि आपको नोटों की तरह इसे आग, पानी और चोरों से बचाना नहीं है। यदि कभी आप अपनी करंसी का नंबर भूल जाएं अथवा आपका मोबाइल चोरी हो जाए तो आपकी पहचान करके उसे वापस प्राप्त करने की व्यवस्था की जा सकती है। 

मेरा मानना है कि डिजिटल करंसी का हमें स्वागत करना चाहिए, बावजूद इसके कि यह केंद्रीय बैंक के गैर-जिम्मेदाराना आचरण से हमारी रक्षा नहीं करती। केंद्रीय बैंक के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को इस प्रकार के तकनीकी आविष्कारों से नहीं रोका जा सकता, उसे ठीक करने का कार्य अंतत: राजनीति का है और उस व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए। लेकिन डिजिटल करंसी के माध्यम से नोट को छापने और रखने का खर्च कम होता है और आपस में लेन-देन भी सुलभ हो सकता है।-भरत झुनझुनवाला    
 

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