अभी भी हम ‘19वीं सदी’ की सोच के ‘दास’ बने हुए हैं

punjabkesari.in Sunday, Nov 08, 2020 - 04:27 AM (IST)

ऐसा भी समय होता है जब मेरा देश मुझे मायूसी में धकेल देता है। कुछ ऐसे मौके भी होते हैं जब मेरे सोचने पर कि मैं ठीक हूं और प्रशासन के स्वीकार करने के बीच एक बड़ी खाई बनती है। अपनी ही भूमि पर मैं एक एलियन की तरह महसूस करता हूं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के धार्मिक परिवर्तन पर दिए गए हाल ही के निर्णय तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की स्पष्ट धमकियों जो लव जेहाद के खिलाफ दी गईं, एक उचित उदाहरण है जो मेरे मन में चलता है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अपनी व्यवस्था में घोषणा की कि शादी के मंतव्य के लिए धर्म परिवर्तन कानूनी तौर पर अवैध है। मुझे इसके बारे में नहीं पता है। मेरे मन के अनुसार परिवर्तन करने के लिए एक सही समझने वाला कारण है। अपने पार्टनर के प्रति आपकी प्रतिबद्धता का एक सबूत है कि आप संस्कृति और धर्म के मतभेदों से ऊपर सोचते हैं। यहां पर प्यार का सबसे बड़ा चिन्ह यह होता है कि आप मेरे भगवान को स्वीकार करने की इच्छा जताते हैं और मैं आपके भगवान को गले लगाता हूं ताकि मैं आपके साथ रह सकूं। 

यदि मैं ऐसी बातों के लिए अपना निश्चय कर लूं तो अदालत कौन होती है? या फिर कानून कौन हो सकता है? यह किसी को भी प्रभावित नहीं करता मगर मुझे जरूर कर रहा है। यह एक ऐसा निर्णय है जिसे एक अकेला व्यक्ति कर सकता है और उसे ऐसा करने का अधिकार है। किसी को भी सवाल करने की ताकत नहीं। हालांकि मैं एक कदम और आगे बढ़ता हूं। ज्यादातर महिलाएं अपने धर्म की पवित्रता के अनुसार ही अपनी शादी को प्रदर्शित करती हैं। जब मैंने निशा से शादी की जोकि एक गोअन कैथोलिक है तो उसका सपना एक चर्च वैडिंग का था। एक हिंदू के साथ प्रेम में पडऩा मान्यताओं से परे था। 

सौभाग्यवश निशा के पिता टैरी लाचार नजर नहीं आए कि उनकी बेटी उनका धर्म छोड़ कर किसी अन्य धर्म में जा रही है। मेरे हिंदू होने के बावजूद उन्होंने मेरी शादी चर्च में करवाई और निशा को अपना पूरा समर्थन दिया। यदि वह ऐसा न करते तो मैं खुशी-खुशी एक कैथोलिक बन जाता ताकि मेरी पत्नी उस शादी को पा ले जिसकी वह तमन्ना रखती है। किसी भी क्षण के लिए मेरे हिंदू देवी-देवता अपने आपको अपमानित या फिर छला हुआ नहीं सोच पाए। वे तो जीसस तथा मैरी को एक अवतार के तौर पर मान्यता देंगे। किसी भी तरह मेरी पत्नी की खुशी को यकीनी बनाना था न कि घंटों तक एक दिखावटी और न सोची हुई प्रार्थना पर अपना ध्यान लगाना। 

अब मुझे योगी आदित्यनाथ की ओर लौटना होगा। हाल ही के उनके भाषण में उन्होंने उन व्यक्तियों को अल्टीमेटम दे डाला जो लव जेहाद का अनुसरण करते हैं। हिंदू लड़कियों से शादी करने वाले मुस्लिम व्यक्तियों के लिए उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह सुधरे नहीं तो राम नाम सत्य है की यात्रा निकलने वाली है।’’ उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि जो अपना रास्ता नहीं बदलेंगे उनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा। मुख्यमंत्री की स्थिति हक्का-बक्का करने वाली है। युवा मुस्लिम लड़कों जो हिंदू लड़कियों को इस्लाम में शादी के प्रस्ताव के द्वारा निभाते हैं, उसके बारे में योगी को किसने प्रभावित किया। फरवरी में केंद्र सरकार ने संसद में एक बयान में इस विचार का खंडन किया कि लव जेहाद का कोई भी मामला किसी भी केंद्रीय एजैंसी द्वारा नहीं पाया गया। 

इस बात का खंडन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रैड्डी ने किया। इसलिए आखिर कौन से तथ्यों पर सी.एम. योगी भरोसा कर रहे हैं। यह उनका कत्र्तव्य है कि वे इसका खुलासा करें मगर ऐसे तथ्य मौजूद नहीं हैं और यदि वह ऐसा नहीं कर पाए तो उनका कत्र्तव्य है कि वह चुप ही रहें। एक बार फिर मैं एक कदम और आगे जाना चाहूंगा। हमारा भारत देश एक बहु जातीय राष्ट्र है। हमारे देश में जाति, सम्प्रदाय, संस्कृति, पाक कला तथा रंग-रूप की अधिकता का हैरानी करने वाला संगम है। वे अपनी पहचान की व्याख्या करते हैं। मगर भारत के भविष्य को देखते हुए एक नई चेतना में हमारे मतभेदों को खत्म करने की जरूरत है। धार्मिक भेदभाव से परे शादियां शायद इन्हीं रास्तों को तलाश करने का हल हैं। 

भारत के लिए यही महत्वपूर्ण है कि साम्प्रदायिक सिद्धांतों से परे प्यार को देखा जाए। योगी कैसा सोचते हैं सभी लोग उसे समझ नहीं सकते। इसलिए आप मेरी मायूसी को समझ सकते हैं। 21वीं शताब्दी के 2 दशकों में हम हैं। मगर अभी भी हम 19वीं शताब्दी की सोच के दास बने हुए हैं। जिस व्यक्ति को रोशनी से आगे का रास्ता दिखाना चाहिए वह ऐसे प्रतीत होता है कि वह पूर्व की ओर ध्यान दे रहा है।-करण थापर
 


 


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