वांछित आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर का हिंसक अंत
punjabkesari.in Wednesday, Jun 21, 2023 - 05:05 AM (IST)

भगवान की चक्की धीरे-धीरे लेकिन बहुत बारीक पीसती है। भारत में सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक, हरदीप सिंह निज्जर, जिसने भारत और कनाडा में कई हिंसक आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया, का खुद कनाडा में एक हिंसक अंत हुआ, कथित तौर पर अपने पूर्व साथियों के हाथों, जो उसके खिलाफ बदल गए हैं। उसकी हत्या लंदन में भारतीय उच्चायोग के खिलाफ हिंसक विरोध के चेहरे अवतार सिंह खांडा की मौत के बमुश्किल एक हफ्ते बाद हुई। खालिस्तानी हलकों में यह आरोप लगाया गया है कि खांडा की अचानक मौत निज्जर द्वारा रची गई हो सकती है, जो खांडा के उस पर भारी पडऩे और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों पर कब्जा करने को बर्दाश्त नहीं कर सकता था।
प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (के.टी.एफ.) के कनाडा स्थित प्रमुख निज्जर के सिर पर 10 लाख रुपए का नकद इनाम था। पश्चिमी कनाडाई प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया में गुरु नानक सिख गुरुद्वारा, सरी की पार्किंग में 2 अज्ञात हमलावरों ने 45 वर्षीय निज्जर की गोली मार कर हत्या कर दी थी। गुरुद्वारे पर लगभग 7 साल पहले निज्जर ने कब्जा कर लिया था और तब से वही उसकी अध्यक्षता कर रहा था। अक्सर आरोप लगते रहे हैं कि पंजाब में आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए धर्मस्थल से धन का गबन किया जा रहा था।
निज्जर को जुलाई 2020 में कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत भारत द्वारा एक ‘आतंकवादी’ नामित किया गया था और देश में उसकी संपत्ति सितम्बर 2020 में राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) द्वारा जब्त की गई थी। 2016 में उसके खिलाफ इंटरपोल रैड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था। सरी की स्थानीय पुलिस ने भी निज्जर को 2018 में उसकी आतंकी घटनाओं में संलिप्तता के संदेह में अस्थायी रूप से नजरबंद कर दिया था, लेकिन बाद में उसे रिहा कर दिया गया था। पंजाब के जालंधर में भार सिंह पुरा गांव का रहने वाला निज्जर 1995 में कनाडा जाने के बाद से लंबे समय से खालिस्तानी उग्रवाद से जुड़ा हुआ था। शुरुआत में वह बब्बर खालसा का एक ऑपरेटिव था। शिंगार सिनेमा बम विस्फोट (लुधियाना, 2007) और राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष रुल्दा सिंह (पटियाला, 2009) की हत्या सहित वह सहस्राब्दी का पहले दशक के भारत के कुछ सबसे हाई-प्रोफाइल आतंकी मामलों में शामिल था।
उसे पाकिस्तान स्थित भगौड़े के.टी.एफ. सुप्रीमो जगतार सिंह तारा से मिलवाया गया था, जो अब 2011 से भारत में कैद है। वह पाकिस्तान में वाॢषक जत्थों में तारा से मिलता रहा, जिसके दौरान उसे कथित तौर पर आई.ई.डी के निर्माण और उच्च तकनीक बंदूकें चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था। अधिकारियों ने कहा कि निज्जर ने कनाडा से भी तारा को अच्छी तरह से वित्त पोषित किया और 2014 में अपने आधार को पाकिस्तान से थाईलैंड में स्थानांतरित करने के लिए भी वित्त पोषण किया। जब 2014 के अंत में तारा को थाईलैंड से निर्वासन का सामना करना पड़ रहा था, तो निज्जर ने इसे रोकने के लिए थाईलैंड और पाकिस्तान के कई चक्कर लगाए।
अगले साल, निज्जर ने कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और लोकप्रिय डेरा नेताओं को निशाना बनाने के लिए भारत भेजने से पहले मिशन सिटी, ब्रिटिश कोलंबिया के पहाड़ी इलाकों में ए.के. -47 और रूसी स्नाइपर बंदूकें चलाने के लिए 3 सिख युवकों को प्रशिक्षित किया। लगभग डेढ़ दशक के अंतराल के बाद, डेरा अनुयायी मनोहर लाल अरोड़ा (नवंबर 2020) और गांव उधमपुर (रोपड़) के पूर्व सरपंच अवतार सिंह की हत्या (दिसंबर 2021) और भार सिंह पुरा गांव के पुजारी प्रज्ञा ज्ञान मुनि की हत्या का प्रयास (जनवरी 2021) सहित कई आतंकी मामलों में निज्जर ने फिर से अपना नाम सामने आने के साथ सुर्खियां बटोरीं। निज्जर ने अपने साथी सरी आधारित पंजाबी गैंगस्टर अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डाला के साथ भी गठबंधन किया और अपनी आतंकी योजनाओं को पूरा करने के लिए पंजाब और कनाडा दोनों में संगठित वित्तीय अपराधों में फंडिंग की। इस नवीनतम उद्यम ने कथित तौर पर निज्जर को सरी-डेल्टा क्षेत्र में सक्रिय युद्धरत आपराधिक गिरोहों का निशाना बनाया था।
2019 की शुरुआत में, कनाडा में अपने तथाकथित ‘रैफरैंडम 2020’ अभियान को चलाने के लिए निज्जर को अमरीका स्थित सिख्स फॉर जस्टिस (एस.एफ.जे.) के नेतृत्व ने शामिल किया था। तब से, निज्जर सरी-वैंकूवर क्षेत्र में एस.एफ.जे. द्वारा प्रायोजित प्रदर्शनों और कार रैलियों में एक निरंतर चेहरा बना रहे। उसे अक्सर भारत के राष्ट्रीय महत्व के दिनों में वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते देखा गया था। निज्जर ने पिछले साल ब्रैम्पटन और मिसिसॉगा (ओंटारियो) में ‘रैफरैंडम वोटिंग’ में भी प्रमुख भूमिका निभाई थी। कोविड के दौरान उसने कथित तौर पर सिखों को भारत लाने-ले जाने के लिए एक विमान किराए पर लिया था, पर वह काम नहीं आया। उसने कथित तौर पर बड़ी रकम की हेराफेरी की।
जब कनिष्क बम धमाके के एक आरोपी रिपुदमन मलिक को श्री गुरु ग्रंथ साहिब को छापने के लिए अधिकृत किया गया, तो निज्जर और उसके साथियों ने मलिक के खिलाफ एक तीखा हमला किया, जिसमें दावा किया गया कि मलिक द्वारा मुद्रित प्रतियोंं में दोष थे और मलिक से अनुमति वापस ली जानी चाहिए। बाद में, मलिक के पिं्रटिंग प्रैस से न केवल मुद्रित प्रतियां जबरन ले ली गईं, बल्कि पिं्रटिंग मशीनें भी भी उखाड़ ली गईं, जिन्हें उन्होंने आज तक वापस नहीं किया।
निज्जर ने अकाल तख्त के तत्कालीन जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ एक डराने-धमकाने वाले अभियान का नेतृत्व किया, जो पिछले साल मलिक के निमंत्रण पर कनाडा जाने वाले थे, जिस कारण जत्थेदार को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। निज्जर का नाम रिपुदमन मलिक की हत्या में भी एक संदिग्ध के रूप में आया था।