जल बजट की पहल

punjabkesari.in Wednesday, Apr 26, 2023 - 05:52 AM (IST)

हाल ही में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य में 15 ब्लॉक पंचायतों में 94 ग्राम पंचायतों के साथ जल बजट के प्रथम चरण के विवरण का अनावरण किया। केरल में प्रचुर मात्रा में नदियां, धाराएं, बैकवाटर हैं। साथ ही यहां अच्छी वर्षा भी होती है। यहां की हरी-भरी हरियाली इसका उदाहरण है। लगभग 46 लाख खुले कुएं और 44 नदियां होने के बावजूद केरल के कई हिस्से अभी भी पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। यही वजह है, जिसने राज्य को जल बजट अपनाने के लिए प्रेरित किया। यह देश में अपनी तरह का पहला बजट है। 

वस्तुत: जल बजट एक क्षेत्र या जल निकाय में प्रवेश करने वाले और निकास होने वाले पानी की मात्रा को मापने का एक उपाय है। यह एक बेसिन, जलभृत, आद्र्रभूमि या झील के संबंध में आपूर्ति के सभी स्रोतों और संबंधित बहिर्वाह का मूल्यांकन करने का एक तरीका है। जल बजट यह आकलन करने के लिए एक आधार प्रदान करता है कि हाइड्रोलॉजिकल चक्र के एक भाग में प्राकृतिक या मानव प्रेरित परिवर्तन, चक्र के अन्य पहलुओं को कैसे प्रभावित कर सकता है। जल एजैंसियां जल बजट का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करती हैं कि उनके जिले में पानी का उचित इस्तेमाल हो रहा है। जल बजट एक जिले के भीतर अंतर्वाह और बहिर्वाह को ट्रैक करता है, ताकि पानी संबंधित सभी जरूरतों को पूरा किया जा सके। 

जल बजट निश्चित रूप से जीवन की प्रमुख आवश्यकताओं में से एक, पानी के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने की दिशा में एक अच्छी पहल है। जल बजट के महत्व को कैलिफोर्निया के उदाहरण से समझा जा सकता है, जहां 1990 के दशक की शुरूआत से जनवरी 2016 तक जल बजट को अपनाने के बाद से आवासीय प्रति व्यक्ति पानी के उपयोग में 50 प्रतिशत की कमी आई है। जल क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कई चर्चाओं का केंद्र है। चाहे वह पानी की कमी हो, पानी की अधिकता हो या पानी की खराब गुणवत्ता हो। यह हमें सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है कि हम मानव और पर्यावरणीय कल्याण के लिए एक सुरक्षित, विश्वसनीय, पर्याप्त जल आपूर्ति कैसे बनाए रख सकते हैं। 

केरल राज्य में पानी की उपलब्धता में कमी देखी जा रही है और इसलिए जल बजट संसाधन का उचित उपयोग करने और अपव्यय को रोकने में सहायक होगा। इससे राज्य को कीमती तरल संसाधन की मांग और आपूर्ति का पता लगाने और उसके अनुसार विभाजित करने में मदद मिलेगी क्योंकि समस्या उपलब्धता नहीं, बल्कि प्रबंधन की है। यदि हम किसी संसाधन को उसकी मात्रा निर्धारित किए बिना प्रबंधित करने का प्रयास करते हैं तो यह अपनी ही छाया से लडऩे जैसा होगा। जल बजट के जरिए मांग और आपूर्ति के आंकड़े मिलने पर सही तस्वीर सामने आएगी। बेहतर जल प्रबंधन के लिए उचित योजना बन सकेगी। इससे पानी की अनावश्यक बर्बादी के खिलाफ जनता में जागरूकता आएगी। उम्मीद है कि देश में अपनी तरह की यह पहली परियोजना अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय उदाहरण साबित होगी।-देवेन्द्रराज सुथार 


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