‘राम मंदिर’ बनने की तो बहुत खुशी, पर जानकी मंदिर का जीर्णोद्धार कब

punjabkesari.in Friday, May 17, 2024 - 06:55 AM (IST)

मां जानकी (माता सीता) जहां प्रकट हुई थीं, उस स्थान का नाम ‘पुनौराधाम’ है, जो बिहार के सीतामढ़ी शहर से साढ़े तीन किलोमीटर दूर स्थित है। उस समय जनकपुर भारत का हिस्सा हुआ करता था, पर आज नेपाल में है, पर पुनौराधाम आज भी भारत में है। पद्मपुराण में वर्णन है कि शास्त्रानुसार उनका नाम ‘सीता’ होना अपेक्षित है, क्योंकि सीत (फार का नुकीला अग्र भाग) और सीता (सिराउर) के संयोग से उत्पत्ति होने के कारण सीता नाम की पुष्टि होती है। जन्म के बाद लौकिक एवं वैदिक रीतियों से वर्षा से बचाने के लिए ‘मड़ई’ (मढ़ी) में मां सीता जी रखी गईं तथा उस स्थान का नाम सीतामढ़ी हुआ। पुनौराधाम में प्रवेश मात्र से प्राणी पवित्र हो जाता है। मां जानकी कुण्ड में जलस्पर्श एवं स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां जानकी जन्म कुण्ड को पुण्यनिधि कहा गया है। शास्त्रों-पुराणों में वर्णन है कि यहां तीर्थाटन करने से सभी पापों, संकटों से मुक्ति पाकर श्रद्धालु पुण्यलोक की प्राप्ति कर सकते हैं। 

अयोध्या में भगवान रामलला का भव्य और दिव्य मंदिर वर्षों के संघर्ष के बाद न्यायालय के फैसले से बनकर तैयार हो गया है, जिसकी प्राणप्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को स्वयं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कर कमलों से की। कहा जाता  है कि ‘बिना राम के सीता नहीं और बिना सीता के राम नहीं।’ पर दूसरी  ओर, मां जानकी (सीता जी) के प्राकट्यस्थल पर न चर्च है, न मस्जिद, न किसी तरह का जमीनी विवाद, और तो और, वहां मां जानकी का एक छोटा मंदिर भी बना है। वहां वह स्थल भी मौजूद है, जहां राजा जनक ने हल जोता था और मां ‘सीता’ हल जोतते समय एक मटके से हल के अगले हिस्से जिसे ‘सीत’ कहा जाता है, के लगने से प्रकट हुईं। 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी जब भी अयोध्या में गए थे जय श्री राम नहीं बोले, वह हमेशा ‘जय सियाराम’ ही बोले। अब सवाल उठता है कि मां जानकी सीता जी के प्रकट स्थल का जीर्णोद्धार कब होगा? जगतगुरु रामभद्राचार्य जी ने प्रण लिया हुआ है कि जब तक मां सीता जी के प्रकट स्थल का जीर्णोद्धार और यह भारत का श्रेष्ठ धाम नहीं बनेगा, उनकी कथा सदैव जानकी नवमी पर यहां होती रहेगी। मैंने स्वयं राज्यसभा में भी पुनौरा धाम का मामला और वहां मां जानकी के प्राकट्यस्थल के संपूर्ण विकास का मामला उठाया था, सदन में सभी दलों ने इसका समर्थन भी किया था। बहुत मुश्किल से भारत में लोगों को अब यह जानकारी हुई है कि पुनौराधाम, जो सीतामढ़ी से मात्र साढ़े तीन किलोमीटर दूर है, मां सीता का प्राकट्यस्थल है। नहीं तो लोगों के मन में तो अभी भी जनकपुर का नाम ही बैठा था। 

जनकपुर इसलिए प्रसिद्ध हुआ कि वहां मां जानकी ने भगवान शंकर के धनुष को सहज उठाकर रख दिया था। यह देख राजा जनक आश्चर्यचकित हो गए इसके बाद उन्होंने घोषणा की थी की जो व्यक्ति इस धनुष को उठा कर इसकी प्रत्यंचा चढ़ा देगा, मैं उसी से अपनी बेटी सीता का विवाह कर दूंगा। सभी को ज्ञात है कि भगवान श्री राम ने ही वह धनुष उठाया, प्रत्यंचा चढ़ा दी, इसके बाद मां सीता से उनका विवाह हुआ। भारत सरकार और बिहार सरकार का यह आध्यात्मिक और नैतिक दायित्व बनता है कि पुनौराधाम को भारत का श्रेष्ठ धाम बनाने की दिशा में पुरजोर प्रयास करें। अयोध्या स्थित रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए निमित्त ट्रस्ट से जुड़े श्री कामेश्वर चौपाल जी, जिन्होंने भव्य राम मंदिर के निर्माण की पहली ईंट सबसे पहले लगाई थी, का कहना है कि बिहार सरकार पुनौराधाम ट्रस्ट को यदि हमारे अयोध्या स्थित ट्रस्ट को सौंप दे तो हम पुनौराधाम को अयोध्या की तर्ज पर भव्य दिव्य मंदिर और भारत का श्रेष्ठ धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में विचार कर सकते हैं।  

भारत की जनता अब पुनौराधाम आने लगी है। जानकी नवमी को वहां बहुत बड़ा मेला लगता है। वहां 9 दिन तक भंडारा चलता है। देश भर से माताएं-बहनें आती हैं और अपने-अपने नवजात बच्चों और अन्य बच्चों के सिर पर मां जानकी के प्राकट्यस्थल की रज लगाती हैं। यहां कहावत कही जाती है कि यहां की रज जिस नवजात बच्चे की ललाट पर लगती है, उसमें लव कुश के संस्कार सहज आ जाते हैं। जगत जननी मां सच में इंतजार कर रही हैं और कह रही हैं कि ‘जिनके कारण मेरा धरा पर अस्तित्व है, उनका भव्य मंदिर बनने पर मैं बहुत खुश हूं, पर मैं भी उनके साथ पतिव्रता अर्धांगिनी बनकर सदैव हर समय खड़ी रही, तो मेरे साथ भी न्याय होना चाहिए।’-प्रभात झा(पूर्व सांसद एवं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष)


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