वीजा संकट ने भारत के छात्रों को प्रभावित किया

punjabkesari.in Tuesday, Oct 14, 2025 - 04:30 AM (IST)

वीजा संकट ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों, खासकर भारत के छात्रों को प्रभावित किया है। छात्रों के वीजा में भारी कमी आई है। पिछले वर्ष की तुलना में केवल 44.5 प्रतिशत वीजा जारी किए गए हैं। अमरीका में उनकी शिक्षा के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। जनवरी और सितंबर 2024 के बीच,भारतीयों को दिए गए एच-1 वीजा में 38 प्रतिशत की गिरावट आई है। शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में छात्र वीजा आवेदनों की अस्वीकृति दर 41 प्रतिशत  रही, जिसमें 679,000 में से 279,000 आवेदन अस्वीकार कर दिए गए। भारतीय छात्र अमरीकी अर्थव्यवस्था में 9 अरब डालर से अधिक का योगदान करते हैं और हाल की वीजा नीतियों के कारण शरद ऋ तु में नामांकन में 80 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसका न केवल छात्रों पर बल्कि अमरीका की वित्तीय स्थिति पर भी प्रभाव पड़ रहा है। निराश होकर कई छात्र अन्य विकल्प तलाश रहे हैं। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन एक आशाजनक विकल्प के रूप में भारत में नए परिसर खोल रहा है। लगभग 11 लाख अंतर्राष्ट्रीय छात्र अमरीका में अध्ययन कर रहे थे।

आंकड़ों के अनुसार, चीन ने भारत को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष मूल देश का दर्जा हासिल कर लिया है। भारत जो पिछले साल संयुक्त राज्य अमरीका में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत था, में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई, जहां पिछले वर्ष की तुलना में 44.5 प्रतिशत कम छात्र वीजा जारी किए गए। परिवार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें इस चुनौतीपूर्ण समय में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को सहायता प्रदान करनी चाहिए। नई वीजा नीति ने पहले ही अमरीका में अध्ययन करने के इच्छुक भारतीय छात्रों को प्रभावित किया है। भारत का कहना है कि ट्रम्प की एच-1 वीजा शुल्क वृद्धि ‘परिवारों को बाधित’ कर सकती है। विदेशों, विशेष रूप से अमरीका में शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय और चिंताजनक कमी आई है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ वीजा संकट नहीं है बल्कि एक व्यापक शिक्षा संकट है  क्योंकि ट्रम्प  की नीतियों के कारण भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए यह लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

एफ, एम और ए वीजा श्रेणियों के लिए कोटा अब न्यूनतम है। मार्च और मई 2025 के बीच केवल 9,906 एफ-1 वीजा जारी किए गए जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 27 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, जून में नीतिगत बदलाव के बाद से, भारत में वाणिज्य दूतावास क्षमता में कमी आई है। आव्रजन कार्रवाई, आवास की कमी और महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव भारतीय छात्रों के लिए विकल्प सीमित कर रहे हैं। जवाब में,14 अमरीकी सांसदों ने कार्रवाई का आह्वान किया है। भारत सरकार ने लोगों को अवैध एजैंटों के बारे में चेतावनी दी है और ई-माइग्रेट का उपयोग करने वाले 3,500 से ज्यादा मामलों को रोक दिया है। भारतीय छात्रों का भविष्य क्या है? उनमें से कुछ पहले से ही यू.के. और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। सिंगापुर और अन्य देशों में, जहां संभावनाएं सीमित हैं, छात्र अपना प्रवेश उन अन्य देशों में स्थानांतरित कर सकते हैं जहां अमरीकी विश्वविद्यालयों ने शाखाएं स्थापित की हैं। संक्षेप में, अमरीका का नुकसान यूरोप का लाभ है।

चीनी छात्रों के लिए वीजा जारी करने में भी कमी आई है लेकिन लगभग उसी दर पर नहीं। संयुक्त राज्य अमरीका ने अगस्त में मुख्य भूमि चीन के छात्रों को 86,647 वीजा जारी किए  जो भारत के छात्रों को जारी किए गए वीजा की संख्या से दोगुने से भी ज्यादा हैं। भारत सरकार छात्र और पेशेवर आवागमन के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी और सुरक्षित ढांचे स्थापित करने हेतु अमरीकी सरकार के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है। इसका उद्देश्य एक निर्बाध वीजा प्रक्रिया प्रदान करना और दोनों देशों के बीच छात्रों और पेशेवरों के निरंतर आवागमन को सुगम बनाना है। वीजा मुद्दे का तत्काल समाधान आवश्यक है क्योंकि छात्रों को अपनी पढ़ाई का एक साल गंवाने का जोखिम है। प्रधानमंत्री को इस मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ बातचीत करनी चाहिए क्योंकि यह कई छात्रों के उच्च शिक्षा के भविष्य को सीधे प्रभावित करता है।-कल्याणी शंकर
 


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