प्रदूषण के असली कारण खोजने होंगे
punjabkesari.in Friday, Nov 24, 2023 - 06:02 AM (IST)

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या को हम कई सालों से सुनते आ रहे हैं। एक से एक सनसनीखेज वैज्ञानिक रिपोर्टों की बातों को हमें भूलना नहीं चाहिए। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दिल्ली से निकलने वाले गंदे कचरे, कूड़ा-कर्कट को ठिकाने लगाने का पुख्ता इंतजाम अभी तक नहीं हो पाया।
सरकार यही सोचने में लगी है कि यह पूरा का पूरा कूड़ा कहां फिंकवाया जाए या इस कूड़े का निस्तार यानी ठोस कचरा प्रबंधन कैसे किया जाए? जाहिर है इस गुत्थी को सुलझाए बगैर जलाए जाने लायक कूड़े को चोरी-छिपे जलाने के अलावा और क्या चारा बचता होगा? इस गैर-कानूनी हरकत से उपजे धुएं और जहरीली गैसों की मात्रा कितनी है जिसका कोई हिसाब किसी भी स्तर पर नहीं लगाया जा रहा है। इन सबके चलते आम नागरिकों पर सरकार द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों से असुविधा हो रही है। परंतु सरकार या उसकी प्रदूषण नियंत्रण करने वाली एजैंसियां असल कारण तक नहीं पहुंच पा रहीं।
जब भी कभी कोई उपभोक्ता एक-एक पाई जोड़ कर अपने सपनों का वाहन खऱीदता है तो उसे उसकी कीमत के साथ-साथ रोड टैक्स, जी.एस.टी. आदि टैक्स भी देने पड़ते हैं। इन सब टैक्सों का मतलब है कि यह सब राशि सरकार की जेब में जाएगी और घूम कर जनता के विकास के लिए इस्तेमाल की जाएगी। परंतु रोड टैक्स के नाम पर ली जाने वाली मोटी रकम क्या वास्तव में जनता पर खर्च होती है? क्या हमें अपनी महंगी गाडिय़ों को चलाने के लिए साफ-सुथरी और बेहतरीन सड़कें मिलती हैं? क्या टूटी-फूटी सड़कों की समय से मुरम्मत होती है?
क्या देश भर में सड़कों की मुरम्मत करने वाली एजैंसियां अपना काम पूरी निष्ठा से करती हैं? इनमें से अधिकतर सवालों के जवाब आपको नहीं में ही मिलेंगे। यहां एक सवाल यह भी उठता है कि सरकार द्वारा वाहनों के प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित रखने की दृष्टि से कई नियम लागू किए गए हैं। इनमें से अहम है कि दस साल पुराने डीजल और 15 वर्ष से अधिक पुराने पैट्रोल वाहनों को महानगरों की सड़कों पर चलने की अनुमति न देना। इसके साथ ही जिन-जिन वाहनों को चलने की अनुमति है उन सभी वाहनों में वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र यानी ‘पी.यू.सी.’ होना अनिवार्य भी है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि यदि आपके वाहन में एक वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र है तो आपका वाहन तय मानकों से अधिक प्रदूषण नहीं कर रहा और तभी आपके वाहन को सड़क पर आने की अनुमति है।
पिछले वर्ष नवम्बर के महीने में दिल्ली सरकार ने एक आदेश के तहत बिना वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र के चलने वाले वाहनों पर 10,000 का मोटा जुर्माना लगाने के आदेश दिए थे। इनका पालन भी सख्ती से होता हुआ दिखाई दिया। दिल्ली की सड़कों पर परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी इसे सख्ती से लागू करते हुए नजर भी आए। हर साल दीवाली के आस-पास दिल्ली-एनसीआर पर एक जहरीली हवा की चादर चढ़ जाती है।
पर्यावरण विशेषज्ञ, नेता और संबंधित सरकारी विभागों के अफसर हर साल की तरह इस साल भी इस समस्या को लेकर सिर खपा रहे हैं। उन्होंने अब तक के अपने सोच-विचार का नतीजा यह बताया है कि खेतों में फसल कटने के बाद जो ठूंठ बचते हैं उन्हें खेत में जलाए जाने के कारण यह धुआं बना है जो एनसीआर के ऊपर छा गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह तो हर साल ही होता है तो नए जवाबों की तलाश क्यों हो रही है? आनन-फानन में हर वर्ष दिल्ली सरकार कड़े कदम उठा कर कई तरह के प्रतिबंध लगा देती है। इनमें निर्माण कार्य पर रोक लगाना, भवन की तोड़-फोड़ पर रोक लगाना, पुराने डीजल और पैट्रोल वाहनों पर रोक लगाना, कूड़े को जलाने पर रोक लगाना आदि।-रजनीश कपूर